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जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहा करंट से झुलसा मासूम:मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन; लोग बोले- अब तो बच्चों को बाहर भेजने से डर लगता है


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहा करंट से झुलसा मासूम:मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन; लोग बोले- अब तो बच्चों को बाहर भेजने से डर लगता है

जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहा करंट से झुलसा मासूम:मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन; लोग बोले- अब तो बच्चों को बाहर भेजने से डर लगता है

झुंझुनू शहर की अंसारी कॉलोनी में बिजली विभाग की लापरवाही बिजली करंट की चपेट आया 13 साल का बच्चा मौत और जिंदगी बीच झूल रहा है। वासिद पुत्र रफीक राजकीय बीडीके अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती है, जहां उसकी हालत गंभीर है।

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को प्रशासन और बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा बताया है। गुरुवार को जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर घायल बच्चे के परिजन को उचित मुआवजा देने और तत्काल प्रभाव से बिजली के खतरनाक पोल और तार हटाने की मांग की गई।

पहले भी हो चुके हैं हादसे

डीवाईएफआई (DYFI) तहसील अध्यक्ष योगेश कटारिया ने बताया कि अंसारी कॉलोनी और आसपास के इलाकों में लंबे समय से बिजली के पोल और झूलते तार जान का खतरा बने हुए हैं। उन्होंने कहा- यह पहली बार नहीं है जब करंट लगने की घटना हुई हो। इससे पहले भी कई बच्चे और बुजुर्ग झुलस चुके हैं, लेकिन बिजली विभाग और नगर परिषद की नींद नहीं खुली है।

कटारिया ने बताया कि डीवाईएफआई और अन्य संगठनों ने पहले भी बिजली की जर्जर व्यवस्था को लेकर ज्ञापन दिए थे, लेकिन न तो ट्रांसफॉर्मर हटाए गए और न ही तार भूमिगत किए गए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अब भी सुधार नहीं हुआ तो शहर व्यापी आंदोलन किया जाएगा।

अंसारी कॉलोनी में बिजली की चपेट में आने से गंभीर घायल हो गया
अंसारी कॉलोनी में बिजली की चपेट में आने से गंभीर घायल हो गया

बोले- बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर लगता है

अंसारी कॉलोनी निवासी रईस ने बताया कि उनका घर उसी गली में है जहां वासिद करंट की चपेट में आया था। रईस ने कहा- हम रोज इसी डर में जीते हैं कि कोई बच्चा बाहर गया तो तार से करंट न लग जाए। हादसे वाले दिन तो बिजली बंद भी नहीं की गई थी, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।

रईस का आरोप है कि कॉलोनी के लिए अलग से ट्रांसफॉर्मर लगाने की बात कई बार हुई, लेकिन सिर्फ कागजों में। आज तक न तो लाइन बदली गई और न ही पोल हटाए गए। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, प्रशासन नहीं जागेगा। मोहम्मद सदाम ने बताया कि कुछ महीने पहले उनके पड़ोस में भी करंट से एक महिला झुलस गई थी। हमने प्रशासन और निगम को लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बिजली के तार इतने नीचे लटकते हैं।

आरोप- धरातल पर नहीं हो रही कार्रवाई

सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद सिंघानिया ने सवाल उठाया कि क्या किसी गरीब बच्चे के मरने के बाद ही प्रशासन जागेगा? उन्होंने कहा- सरकार सर्वे तो करवा देती है, रिपोर्ट भी बन जाती है, लेकिन धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने मांग की कि प्रशासन इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराए और बिजली विभाग के लापरवाह अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।

पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय, मदद की दरकार

घायल बच्चे वासिद के परिजनों ने जिला प्रशासन को दिए ज्ञापन में बताया है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। इलाज का खर्च उठाना भी मुश्किल हो रहा है। ज्ञापन में मांग की गई कि बच्चे के इलाज का पूरा खर्च प्रशासन उठाए और साथ ही परिजन को आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाए। ज्ञापन में यह भी लिखा गया है कि बार-बार शिकायतों और हादसों के बावजूद विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया, और अब एक मासूम जिंदगी मौत से संघर्ष कर रही है।

प्रमुख मांगें:

  • घायल बच्चे के परिवार को कम से कम ₹5 लाख का मुआवजा दिया जाए।
  • वार्ड 57-58 में लगे जर्जर पोल और झूलते तारों को तत्काल हटाया जाए।
  • बिजली लाइन को बस्ती से हटाकर सुरक्षित क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए।
  • कॉलोनी में चल रहे ट्रांसफॉर्मर प्रोजेक्ट की निष्पक्ष जांच हो।
  • जिम्मेदार अधिकारियों पर लापरवाही का मामला दर्ज किया जाए।

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