कोचिंग स्टूडेंट्स से कलेक्टर बोले- जिंदगी एग्जाम से बड़ी:बच्चों ने पूछा- नीट क्लियर नहीं हुआ तो क्या करेंगे ? कलेक्टर का जवाब-जिंदगी दूसरा रास्ता खोल देती है
कोचिंग स्टूडेंट्स से कलेक्टर बोले- जिंदगी एग्जाम से बड़ी:बच्चों ने पूछा- नीट क्लियर नहीं हुआ तो क्या करेंगे ? कलेक्टर का जवाब-जिंदगी दूसरा रास्ता खोल देती है

कोटा : कोटा के कोचिंग स्टूडेंट को डिप्रेशन से दूर रखने के लिए कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी की ओर से ‘कामयाब कोटा’ अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत कलेक्टर स्टूडेंट के बीच पहुंचे और उनसे बातचीत की। इस दौरान स्टूडेंट ने कलेक्टर से पूछा- यदि नीट क्लियर नहीं हो तो क्या करेंगे ? इस पर कलेक्टर ने जवाब दिया- जिंदगी एक रास्ता बंद करती है दूसरा खोल देती है।
दरअसल, इस अभियान के तहत डिनर विद कलेक्टर इवेंट रखा गया था। शुक्रवार को कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र स्थित वासंती रेजिडेंसी में पहुंचे। यहां उन्होंने बच्चों के साथ करीब 2 घंटे बिताए और उनसे अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत भी की।
कलेक्टर बोले- आप छोटे कमरे में घुट कुछ गलत कदम उठाने के लिए नहीं बने
इस दौरान कलेक्टर ने बच्चों से बातचीत में कहा- कर्म में विश्वास रखो, फल जरूर मिलेगा, आज नहीं तो कल मिलेगा। आप छोटे से कमरे में घुट के कुछ गलत कदम उठाने के लिए नहीं बने हो। मेरी आपसे अपील है खुद को पहचानो। बहुत बड़े काम करने के लिए आए हो, जन्म हुआ है। इस रास्ते को मंजिल मत समझो, मंजिल कहीं और है। वह मंजिल बहुत बड़ी है और आपका इंतजार कर रही है।
आपकी जिंदगी का यह हिस्सा सिर्फ रास्ता है, मंजिल नहीं। बड़े सपने देखें, बड़ी मंजिल तय करें। छोटे-छोटे लक्ष्य तय करते हुए अपनी मंजिल पा लें।

स्टूडेंट से कहा- एग्जाम सिर्फ रोजगार का जरिया,जीवन इससे काफी बड़ा
उन्होंने कहा कि हर किसी इंसान की जिंदगी में उतार चढ़ाव आते है। उतार-चढ़ाव से पार पाकर ही इंसान इंसान, बनता है। जिंदगी एग्जाम से बड़ी और विशाल है। जिंदगी में सबको बड़े काम करने हैं। एग्जाम सिर्फ रोजगार का जरिया है। जीवन इससे काफी बड़ा है। जीवन को उद्देश्य पूर्ण बनाना है। खुद को पहचानना होगा।
कलेक्टर ने हॉस्टल में छात्र-छात्राओं के साथ डिनर करते हुए बातों ही बातों में जिंदगी के फलसफे समझाए। साथ ही अपील की कि वह विफ़लता से निराश ना हों। हार न माने बल्कि विफलताओं से सीखते हुए, चुनौती देते हुए आगे बढ़ते जाएं। यह याद रखें कि गलतियां वापस नहीं दोहराई जाएं।उन्होंने स्टूडेंट्स के सवालों का, शंकाओं का समाधान दिया। विद्यार्थी जीवन के अपने अनुभव बांटे।

यह पूछे सवाल
विद्यार्थियों ने पूछा कि मन ना लगे तो कैसे पढ़ाई करें। नकारात्मकता को कैसे दूर करें। थकान, घबराहट हो तो कैसे काबू पाएं। कभी निराशा हो, ऐसा लगे कि हम पेरेंट्स की अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पा रहे तो क्या करें..। कलेक्टर ने एक-एक स्टूडेंट्स का सवाल ध्यानपूर्वक सुनते हुए सहजता से जवाब दिया। इसके बाद उन्होंने बच्चों के साथ ‘आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं एक ऐसे गगन के तले…’ सॉन्ग भी गाया।
