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पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों ने अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा:बिना जांच की जा रही कार्रवाई का विरोध, डाक बंगले से एसई कार्यालय तक निकाला पैदल मार्च


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पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों ने अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा:बिना जांच की जा रही कार्रवाई का विरोध, डाक बंगले से एसई कार्यालय तक निकाला पैदल मार्च

पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों ने अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा:बिना जांच की जा रही कार्रवाई का विरोध, डाक बंगले से एसई कार्यालय तक निकाला पैदल मार्च

झुंझुनूं : राज्य सरकार की विभिन्न सड़कों के निर्माण और रखरखाव कार्यों में जुटे सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के ठेकेदारों ने गुरुवार को झुंझुनूं में विभागीय अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। संयुक्त संवेदक संघर्ष समिति के नेतृत्व में जिलेभर से आए पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों ने डाक बंगले से अधीक्षण अभियंता कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला। इसके बाद कार्यालय के बाहर धरना देकर विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए।

ठेकेदारों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बनी सड़कों को स्थानीय किसान सिंचाई के लिए पाइप लाइन बिछाते समय या अपने निजी निर्माण कार्यों के चलते क्षतिग्रस्त कर देते हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी वास्तविक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय ठेकेदारों को ही दोषी ठहरा रहे हैं। बिना किसी तकनीकी जांच या स्थलीय निरीक्षण के ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जा रहा है और उनके भुगतान तक रोक लगाई जा रही है।

ठेकेदारों को बनाया जा रहा बलि का बकरा

ठेकेदारों ने बताया कि वे विभाग द्वारा स्वीकृत योजनाओं के तहत गुणवत्ता के साथ काम करते हैं, लेकिन जब सड़कों को कोई अन्य क्षति पहुंचाता है, तो विभाग ठेकेदार पर ही जिम्मेदारी थोप देता है। “हमारी जिम्मेदारी तब तक है जब तक कार्य पूर्ण होने के बाद विभाग से एनओसी नहीं मिलती, लेकिन कई बार सालभर बाद भी अगर किसी कारण से सड़क टूटी पाई गई तो दोष हम पर मढ़ दिया जाता है।

तकनीकी जांच की मांग

संयुक्त संवेदक संघर्ष समिति के सदस्य मोहरसिंह सोलाना ने कहा कि किसी भी शिकायत या सड़क क्षति की स्थिति में विभाग को पहले तकनीकी निरीक्षण कर असली कारण का पता लगाना चाहिए, न कि केवल ठेकेदार को लक्ष्य बनाना चाहिए। ठेकेदारों का कहना है कि कई मामलों में सिंचाई के पाइप फोड़कर पानी सड़क पर छोड़ दिया जाता है, जिससे सड़क की सतह टूट जाती है। ऐसी स्थिति में वास्तविक दोषी किसान या संबंधित विभाग होना चाहिए, न कि सड़क बनाने वाला संवेदक।

भुगतान में देरी, मनमानी कटौती भी मुद्दा

प्रदर्शन कर रहे ठेकेदारों ने यह भी आरोप लगाए कि विभागीय अधिकारियों द्वारा लंबे समय से भुगतान नहीं किए जा रहे हैं। कई बार बिना कारण बताएं या मामूली कमियों का हवाला देते हुए कटौती कर दी जाती है। कुछ ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि अगर वे अधिकारी के बताए अनुसार “सुविधा शुल्क” नहीं देते, तो उनके बिल रोके जाते हैं या फाइलों को लंबित रख दिया जाता है।

अधीक्षण अभियंता को सौंपा ज्ञापन

धरना स्थल पर ठेकेदारों ने एक स्वर में नारेबाजी करते हुए पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की। इसके बाद ठेकेदारों के प्रतिनिधिमंडल ने अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि ठेकेदार विभाग का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करना न केवल अन्याय है बल्कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और गति पर भी असर डालता है।

ज्ञापन ये रखी मांगें

  • सड़क क्षति मामलों में ठेकेदार पर कार्रवाई से पहले तकनीकी निरीक्षण अनिवार्य किया जाए।
  • असली दोषी की पहचान कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
  • भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और लंबित बिलों का शीघ्र निपटारा किया जाए।
  • ठेकेदारों की गरिमा और सम्मान बनाए रखने के लिए अधिकारियों के व्यवहार में सुधार लाया जाए।

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