झुंझुनू में कुदरत का कहर:ओलावृष्टि ने किसानों की तोड़ी कमर, मुआवजे की आसगुढ़ा गोड़जी क्षेत्र में ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को भारी नुकसान
झुंझुनू में कुदरत का कहर:ओलावृष्टि ने किसानों की तोड़ी कमर, मुआवजे की आसगुढ़ा गोड़जी क्षेत्र में ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को भारी नुकसान

गुढ़ागोड़जी : गुढ़ागोड़जी क्षेत्र में एक दिन पूर्व हुई ओलावृष्टि और तेज बारिश ने किसानों की महीनों की मेहनत को पल भर में मिट्टी में मिला दिया। क्षेत्र के दर्जनों गांवों में करीब 15 से 20 मिनट तक बेर के आकार के ओले गिरने से खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह से तबाह हो गईं।
इस प्राकृतिक आपदा ने लाल प्याज, प्याज बीज और विभिन्न हरी सब्जियों की फसलों को भारी क्षति पहुंचाई है। खेतों में पहले से खोदी गई प्याज पर ओलों और बारिश का दोहरा मार पड़ा है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
ओलावृष्टि की तीव्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्याज की फसल के छिलके तक उड़ गए। तरबूज और खरबूजे के साथ-साथ अन्य मौसमी सब्जियां भी पूरी तरह से नष्ट हो गईं।
किशोरपुरा गांव में तो ओलावृष्टि की चपेट में आकर तीन बकरियों की मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गईं।
इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित गांवों में गुढ़ाबावनी, हीरवाना, मैनपुरा, चंवरा, किशोरपुरा, रामपुरा, बामलास, हुकमपुरा, गढला, नंगली, दीपसिंह, ककराना सहित दर्जनों गांव शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इतने बड़े आकार के ओले पिछले लगभग 25 वर्षों में पहली बार देखे हैं।
मेहनतकश किसानों की हालत बेहद चिंताजनक बनी हुई है। मेनपुरा गांव के किसान शिवकुमार ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उन्होंने तीन बीघा जमीन में प्याज और मूंग की फसल लगाई थी, लेकिन ओलों ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। उन्होंने आगे कहा, “हमने कर्ज लेकर बीज और खाद डाली थी, अब न फसल बची है न पैसा। सरकार से हमारी विनती है कि जल्द से जल्द सर्वे कर मुआवजा दिया जाए।”
एक अन्य किसान अशोक बराला ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में तरबूज और प्याज की खेती की थी। उन्होंने कहा, “तरबूज तो पूरी तरह खराब हो गए हैं और प्याज के छिलके तक झड़ गए हैं। खेतों में पानी भर गया है, जिससे बची-खुची फसल भी अब सड़ने लगी है।”
बृजेंद्र ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा, “हमने महीनों की मेहनत और हजारों रुपए की लागत से सब्जियों की खेती की थी, पर अब सब कुछ तबाह हो गया। अगर सरकार ने जल्द मदद नहीं की तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।”
किसानों के इस भारी नुकसान को देखते हुए जिला प्रशासन हरकत में आ गया है।
झुंझुनू कलेक्टर रामावतार मीणा ने तत्काल प्रभाव से नुकसान का प्राथमिक आकलन करने के लिए पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम को प्रभावित क्षेत्रों में भेजने के निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रशासन की ओर से शीघ्र मुआवजा प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया गया है।
ग्रामीणों और किसानों ने सरकार से पुरजोर मांग की है कि नुकसान का सटीक सर्वेक्षण कराकर उन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा प्रदान किया जाए, ताकि वे दोबारा खेती करने के लिए खुद को तैयार कर सकें।