लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में कहां मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी कांग्रेस ?

झुंझुनूं : भारत में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए अप्रैल और मई 2024 तक लोकसभा चुनाव होने की उम्मीद है। लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। पिछला लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे। चुनाव के बाद, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने केंद्र में दूसरी बार सरकार बनाई और एक बार फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। राजस्थान प्रदेश में हालही में सरकार गंवाने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी काँग्रेस के लिए यह लोकसभा चुनाव ‘करो या मरो की स्थिति पैदा करता है। पिछले 2 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यह बात जगजाहिर है कि प्रदेश में बीजेपी बहुसंख्यक आबादी की ऊंची जातियों को लुभाने में कामयाब रही है। दूसरी ओर एक समय कांग्रेस का कोर वोट बैंक समझे जाने वाला एससी-एसटी वर्ग कहीं ना कहीं कांग्रेस से छिटकता नजर आ रहा है।
लेकिन प्रदेश का अल्पसंख्यक वर्ग आजादी के बाद से हो केवल कांग्रेस पर ही भरपूर भरोसा जताते हुए आया है। राज्य में केप्टन अयुब खां (मुस्लिम) वर्ष 1984 व 1991 में कग्रिस पार्टी से दो बार लोकसभा सासंद निर्वाचित हुए है। कांग्रेस पार्टी ने राज्य में 1957, 1991, 1996 दो- दो अल्पसंख्यक उम्मीदवार को टिकट दिया था। राज्य में 11 लोकसभा क्षेत्र ऐसे है जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है इन क्षेत्रों 17 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। राज्य में 2008 के परिसीमन के बाद 200 विधानसभा में से 25 विधानसभा सीट ऐसी है मुस्लिम निर्णायक भूमिका में है जिनमें 13 सीटो पर तो मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा है 12 सीटों पर दूसरे नम्बर है तथा 17 सीटो पर 15000 से अधिक वोटर है।
राजस्थान में जातीय समीकरण साधकर कांग्रेस लोकसभा की 25 सीटो पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र (04) व चुरू लोकसभा क्षेत्र (03) राजस्थान में शेखावाटी दोनों सीटे कई वर्षों से कांग्रेस लगातार हार रही है। आज हमारी खास रिपोर्ट में हम इन्हीं दो सीटों की समीक्षा करने जा रहे हैं।
चूरू लोकसभा क्षेत्र (03): बीजेपी के जाट उम्मीदवार के सामने कांग्रेस भी मजबूत जाट उम्मीदवार उतारे !
चूरू लोकसभा क्षेत्र (03) में लगातार सात चुनाव से कांग्रेस उम्मीदवार हार रहे है। चुरू जिले की 6 विधानसभा क्षेत्र सादुलपुर, तारानगर, सरदारशहर, रतनगढ़ चुरू, सुजानगढ़ तथा हनुमानगढ़ जिले के भादरा व नोहर से मिलकर चुरू लोकसभा क्षेत्र बना है। नोहर भादरा, तारागर, सादुलपुर जाट बाहुल्य क्षेत्र है, यहां जाट समुदाय का वोटर निर्णायक है और चुरू लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार पिता, पुत्र लगातार भाजपा पार्टी से जीत रहे है। जिले में एक भी अल्पसंख्यक विधायक नहीं जीता है। चुरू लोकसभा क्षेत्र से रफ़ीक मण्डेलिया को दो बार लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया, जो दोनों बार हार चुके है तथा चुरू विधानसभा से भी वे तीनों बार हार चुके है। 1996 के बाद अल्पसंख्यक टिकट वितरण में महज खानापूर्ति की जा रही है। कांग्रेस को चाहिए कि हरियाणा सीमा से सटी चुरू लोकसभा सीट पर भाजपा के जाट उम्मीदवार के सामने कांग्रेस के मजबूत जाट उम्मीदवार को उतारे जिससे कांग्रेस जीत सके।
झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र (04)
झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र शेखावाटी की 7 विधानसभा मण्डावा, झुंझुनूं, नवलगढ़, बेनानी, खेतड़ी, उदयपुरवाटी, सुरजगढ़ तथा सीकर जिले की फतेहपुर विधानसभा से मिलकर बना है। झुंझुनूं जिले की पहचान सैनिक बाहुल्य जिले के रूप में है जहां राजपूत, जाट, कायमखानी तीनों समुदाय सेना में मार्शल कौम के नाम से जाने जाते है। तीनों समुदाय किसान वर्ग से है प्रमुखता से सेना में सेवा करते हैं। कायमखानी समाज देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, भारत पाक युद्ध, भारत चीन युद्ध में देश रक्षा करने में अग्रणी रहे है। आजादी से पूर्व झुंझुनूं, उदयपुरवाटी एवं फतेहपुर में कायमखानी कौम की नवाबी (शासन) रहा है ।
कैप्टन अयूब खाः वर्ष 1984 व 1991 में सासंद निर्वाचित
झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से कैप्टन अयूब खा कायमखानी लोकसभा चुनाव वर्ष 1984 व 1991 में दो चार सासंद निर्वाचित हुए है। 1996 के बाद यहां से 25 वर्षों से अल्पसंख्यक समुदाय को लोकसभा का टिकट नहीं दिया जा रहा है। झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस लगातार हार रही है। झुंझुनूं में अल्पसंख्यक समुदाय में कायमखानी कौम का स्थानीय राजनैतिक में कांग्रेस के कोर वोटर राजपूत, जाट, गुर्जर, ब्राहम्ण, एससी, एसटी ओबीसी जातीयों में कायमखानी कौम का बड़ा सम्मान व आदर भाव रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम) से किसी को मौका दे तो कांग्रेस के लिए यह सीट निकालना काफी आसान हो सकता है।
