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राजस्थान को सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की तैयारी:नारा होगा- निवेशक ही हमारा एक मात्र वीआईपी; सिंगल विंडो से एक कदम आगे बढ़ेगी सरकार


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राजस्थान को सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की तैयारी:नारा होगा- निवेशक ही हमारा एक मात्र वीआईपी; सिंगल विंडो से एक कदम आगे बढ़ेगी सरकार

राजस्थान को सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की तैयारी:नारा होगा- निवेशक ही हमारा एक मात्र वीआईपी; सिंगल विंडो से एक कदम आगे बढ़ेगी सरकार

जयपुर : राज्य में सवा माह पुरानी भजनलाल सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती है- खराब माली हालत को सुधारना। खजाना खाली है और सरकार 5.59 लाख करोड़ के कर्ज से जूझ रही है। इससे उबरने, योजनाओं- गारंटियों को निर्बाध पूरी करने, विकास को गति देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार कई जतन कर रही है। इसी के तहत अब राजस्थान को दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र (ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब) बनाने की दिशा में गुजरात मॉडल पर काम करेगी। इसके लिए गत दिनों सीएम भजनलाल शर्मा ने गुजरात के सीएम से बात की। उसके बाद उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ वहां ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में शामिल हुए और गुजरात मॉडल का अध्ययन किया। अब उद्योग विभाग ‘निवेशक ही एकमात्र वीआईपी’ के ध्येय वाक्य के साथ निवेश प्रोत्साहन योजना का खाका बनाने में जुटा है।

अभी लक्ष्य 20%, जॉब 7%

राज्य में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र रोजगार देने में पिछड़ा हुआ है। नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट- 2021 के अनुसार 20% के लक्ष्य में कुल नौकरियों का 7.5% रोजगार दे रहा है। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 25वें स्थान पर है।

अब राज्य सरकार ये कदम उठाएगी

सिंगल विंडो से एक कदम आगे सरकार ‘वन स्टॉप – शॉप’ की तर्ज पर ऐसा सिस्टम विकसित करेगी कि निवेशकों को राजस्व, वित्त सहित सभी क्लीयरेंस ऑनलाइन मिल जाएं। बड़े निवेश प्रस्तावों को निश्चित समय में मंजूरी मिले। निवेश के कौनसे मामले पाइप लाइन में हैं, उन्हें धरातल पर उतारेगी और फाइलों में अटके प्रस्तावों को आगे बढ़ाएगी।

राजस्थान किस-किस उद्योग के लिए मुफीद है, ऐसे कौनसे उद्योग हैं जिनके लिए संभावनाएं सिर्फ यहीं हैं, उन्हें बढ़ावा देगी। जैसे- अनेक उद्योग पानी को रिसाइकिल कर उत्पादन करते हैं और राजस्थान के कई इलाकों में पानी की दिक्कत नहीं है।

• सरकार उद्यमियों-निवेशकों की समस्याएं भी समझ रही है, उनके अनुभवों-सुझावों के आधार पर आगे बढ़ेगी। निवेशकों को बुनियादी ढांचा, वांछित पैकेज उपलब्ध कराएगी। नियम- प्रक्रियाओं का सरलीकरण करेगी, जरूरत पड़ने पर नीतियों में संशोधन भी करेगी।

• एकीकृत क्लस्टर विकास के जरिए एमएसएमई क्षेत्र और निर्यात को बढ़ावा देगी। विभागों के बीच समन्वय हो और अंतरविभागीय मुद्दों का त्वरित निस्तारण हो, इसके लिए नियामक ढांचा विकसित करेगी।

मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर पर जोर इसलिए

राज्य सरकार का मानना है कि राजस्थान में ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इसके लिए कुशल लोग, विश्व स्तरीय शिक्षा व अनुसंधान की सुविधा, पारिस्थितिकी तंत्र आदि चाहिए जिसकी राजस्थान में कमी नहीं है। बस कारोबारी माहौल को आसान बनाने, अच्छा ईकोसिस्टम विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए योजनाबद्ध ढंग से काम हो तो निवेशकों को यहां लाना मुश्किल नहीं है।

गुजरात मॉडल ही क्यों

उद्योग मंत्री राठौड़ के अनुसार गुजरात दो दशक से ‘वाइब्रेंट गुजरात’ आयोजन कर रहा है। इस बार 9 माह तैयारी से ऐसा आयोजन किया, जिसमें सिर्फ जमीन पर उतरने वाले एमओयू हुए।

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