कविता : झूम-झूम के आया सावन
कविता : झूम-झूम के आया सावन

झूम-झूम के आया सावन
मेघों नें मल्हार सुनाया,
मंद मंद मुस्काया सावन!
नाच उठा मन मोर मगन हो,
झूम झूम के आया सावन!
ताल-तलैया, नदियाँ, सागर,
पल भर में भर आया सावन!
कालीन मखमली देख धरा पर,
थोड़ा सा सुस्ताया सावन!
बूँदों के सँग रास रचाता,
ख़ुद भी खूब नहाया सावन!
अम्बर का अनुराग धरा से,
देख देख मुस्काया सावन!
पुरवाई सँग याद सजन की,
अंतस को दे आया सावन,
विरही मन की दबी पीर को,
ज़ग-ज़ाहिर कर आया सावन!
बौछारों का रूप बना कर,
इठलाया, इतराया सावन!
झूले पर बैठी “नीलम” का,
आलिंगन कर आया सावन!
नीलम मुकेश वर्मा, झुंझुनूं राजस्थान