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पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस:बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर रोक


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पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस:बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर रोक

पीठ ने पतंजलि पर भविष्य में ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा.

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। दरअसल, कोर्ट ने पिछले साल कंपनी को ऐसे विज्ञापन नहीं देने का निर्देश दिया था। कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया। इस पर कोर्ट ने कंपनी और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पतंजलि की ओर से कहा गया- हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उनके निर्देशों का पालन करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। केस की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।

10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर "गलतफहमियां" फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।
10 जुलाई, 2022 को पब्लिश पतंजलि वेलनेस का विज्ञापन। एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका लगाई थी।

कोर्ट ने कहा- पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा- पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।

कोर्ट ने सरकार से पूछा- आपने पतंजलि पर क्या कार्रवाई की
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद भी पतंजलि ने जारी किए विज्ञापन
आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था।

ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी। 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।

कोर्ट का निर्देश- फिर ऐसा विज्ञापन जारी न करें
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी तय करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।

इससे पहले हुई सुनवाई में तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था, ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’

गुमनाम चिट्ठी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को घेरा

दरअसल, एक गुमनाम चिट्ठी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को घेरा है. कोर्ट ने अपने आदेश में खुलासा किया है कि 15 जनवरी 2024 को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के एक जज और दो अन्य सुप्रीम कोर्ट जजों को एक गुमनाम चिट्ठी मिली थी. इसमें बताया गया था कि 21 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को ऐसे भ्रामक विज्ञापन देने से रोक दिया था, लेकिन इसके बावजूद ऐसे विज्ञापन जारी किए गए. चिट्ठी के साथ विज्ञापन की कॉपी भी लगाई गई थी.

पहले भी आपत्ति जता चुका है कोर्ट

बता दें कि 29 नवंबर 2023 को पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी. पतंजलि और रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं व टीकाकरण के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई थी.

कोविड की दवा बनाने के दावे को लेकर घिरी थी पतंजलि
रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा भी पतंजलि अपने कुछ अन्य प्रोडक्ट्स को लेकर विवादों में रही है।

  • 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था।
  • 2015 में कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद सीएसडी ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी।
  • 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी।
  • कोरोना के अलावा रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर, एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।

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