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झुंझुनूं में आवारा कुत्तों का आतंक:सड़क पर निकलना हुआ मुश्किल, 9 महीनों में 2,767 लोग बने डॉग बाइट के शिकार


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झुंझुनूं में आवारा कुत्तों का आतंक:सड़क पर निकलना हुआ मुश्किल, 9 महीनों में 2,767 लोग बने डॉग बाइट के शिकार

झुंझुनूं में आवारा कुत्तों का आतंक:सड़क पर निकलना हुआ मुश्किल, 9 महीनों में 2,767 लोग बने डॉग बाइट के शिकार

झुंझुनूं : झुंझुनूं शहर में आवारा कुत्तों का खौफ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि सुबह-शाम सड़कों पर निकलना लोगों के लिए चुनौती बन गया है। बाइक सवारों, बच्चों और महिलाओं पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। बीडीके अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक महीने में ही 300 से अधिक लोग डॉग बाइट के बाद उपचार के लिए पहुंचे हैं।

दो नंबर रोड, स्टेशन मार्ग, चूरू बाईपास और हवाई पट्टी क्षेत्र जैसे व्यस्त इलाकों में ये घटनाएं सबसे अधिक सामने आ रही हैं। कई इलाकों में कुत्तों के झुंड देखकर लोग रास्ता बदलने को मजबूर हैं।

डॉग बाइट मामलों में लगातार बढ़ोतरी

बीडीके अस्पताल के मुताबिक, जनवरी से सितंबर 2025 तक कुल 2,767 लोग कुत्तों के काटने के बाद अस्पताल पहुंचे। जुलाई में सबसे अधिक 360 केस दर्ज हुए।

बीडीके हॉस्पिटल में वैक्सीन के साथ सीरम भी उपलब्ध

बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. जितेंद्र भाम्बू ने बताया कि डॉग बाइट पीड़ितों को तुरंत उपचार उपलब्ध हो सके, इसके लिए अस्पताल में विशेष सुविधा शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि बीडीके में वैक्सीन के साथ सीरम भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, ताकि गंभीर मरीजों को तत्काल राहत मिल सके। डॉ. भाम्बू ने डॉग बाइट के बढ़ते मामलों के लिए नगर परिषद की लापरवाही, कुत्तों की अनियंत्रित संख्या और प्रजनन पर नियंत्रण न होने को प्रमुख कारण बताया है।

झुंड बनाकर करते हैं हमला

सुबह और शाम के समय आवारा कुत्तों के झुंड बनाकर घूमने और राहगीरों पर अचानक झपटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। कई बार बच्चों के स्कूल जाते समय, महिलाओं के टहलने के दौरान, या बाइक सवारों के गुजरते वक्त ये कुत्ते हमला कर देते हैं। कई वार्डों में हालात इतने खराब हैं कि लोग अब बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरने लगे हैं। नवलगढ़ क्षेत्र में तो आवारा कुत्तों से पूरा गांव परेशान है और ग्रामीण लगातार समाधान की मांग कर रहे हैं।

पीड़ितों में सबसे अधिक संख्या बच्चों और महिलाओं की है। नवलगढ़ क्षेत्र सहित कई मोहल्लों में परिवार बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डर रहे हैं।

ये क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील

दो नंबर रोड, बीडीके अस्पताल के पीछे दो नंबर रोड, सर्किट हाउस, चूरू बाईपास, रीको इलाका, बाकरा मोड़, टीवीएस शोरूम मोड़, स्टेशन रोड, हवाई पट्टी सर्किल, रानी सती मार्ग, मून बाग, रोडवेज बस स्टैंड, मंड्रेला सर्किल, नेहरू सर्किल

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