खेतड़ी बांसियाल रिजर्व से सड़क पर आया हायना:वाहन की टक्कर से मौत, सात महीने में तीसरा हादसा, चार फीट की दीवार साबित हुई नाकाफी
खेतड़ी बांसियाल रिजर्व से सड़क पर आया हायना:वाहन की टक्कर से मौत, सात महीने में तीसरा हादसा, चार फीट की दीवार साबित हुई नाकाफी

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : विजेन्द्र शर्मा
खेतड़ी : बांशियाल-बागोर वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र में सोमवार को एक और जरख (हाईना) की दर्दनाक मौत ने वन विभाग की लापरवाही की पोल खोल दी। टीला वाली गांव की मुख्य सड़क पर एक अज्ञात वाहन की टक्कर से जरख की मौत हो गई। घटना की सूचना पर विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर राजकीय पशु चिकित्सालय खेतड़ी लाया गया, जहां मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद चिरानी स्थित वन पौधशाला में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
वन क्षेत्र अधिकारी विजय कुमार फगेड़िया ने पुष्टि की कि हादसा अज्ञात वाहन की टक्कर से हुआ। लेकिन सवाल यह है कि अगर यह एक संरक्षित वन्य जीव है, तो इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
वन्य जीवों के लिए चार फीट की दीवारें… क्या यही है सुरक्षा योजना?
वन विभाग द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण के नाम पर बनाई गई चार-चार फीट ऊंची दीवारें महज दिखावा बनकर रह गई हैं। जंगल में छोड़े गए जानवर सुरक्षा के अभाव में बार-बार आबादी क्षेत्र और सड़कों पर आ जाते हैं। यह न तो उनके लिए सुरक्षित है, न ही ग्रामीणों के लिए। क्षेत्रवासियों का कहना है कि वन विभाग केवल कागजों में योजनाएं चला रहा है, जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि जंगली जानवर असुरक्षित और बेबस हैं।
जरखों की मौतों की चिंताजनक कड़ी
इस घटना से पहले भी क्षेत्र में दो जरख अज्ञात वाहनों की टक्कर का शिकार हो चुके हैं।
19 दिसंबर 2024: बांशियाल ग्राम पंचायत की कुड़ी की ढाणी में जरख मृत मिला।10 जुलाई 2025: बंधा ढाणी के पास वाहन की चपेट में आया अब 4 अगस्त 2025: टीला वाली गांव में सड़क हादसे में मौतसाढ़े सात महीनों में तीन जरखों की मौतें एक जैसी परिस्थितियों में हुई हैं। इन तीनों में एक भी मामले में किसी वाहन चालक की पहचान नहीं हो सकी है, न ही कोई कार्रवाई हुई है।
आखिर कब जागेगा वन विभाग?
वन्य जीवों की रक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की है, लेकिन जिस तरह से बार-बार जरख जैसे संरक्षित जानवर हादसों का शिकार हो रहे हैं, वह विभाग की नाकामी को साफ दिखाता है। न वन क्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित किया गया है, न चेतावनी बोर्ड, न निगरानी की पुख्ता व्यवस्था। क्या विभाग किसी बड़ी जनहानि या बड़ी घटना के बाद ही कोई ठोस कदम उठाएगा?
जनप्रतिनिधियों और पर्यावरण प्रेमियों से अपील
अब समय आ गया है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि, पर्यावरण प्रेमी और जागरूक नागरिक मिलकर वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए प्रशासन पर दबाव बनाएं। वन्य क्षेत्र में सख्त निगरानी, ऊंची चारदीवारी, सौर ऊर्जा से चलने वाले अलर्ट सिस्टम, और चेतावनी बोर्ड जैसी व्यवस्थाएं तत्काल लागू हों — ताकि भविष्य में किसी भी संरक्षित जानवर की यूं मौत न हो।