राजस्थान में BJP ने ब्राह्मण कार्ड से दिया पुराना संदेश, पांच जातियों से मोदी ने इस तरह ढहाया किला!
सियासी जानकारों का कहना है कि विपक्षी जितने जोर-जोर के साथ जातीयता के समीकरण और जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहा है, भाजपा ने उतने ही शांत तरीके से तीनों राज्यों के माध्यम से बड़ा संदेश दे दिया। कहा यह जा रहा है कि भाजपा ने राजस्थान के माध्यम से पूरे देश के ब्राह्मणों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के बीच में पार्टी उनको प्रमुखता से आगे ही रख रही है...
भजनलाल शर्मा : भाजपा ने राजस्थान में ‘ब्राह्मण कार्ड’ खेला तो भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। मध्यप्रदेश में डॉक्टर मोहन यादव के साथ पिछड़ों को साधने का बड़ा दांव चला गया। जबकि छत्तीसगढ़ में विष्णु देव के साथ आदिवासियों को बड़ा संदेश दिया। इन सब के साथ तीनों राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों के नाम के साथ दलित, पिछड़ा, ब्राह्मण और क्षत्रिय भी जुड़ा हुआ है। सियासी जानकारों का कहना है कि विपक्षी जितने जोर-जोर के साथ जातीयता के समीकरण और जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहा है, भाजपा ने उतने ही शांत तरीके से तीनों राज्यों के माध्यम से बड़ा संदेश दे दिया। कहा यह जा रहा है कि भाजपा ने राजस्थान के माध्यम से पूरे देश के ब्राह्मणों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के बीच में पार्टी उनको प्रमुखता से आगे ही रख रही है। फिलहाल आने वाले लोकसभा के चुनावों में इन्हीं सियासी समीकरणों के आधार पर मोदी, शाह और नड्डा ने पूरी फील्डिंग लगा दी है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री का नाम घोषित होने के साथ सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की होने लगी कि आखिर इस राज्य में सिर्फ आठ फीसदी वाले ब्राह्मण वोटरों पर पार्टी ने इतना बड़ा दांव कैसे लगा दिया। इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण शर्मा कहते हैं कि राजस्थान में अब तक के इतिहास में छह बार ब्राह्मण ही राजस्थान का मुख्यमंत्री बना है। इसके अलावा वह कहते हैं कि राजस्थान में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनाए जाने का असर सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि समूचे देश में पड़ने वाला है। वह कहते हैं कि जब कांग्रेस सत्ता में शीर्ष पर थी तो भाजपा के कोर वोट बैंक में हिंदुओं खासकर ब्राह्मण वोट बैंक की बड़ी तादाद उनके ही हिस्से में आती थी।
अरुण शर्मा कहते हैं कि बीते कुछ दिनों में जिस तरीके से सियासी नजरिए से जातीयता के आधार पर खास तौर से पिछड़ों और दलितों की बात हुई उसमें ब्राह्मणों की चर्चा कम होती रही। ऐसे में भाजपा ने राजस्थान में ब्राह्मण कार्ड खेल कर पूरे देश के सभी राज्यों में ब्राह्मणों के लिहाज से अपनी चौहद्दी को मजबूत कर लिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के पूर्व प्रवक्ता और सियासी जानकार डॉक्टर अवनींद्र पांडे कहते हैं कि अगर डेढ़ दशक पहले की सियासत को देखा जाए, तो देश के ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्यों में ब्राह्मण चेहरों को ही बतौर और मुख्यमंत्री आगे किया जाता रहा था। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल रहे। ऐसे में जब भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की चर्चा हो रही थी, तो ब्राह्मण प्रत्याशी पर बड़ा दांव लगाने का भी जिक्र प्रमुखता से किया जा रहा था।