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रोजा इफ्तार के बाद कैफ़ीन युक्त पेय पदार्थों से बचें – डॉ अबरार खान


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रोजा इफ्तार के बाद कैफ़ीन युक्त पेय पदार्थों से बचें – डॉ अबरार खान

रोजा इफ्तार के बाद कैफ़ीन युक्त पेय पदार्थों से बचें - डॉ अबरार खान

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान  

चूरू : जिला मुख्यालय पर‌ डॉ अबरार खान मेडिकल आफिसर रेलवे हेल्थ युनिट चूरू (रेलवे‌ अस्पताल)‌‌‌‌‌ ने कहा रोज़ा इस्लामिक धर्म का एक महत्वपूर्ण अरकान है। जिसे रमज़ान के महीने में हर मुसलमान पर फ़र्ज़ किया गया है। यह न सिर्फ़ जिस्मानी हीं नहीं बल्कि रूहानी और ज़ेहनी फायदे होते है ।

रोज़े का महत्व कई पहलुओं में देखा जा सकता है:

परहेज़गारी: रोज़ा रखना अल्लाह के हुकुम के अनुसार अपने आप को हर प्रकार की बुराई से दूर रखने की कोशिश करना है। यह आत्म-नियंत्रण और संयम सिखाता है।

समझ और संवेदनशीलता : रोजे के दौरान भूख और प्यास का अहसास होता है, जो इंसान को गरीबों और जरूरतमंद लोगों की स्थिति को समझने में मदद करता है। इस अनुभव के माध्यम से इंसान को गरीबों की मदद करने और उनकी स्थिति को समझने की प्रेरणा मिलती है।

गुनाहो की माफी : रमज़ान का महीना विशेष रूप से अल्लाह की रहमत और माफी का महीना है। रोज़ा रखने से गुनाहो की माफी मिलती है।

आध्यात्मिक वृद्धि : उपवास का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक भूख को सहन करना नहीं, बल्कि अल्लाह की तरफ नज़दीकी हासिल करना है। रोज़े के दौरान, नमाज़, तिलावत (कुरआन पढ़ना) और ज़िक्र (अल्लाह का जिक्र ) के ज़रिए व्यक्ति अपनी मजहबी फराइज को और बेहतर तरीके से निभाता है।

समूह और एकता : रमज़ान में रोज़ा रखने से मुस्लिम समाज में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है। एक ही महीने में सब एक साथ रोजा रखते हैं और सामूहिक रूप से इफ्तार करते हैं। जिससे सामाजिक ताल्लुकात मजबूत होते हैं। इस प्रकार, रोज़े का महत्व केवल शारीरिक भूख प्यास तक सीमित नहीं है। बल्कि यह एक व्यक्ति की आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। रोजा रखने से व्यक्ति में आत्म-अनुशासन और संयम पैदा होता है। रोजे के दौरान व्यक्ति को खाने-पीने के अलावा कई अन्य चीजों से भी दूर रहना होता है, जैसे कि झूठ बोलना, गाली देना, बुराई करना, और किसी को ठेस पहुंचाना। इससे व्यक्ति में धैर्य, सहनशीलता और आत्म-नियंत्रण जैसे गुण विकसित होते हैं।

रोजे रखने का सेहत पर असर : रोजे के दौरान लंबे समय तक बिना खाए-पिए रहने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है।यह नेचुरल तरीके से शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है ब्लड शुगर बेहतर रहता है ।ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। गैस अपच कब्ज से राहत मिलती है।रोजे के दौरान सेल्स शुगर की बजाय फैट का इस्तेमाल करती हैं, जिससे कोलेस्ट्रोल और बढ़ते वजन कम करने में मदद मिलती है। रोजा हानिकारक और कैंसर कारक कोशिकाएं को नियंत्रित करने में मदद करता है।

  • इम्युनिटी बढ़ती है : रोज़े से शरीर को आराम मिलता है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
  • ज़ेहनी फायदे : रोज़े से तनाव, चिंता और डिप्रेशन को दूर करने में मदद मिलती है।

रमजान के महीने के दौरान सावधानिया :

  • हाइड्रेटेड रहें : रोज़े के दौरान डिहाइड्रेशन से बचने के लिए इफ्तार खुलने से लेकर और सहरी के बीच खूब पानी पिएं
  • पौष्टिक भोजन करें : इफ्तार और सहरी में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।
  • कैफीन से बचें :‌ कैफीन युक्त पेय पदार्थों से बचें क्योंकि ये डिहाइड्रेशन का कारण बन सकते हैं तले हुए और भारी भोजन से बचें।  इफ्तार में तले हुए और भारी भोजन से बचें, क्योंकि ये अपच और थकान का कारण बन सकते हैं।
  • पर्याप्त नींद लें: रोज़े के दौरान पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे तनाव और थकान कम होती है।
  • यदि आप बीमार हैं तो डॉक्टर से सलाह लें : यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो रोज़े रखने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  • इफ्तार के बाद ज्यादा ना खाएं : इफ्तार के बाद ज्यादा खाने से बचें, क्योंकि इससे थकान और अपच हो सकती है।
  • खजूर से रोजा खोलें : खजूर से रोजा खोलना एक रिवायती और स्वस्थ तरीका है।
  • इफ्तार के बाद मीठे पेय से बचें : इफ्तार के बाद मीठे पेय, सॉफ्ट ड्रिंक,कोल्ड ड्रिंक से बचें, क्योंकि ये ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं. धूप से बचें: यदि संभव हो तो तेज धूप में बाहर जाने से बचें।

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