झुंझुनूं में BJP प्रवक्ता कृष्णकुमार जानू को कारण बताओ नोटिस
जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर उठाया था सवाल; अनुशासनहीनता पर की कार्रवाई

झुंझुनूं : झुंझुनूं में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कृष्ण कुमार ने झुंझुनू भाजपा जिलाध्यक्ष हर्षिनी कुलहरि की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए थे। इसे अनुशासनहीनता माना गया। अब उन्हें नोटिस जारी किया गया है। पाटी की रीति-नीति और निर्णयों के खिलाफ सार्वजनिक टिप्पणी करने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
फेसबुक पोस्ट के जरिए उठाए थे नियुक्ति पर सवाल…

नोटिस में लिखा- हर्षिनी को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी की, यह अनुशासनहीनता
प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत द्वारा जारी इस नोटिस में कृष्ण कुमार जानू को संबोधित करते हुए लिखा गया है- आपके विरुद्ध यह आरोप है कि आपने समय-समय पर पार्टी की रीति-नीति और निर्णयों के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से अपनी टिप्पणियां की हैं।
नोटिस में लिखा है-भाजपा झुंझुनू जिलाध्यक्ष हर्षिनी कुलहरि की नियुक्ति के संबंध में सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की गई है जो पार्टी के संविधान में वर्णित अनुशासनहीनता की परिभाषा में आता है।
पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कृष्ण कुमार जानू को 7 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि वे निर्धारित समय-सीमा के भीतर समुचित उत्तर प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो यह माना जाएगा कि उन्हें उक्त आरोप के संबंध में कुछ नहीं कहना है, और इसके बाद पार्टी नियमानुसार आगे की कार्यवाही करेगी।

“नियम 45: फिर छोटी उम्र की जिला प्रमुख को अध्यक्ष बनाया? जिनकी जेब में पैसा है वही सच्चा-बड़ा कार्यकर्ता…”
केके जानू ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “नियम 45: फिर छोटी उम्र की जिला प्रमुख को अध्यक्ष बनाया? जिनकी जेब में पैसा है वही सच्चा-बड़ा कार्यकर्ता…” कृष्ण कुमार जानू ने हर्षिनी कुलहरि की झुंझुनू जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया में अपनी असहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कुलहरि की नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर प्रक्रियाओं और योग्यता पर सवाल उठाए थे। जिससे पार्टी की छवि और आंतरिक एकजुटता पर सवाल खड़े हुए थे।
केके जानू ने लिखा था “पैसा हो तो कार्यकर्ता अपनी बात रखने का हक मिलता है, राजनीतिक दलों में कार्यकर्ता के पास पैसा नहीं तो उसे अपनी बात रखने का हक भी नहीं है। पैसे से ही कार्यकर्ता को पद, प्यार और अपनी बात रखने का हक मिलता है। जिनके जेब में पैसा है वही सच्चा, बड़ा, उपयोगी कार्यकर्ता है…।”
