जिला उपभोक्ता आयोग ने एक दिन में निपटाए 330 प्रकरण:प्रदेश में अव्वल रहा झुंझुनूं, लोक अदालत से मिली राहत
जिला उपभोक्ता आयोग ने एक दिन में निपटाए 330 प्रकरण:प्रदेश में अव्वल रहा झुंझुनूं, लोक अदालत से मिली राहत

झुंझुनूं : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेन्द्र दीक्षित और उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मनोज मील की बेंच ने 330 परिवादों का निस्तारण करते हुए लोक अदालत के अवार्ड (पंचाट) जारी किए। एक ही दिन में इतने प्रकरणों का निस्तारण कर आयोग ने नया रिकॉर्ड कायम किया है।
इससे पहले सितंबर में आयोजित तृतीय लोक अदालत में भी एक ही दिन में 313 प्रकरणों का निस्तारण भी जिला आयोग कर चुका है। राष्ट्रीय लोक अदालत में राजस्थान के जिला उपभोक्ता आयोग में से झुंझुनूं में सर्वाधिक प्रकरणों का निस्तारण किया गया।
लोक अदालत में 356 प्रकरण रखे गए, जिनमें से निस्तारित किए गए 330 प्रकरणों में डिस्कॉम, बैंकिंग, नगर परिषद, बीएसएनएल, निजी स्कूल, फाइनेंस और बीमा कंपनियों से संबंधित प्रकरण रहे। चिड़ावा में न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू रानी की अध्यक्षता में लगी लोक अदालत में राजीनामे योग्य 33 मामलों का समझाइश से निस्तारण किया गया। वहीं क्लेम और धन वसूली से संबद्ध मामलों में 69 लाख 60 हजार 209 रुपए के अवार्ड पारित किए गए। लोक अदालत में विद्युत विभाग के 168 प्रकरणों का निस्तारण भी किया गया।
जिले में 72997 प्रकरणों का निस्तारण
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव दीक्षा सूद ने बताया कि 11 राजस्व व न्यायिक अधिकारीगण की बैंच का गठन किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में दिन भर में 103130 प्रकरण रखे गए जिनमें से 72997 प्रकरण निस्तारित हुए जिनमें 10 करोड़ 85 लाख 53 हजार 857 रुपए के अवॉर्ड पारित हुए राष्ट्रीय लोक अदालत में ऑनलाइन लगभग 56619 प्रकरण रखे गए जिनमें से 46952 प्रकरण निस्तारित हुए।
ऑफलाइन 46511 प्रकरण रखे गए जिनमें से 26045 प्रकरण निस्तारित हुए। राष्ट्रीय लोक अदालत में बनाई गई बेंच में जिला मुख्यालय पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेंद्र दीक्षित, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय राजेश कुमार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश दीक्षा सूद, न्यायिक मजिस्ट्रेट सरिता कायथ, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मनोज मील, एसडीएम कविता गोदारा ने उपस्थित रहकर आपसी सहमति से मामलों का निस्तारण किया।
घर उजड़ने से बचा
फेमिली कोर्ट में हुई लोक अदालत में एक परिवार को उजड़ने से बचाया गया। एक व्यक्ति की 2018 में शादी हुई। मामूली से बात पर पति-पत्नी में विवाद हो गया। मामला कोर्ट तक पहुंचा। लोक अदालत में न्यायाधीश राजेश कुमार ने समझाइश करते हुए कहा कि पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक हैं।
दोनों एक दूसरे की भावना का सम्मान करना चाहिए। आपसी समझाइश से दोनों साथ रहने के लिए तैयार हो गए। इसी तरह 2019 में हुई शादी के मामले में पति-पत्नी में छोटी सी बात पर तकरार हो गई। दोनों अलग रहने लगे। मामला कोर्ट तक पहुंचा। पारिवारिक न्यायालय में हुई समझाइश के बाद दोनों ने साथ रहने के लिए राजी हुए। लोक अदालत ने इनका स्वागत किया।