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कोटा में गर्ल्स स्टूडेंट के लिए बनी महिला स्क्वाड:खाने से लेकर परिवार और पढ़ाई को लेकर होगी चर्चा, हर 15 दिन में होगा रिव्यू


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कोटा में गर्ल्स स्टूडेंट के लिए बनी महिला स्क्वाड:खाने से लेकर परिवार और पढ़ाई को लेकर होगी चर्चा, हर 15 दिन में होगा रिव्यू

कोटा में गर्ल्स स्टूडेंट के लिए बनी महिला स्क्वाड:खाने से लेकर परिवार और पढ़ाई को लेकर होगी चर्चा, हर 15 दिन में होगा रिव्यू

कोटा : कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स को तनाव मुक्त रखने के लिए जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश में पहली बार कोटा के अलग-अलग कोचिंग में पढ़ने वाली बच्चियों के लिए महिला स्क्वाड बनाई गई है।

ये टीम गर्ल्स स्टूडेंट के खाने से लेकर हेल्थ, परिवार और परिवार समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा करेगी और उनका समाधान भी करेगी। दरअसल, कामयाब कोटा अभियान के तहत गर्ल्स स्टूडेंट्स के लिए पांच टीम बनाई गई है। हर टीम में तीन महिला अधिकारियों को शामिल किया गया है।

कोटा के एक हॉस्टल में बच्चियों से चर्चा करते कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी।
कोटा के एक हॉस्टल में बच्चियों से चर्चा करते कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी।

हर 15 दिन में गर्ल्स स्टूडेंट्स के बीच जाएगी टीम

कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने बताया कि टीम हर 15 दिन में शहर के अलग-अलग कोचिंग सेंटर और हॉस्टल में जाएगी। जहां बच्चियों के साथ बातचीत करेगी। महीने में दो बार टीम बच्चियों के बीच जाएगी। इसके बाद कलेक्टर अधिकारियों के साथ बैठकर टीम की रिपोर्ट पर हर 15 दिन में रिव्यू भी होगा।

अभी पांच टीम कुन्हाड़ी,जवाहर नगर, विज्ञान नगर, बोरखेड़ा एरिया के लिए बनाई गई है। इसी एरिया में सभी बड़े कोचिंग सेंटर भी बने हुए है। महिला अधिकारियों की ये टीम बच्चियों से हुई बातचीत को गोपनीय रखेगी।

फोटो डिनर विद कलेक्टर कार्यक्रम का है। हर शुक्रवार को ये आयोजन होता है। अब कलेक्टर ने बच्चियों के लिए अलग से टीम भी बनाई।
फोटो डिनर विद कलेक्टर कार्यक्रम का है। हर शुक्रवार को ये आयोजन होता है। अब कलेक्टर ने बच्चियों के लिए अलग से टीम भी बनाई।

1 लाख के करीब गर्ल्स, टीम में एएसपी और आरएएस अधिकारी महिलाएं

डॉ. गोस्वामी का कहना है कि इस टीम में शामिल महिलाएं बच्चियों को मोटिवेट भी करेंगी। गौरतलब है कि हर साल 2 लाख बच्चे यहां मेडिकल और इंजीनियर की पढ़ाई के लिए आते हैं। इनमें 1 लाख बच्चियां होती हैं। इससे पहले हाल ही में कलेक्टर ने डिनर विद कलेक्टर अभियान की शुरुआत की थी।

इसके बाद अब इन बच्चियों की समस्या के समाधान के लिए इस टीम को बनाया गया है। हर टीम में एक प्रशासनिक, एक पुलिस और एक डॉक्टर होगी। इनमें एक महिला आरपीएस रैंक की रहेगी, जबकि चार में एसआई रैंक की महिला पुलिस अधिकारी। वहीं पांचों टीम में अलग-अलग डिपार्टमेंट की आरएएस रैंक की महिला अधिकारी रहेगी। डॉक्टर में महिला मेडिकल ऑफिसर को भी शामिल किया गया।

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