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बैंक के असिस्टेंट मैनेजर ने किया 1 करोड़ का घपला:फर्जी डॉक्युमेंट्स से बनाए क्रेडिट कार्ड; दोस्तों-रिश्तदारों के बिल चुकाए, बदले में लेता था कैश


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बैंक के असिस्टेंट मैनेजर ने किया 1 करोड़ का घपला:फर्जी डॉक्युमेंट्स से बनाए क्रेडिट कार्ड; दोस्तों-रिश्तदारों के बिल चुकाए, बदले में लेता था कैश

बैंक के असिस्टेंट मैनेजर ने किया 1 करोड़ का घपला:फर्जी डॉक्युमेंट्स से बनाए क्रेडिट कार्ड; दोस्तों-रिश्तदारों के बिल चुकाए, बदले में लेता था कैश

जोधपुर : जोधपुर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में करीब एक करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया है। आरोपी बैंक का ही असिस्टेंट मैनेजर है, जो करीब 2 साल से बैंक को चूना लगा रहा था। उसने फर्जी डॉक्युमेंट के जरिए 5 लाख की लिमिट वाले 20 क्रेडिट कार्ड इश्यू करवाए। खुद उन्हें वैरिफाई किया। वह इन क्रेडिट कार्ड से दोस्तों-रिश्तेदारों के शॉपिंग और अन्य बिल जमा करवाता था। बदले में उनसे कैश ले लेता था।

गबन का मामला तब सामने आया, जब बैंक ने उन क्रेडिट कार्ड की जानकारी जुटाई, जिनके बिल लंबे समय से बकाया चल रहे थे। गुरुवार को मामला सामने आते ही बैंक प्रबंधन ने आरोपी को सस्पेंड कर शास्त्रीनगर पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। यह फ्रॉड यूनियन बैंक की दो शाखाओं बासनी और जालोरी गेट में हुआ।

आरोपी अप्रैल 2023 से यूनियन बैंक की जोधपुर स्थित सोजती गेट ब्रांच में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था। इसी ब्रांच के मैनेजर ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।

यह यूनियन बैंक की सोजती गेट शाखा है, जहां आरोपी अप्रैल 2023 से तैनात था।
यह यूनियन बैंक की सोजती गेट शाखा है, जहां आरोपी अप्रैल 2023 से तैनात था।

2 साल से कर रहा था गबन
शास्त्रीनगर पुलिस थाना इंचार्ज मोहम्मद शफीक खान ने बताया- सोजती गेट स्थित यूनियन बैंक के प्रबंधक चेतन प्रकाश ने गुरुवार रात फ्रॉड का मामला दर्ज कराया है। उन्होंने यूनियन बैंक (सोजती गेट) के सह प्रबंधक आकाश वर्मा पर साल 2021 से अप्रैल 2023 तक करीब दो साल में बासनी और जालोरी गेट ब्रांच में रहते हुए एक करोड़ का गबन करने के आरोप लगाए।

थाना प्रभारी ने बताया- धोखाधड़ी काफी शातिर तरीके से की है। पुलिस जांच कर रही है। बैंक से रिकॉर्ड प्राप्त किए गए हैं। जिस-जिस पर संदेह है, सबको बुलाकर जांच करेंगे। पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा कि आरोपी ने कुल कितने रुपए की धोखाधड़ी की है।

2016 से है बैंक कर्मचारी
सूत्रों के अनुसार आकाश वर्मा 2016 से यूनियन बैंक का कर्मचारी है। अब तक बासनी ब्रांच से करीब 35 लाख रुपए का गबन सामने आया है। आरोपी ने बासनी और जालोरी गेट ब्रांच में काम किया था। वहां के सभी रिकॉर्ड पुलिस ने मंगवाए हैं।

बैंक प्रबंधन अपने स्तर पर गबन का पता लगाने में जुट गया है। बैंक अधिकारियों की ओर से ऑडिट की जा रही है।

यह जोधपुर की बासनी स्थित यूनियन बैंक शाखा है। यहां 35 लाख का गबन सामने आया है।
यह जोधपुर की बासनी स्थित यूनियन बैंक शाखा है। यहां 35 लाख का गबन सामने आया है।

दो साल में दो ब्रांच में रहा, दोनों को ठगा
पिछले दो साल में आकाश वर्मा यूनियन बैंक की बासनी और जालोरी गेट स्थित शाखा में कार्यरत रहा था। इन्हीं ब्रांच में रहते हुए उसने गड़बड़ की। इसके बाद वह सोजती गेट ब्रांच में आ गया।

बासनी और जालोरी गेट ब्रांच में रहते हुए उसने फर्जी डॉक्युमेंट के जरिए कई क्रेडिट कार्ड जारी किए, खुद उनका वैरिफिकेशन किया। फिर दोस्तों-रिश्तेदारों के बिजली बिल, अन्य बिल, शॉपिंग व अन्य खर्चों के लिए उन्हें क्रेडिट कार्ड देता। बदले में उनसे कैश ले लेता था। इस तरह दो साल में उसने करीब 1 करोड़ का गबन किया।

जानकारी के अनुसार दोनों बैंक शाखाओं में जब 20 क्रेडिट कार्ड के करीब 1 करोड़ के बिल लंबे समय से बकाया आए तो मामला उजागर हो गया। आकाश ने काफी शातिर तरीके से बैंक से धोखाधड़ी की। उसने असिस्टेंट मैनेजर पद का फायदा उठाया। पहले क्रेडिट कार्ड जारी करवाए, फिर वैरिफिकेशन में धांधली की। उसने सभी कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपए रखी, ताकि अधिक से अधिक फ्रॉड किया जा सके। सभी कार्ड वह अपने पास ही रखता था और जरूरत के वक्त दोस्तों-रिश्तेदारों को देता था।

आरोपी आकाश ने पिछले दो साल में इन सभी कार्ड की पूरी लिमिट करीब 1 करोड़ रुपए यूज कर ली थी। इसके बाद बिलों का पैसा वापस बैंक में जमा नहीं कराया, जिसके कारण बैंक प्रशासन ने बकाया राशि को लेकर जांच की।

शास्त्रीनगर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। बैंक से संबंधित दस्तावेज मंगवाए गए हैं।
शास्त्रीनगर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। बैंक से संबंधित दस्तावेज मंगवाए गए हैं।

20 कार्ड की पूरी लिमिट उठाई
बैंक अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो साल से 20 क्रेडिट कार्ड का पेमेंट बकाया चल रहा था। बैंक के कर्मचारियों ने इन क्रेडिट कार्ड के लिए लगाए गए दस्तावेज खंगाले तो कोई जानकारी नहीं मिली। जिनके डॉक्युमेंट लगे थे, उन्होंने कहा कि वे क्रेडिट कार्ड के बारे में नहीं जानते। जांच की तो पता चला कि सभी कार्ड एक ही अधिकारी (आकाश वर्मा) ने वैरिफाई किए हैं। जिन लोगों के नाम पर ये क्रेडिट कार्ड थे, वे या तो आकाश के दोस्त निकले, या फिर रिश्तेदार। ऐसे में शक होते ही कार्रवाई की।

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