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एग्जाम से पहले पिता को लीवर डोनेट किया, फिर मौत:सिर्फ डेढ़ महीने की पढ़ाई में क्रे​क किया नीट, हादसे के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत


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एग्जाम से पहले पिता को लीवर डोनेट किया, फिर मौत:सिर्फ डेढ़ महीने की पढ़ाई में क्रे​क किया नीट, हादसे के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत

एग्जाम से पहले पिता को लीवर डोनेट किया, फिर मौत:सिर्फ डेढ़ महीने की पढ़ाई में क्रे​क किया नीट, हादसे के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत

कोटा : हर साल कोटा में नीट, आईआईटी क्रेक करने के लिए तैयारी के लिए लाखों बच्चे कोटा आते है। साल 2023 में नीट क्रेक करने वाले कई स्टूडेंटस कोटा कोचिंग से निकले। इनमें कई ऐसे थे जिन्होंने संघर्ष को अपनी जीत का हथियार बनाया, हारे नही, डरे नही। सफलता हासिल की और अब डॉक्टर बनने का सपना साकार कर रहे है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया और एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो गई। ऐसे ही होनहारों का स्वागत किया गया।

इनमें से एक स्नेहा, ओडिशा के छोटे से गांव पारादीप की स्नेहा ने डॉक्टर बनने का सपना देखा, विपरीत हालातों में भी हार नहीं मानी। कोचिंग टेस्ट में नंबर फर्स्ट रहने वाली छात्रा लेकिन बाद में पापा की बीमारी, लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत आई तो पिता को 68 प्रतिशत लिवर डोनेट किया।

स्नेहा ने अपने पिता और अपनी इच्छा पूरी की और अब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। कोटा में उसका सम्मान किया गया।
स्नेहा ने अपने पिता और अपनी इच्छा पूरी की और अब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। कोटा में उसका सम्मान किया गया।

पढ़ाई के दौरान पिता को लिवर दिया पारादीप की 19 साल की स्नेहा श्रावणी ने लिवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से जूझते पिता को खुद का लिवर डोनेट कर जीवनदान देने का प्रयास किया तो कोटा आकर नीट की तैयारी भी की और एग्जाम से पहले पिता को खो भी दिया। बेटी ने हिम्मत रखी और अंतिम समय में कड़ी मेहनत कर मेडिकल कॉलेज में दाखिला पा ही लिया। स्नेहा श्रावणी नायक देश में लिवर डोनेट करने वाली संभवतया सबसे कम उम्र की दूसरी डोनर है। लिवर डोनेट करने के लिए नियमानुसार उम्र 18 साल होना जरूरी है। इससे पहले केरल के त्रिशूर जिले की 17 वर्षीय देवानंदा ने अपने पिता को लिवर डोनेट किया था। नीट यूजी 2023 के परिणामों में स्नेहा ने स्टेट में 921 वीं रैंक हासिल की थी और एआईआर 27593 रैंक हासिल की थी। स्नेहा ने बताया कि मैं पढ़ाई में होशियार थी। मेरा और मेरे पिता का सपना था कि मैं डॉक्टर बनूं। पिता हेमंत कुमार नायक की पारादीप में ही प्रिंटिंग प्रेस थी। उन्हें सात साल से पेट में गैस व फैटी लिवर जैसी समस्याएं थी। साल 2022 अगस्त में स्नेहा कोटा आई। पीछे से पिता की तबीयत बिगड़ने लगी। पिता का वजन कम होने लगा और पेट में पानी भरने लग गया। 16 अगस्त 2022 को तबीयत ज्यादा खराब होने पर हैदाराबाद दिखाया तो डॉक्टर्स ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। सितंबर 2022 को कोचिंग संस्थान के टेस्ट में स्नेहा ने पहली रैंक हासिल की थी, इसी दिन उसे पिता की इस बीमारी का पता लगा और उसे वापस लौटना पड़ा।

स्नेहा कोटा पढ़ने आई तो पता लगा कि उसके पिता का लिवर खराब है। उसने पिता को लिवर डोनेट किया। उसके अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान की फोटो।
स्नेहा कोटा पढ़ने आई तो पता लगा कि उसके पिता का लिवर खराब है। उसने पिता को लिवर डोनेट किया। उसके अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान की फोटो।

12 घंटे चला था ऑपरेशन
स्नेहा ने बताया कि- पापा का लिवर ट्रांसप्लांट कराने का फैसला हो चुका था। हमारे परिवार में मैं ही लिवर डोनेट कर सकती थी। संयोग से उस समय मेरी उम्र 18 साल हो चुकी थी। मुझे हैदराबाद जाना पड़ा। 19 सितंबर को कोटा से रवाना हुई। हॉस्पिटल में मेरी काफी जांचें हुई। जिसमें मेरा लिवर भी फैटी आया। इसलिए डॉक्टर्स ने छह दिन में तीन किलो वजन यानी 59 किलो से घटाकर 56 किलो करने को कहा। मैं सुबह-शाम चार-चार किलोमीटर वॉक करती थी। एक-एक रोटी और स्लाद खाती थी। दूध-चाय बंद कर दिया। इसी दौरान मैं और पापा कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे। 10 अक्टूबर 2022 को लिवर ट्रांसप्लांट हुआ। स्नेहा का गॉल ब्लैडर भी निकाल दिया, क्योंकि लिवर गॉल ब्लैडर से कवर होता है। इसलिए उसे निकाले बिना लिवर तक नहीं पहुंच सकते। स्नेहा को जीवनभर बिना गॉल ब्लेडर के रहना है। स्नेहा नवंबर 2022 में फिर कोटा आ गई। उसने अपना 68 प्रतिशत लिवर डोनेट किया था। पिता की बीमारी में करीब 60 लाख रूपए खर्च हुए।

लिवर ट्रांसप्लांट हो गया और पिता फिर घर लौट गए लेकिन कुछ समय बाद फिर तबीयत खराब हो गई। ट्रांसप्लांट के बाद पिता और मां के साथ स्नेहा
लिवर ट्रांसप्लांट हो गया और पिता फिर घर लौट गए लेकिन कुछ समय बाद फिर तबीयत खराब हो गई। ट्रांसप्लांट के बाद पिता और मां के साथ स्नेहा

लिवर में इंफेक्शन हो गया
स्नेहा ने बताया कि ऑपरेशन के डेढ़ महीने बाद मम्मी-पापा घर लौट गए लेकिन, दिसंबर में उसके पिता को फिर बुखार आने लग गया। पता चला कि लिवर में इंफेक्शन हो गया है तो फिर से उपचार शुरू हुआ। स्नेहा वापस हैदराबाद गई और करीब 25 दिन रही। 27 जनवरी को उसके पिता को अस्पताल से छुटटी दे दी और वह कोटा आ गई। 9 फरवरी को फिर उसके पिता की तबियत खराब हुई। 15 फरवरी उनकी मौत हो गई। स्नेहा ने ही पिता की अर्थी को कंधा और मुखाग्नि दी थी। लास्ट में फिर वह कोटा आई और पढ़ाई की। इस दौरान लास्ट में उसे केवल डेढ़ महीने का ही समय पढ़ाई के लिए मिल सका। अब उसका सलेक्शन उडीसा के सुंदरगढ स्थित मेडिकल कॉलेज में हो गया है। जहां वह अपनी पढ़ाई कर रही है। उसे सर्जन बनना है।

स्नेहा न्यूरो सर्जन बनना चाहती है। वह चाहती है कि न्यूरो सर्जन बनकर गरीबों के लिए काम करूं।
स्नेहा न्यूरो सर्जन बनना चाहती है। वह चाहती है कि न्यूरो सर्जन बनकर गरीबों के लिए काम करूं।

एग्जाम से पहले पिता बना रामलाल
चितौड़गढ़ के घोसुंदा में रहने वाले रामलाल भोई (21) का भी नीट में सलेक्शन हुआ और वह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बनने के लिए अपनी पढ़ाई शुरू कर चुका है। रामलाल अपने परिवार में पहला डॉक्टर बनेगा। रामलाल जब 11 साल का था तब उसकी शादी हो गई थी। पत्नी भी हम उम्र है। करीब छह साल पहले ही पत्नी ने ससुराल में आकर रहना शुरू किया था, वह 10वीं तक पढ़ी हुई है। रामलाल ने बताया कि समाज की पिछड़ी सोच के चलते मेरे लिए भी पढ़ाई करना आसान नहीं था।

बचपन में ही शादी हो गई, लोगों के ताने सुने नीट के एग्जाम से पहले बेटी परिवार में जन्मी, फिर भी पढ़ाई नही छोडी और अब रामलाल डॉक्टर बनने जा रहा है।
बचपन में ही शादी हो गई, लोगों के ताने सुने नीट के एग्जाम से पहले बेटी परिवार में जन्मी, फिर भी पढ़ाई नही छोडी और अब रामलाल डॉक्टर बनने जा रहा है।

गांव के ही सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा 74 प्रतिशत अंकों से पास की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। पिता नहीं चाहते थे कि मैं 10वीं के बाद आगे पढ़ाई करूं। मेरी जिद थी कि आगे पढ़ाई करनी है। 11वीं के बाद टीचर्स ने बॉयोलॉजी और एग्जाम के बारे में बताया। मैंने नीट का पहला अटेम्प्ट 12वीं कक्षा के साथ ही साल 2019 में दिया था। सेल्फ स्टडी से 350 मार्क्स हासिल किए। दूसरे प्रयास में 320 मार्क्स आए। दूसरी बार मार्क्स पहली बार से भी कम आए,लेकिन जुनून था कि बनना तो डॉक्टर ही है। फिर नीट 2021 में 362 मार्क्स आए। उदयपुर में स्कूल के शिक्षकों ने कोटा में एडमिशन लेने की सलाह दी, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि मैं नीट क्रेक कर सकता हूं। साल 2023 की नीट की परीक्षा से छह महीने पहले ही रामलाल के घर बेटी का जन्म हुआ।

रामलाल अपनी पत्नी, बेटी और मां के साथ। रामलाल अपने परिवार का पहला डॉक्टर होगा
रामलाल अपनी पत्नी, बेटी और मां के साथ। रामलाल अपने परिवार का पहला डॉक्टर होगा

दो चचेरी बहने एक साथ बनेगी डॉक्टर
जयपुर के पास जमवारामगढ़ तहसील में नांगल तुलसीदास गांव के चरवाहा परिवार की दो बेटियों ने भी एक साथ नीट क्रेक की। दोनों चचेरी बहने है। गांव के रहने वाले नन्छू राम यादव की बेटी करीना यादव और उनके भाई हनुमान सहाय यादव की बेटी रितु यादव अब मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। करीना एसएमएस और रितु जेएलएन में पढ़ाई कर रही है। गांव के दोनों भाई नन्छू राम यादव एवं हनुमान सहाय यादव बकरियां चराते हैं। रितु के पिता हनुमान सहाय 10वीं एवं मां सुशीला 8वीं कक्षा तक पढ़े हैं।

कोटा में नीट और जेईई में सफलता हासिल करने वाले स्टूडेंटस का सम्मान किया गया।
कोटा में नीट और जेईई में सफलता हासिल करने वाले स्टूडेंटस का सम्मान किया गया।

करीब 8-10 बकरियां हैं। दूसरा भाई नन्छूराम एवं उनकी पत्नी गीता निरक्षर हैं। दोनों की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर थी, रही-सही कसर बीमारियों ने पूरी कर दी। हनुमान सहाय यादव की एक आंख की रोशनी कमजोर है। वहीं नन्छू राम यादव लंग्स कैंसर से जूझ रहे है। रविवार को कोटा वह भी बेटी का सम्मान होता देखने आए थे, इससे एक दिन पहले ही वह कीमोथैरेपी लेकर लौटे थे।

करीना और रितु दोनों चचेरी बहनें है। एक साथ पढ़ाई की और अब एक साथ डॉक्टर बनेगी
करीना और रितु दोनों चचेरी बहनें है। एक साथ पढ़ाई की और अब एक साथ डॉक्टर बनेगी

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