सीकर निवासी जवान सुल्तान सिंह की पार्थिव देह सोमवार शाम को उनके घर पहुंची, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.
जवान सुल्तान सिंह का बनेगा स्मारक, रींगस थाने पर धरने के बाद बनी बात, जानें पूरा मामला

सीकर: जिले के लाखनी में GREF जवान सुल्तान सिंह बाजिया की सोमवार शाम को अंत्येष्टि की गई. ASI महेश यादव के नेतृत्व में पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. जवान के पिता हरफूल सिंह और पुत्र साहिल को वर्दी और तिरंगा सौंपा गया. इस दौरान 12 वर्षीय पुत्र साहिल ने नम आंखों से मृतक जवान को मुखाग्नि दी. सुल्तान सिंह बाजिया का हिमाचल प्रदेश में हिमस्खलन से निधन हो गया था।

बाजिया को 4 जनवरी को सैन्य सम्मान देने के बाद हिमाचल प्रदेश के कुन्नुर जिले से पार्थिव देह को रींगस (सीकर) के लाखनी गांव के लिए रवाना किया गया। जहां आज सैन्य सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिला कलेक्टर, एसपी और पुलिस थाने पर सैन्य अधिकारियों ने पत्र भेजकर गार्ड ऑफ ऑनर की सूचना दी गई है।
सुल्तान सिंह के भतीजे राजेंद्र ने बताया- चाचा सुल्तान सिंह 19 साल की उम्र में 8 मार्च 2009 को सेना में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के तीन साल पुणे की 55 बटालियन, तीन साल सिक्किम की 29 बटालियन, तीन साल लद्दाख और 2022 से जम्मू हेडक्वार्टर पर तैनात थे। जहां से उन्हें हिमाचल भेजा गया था।

सुल्तान सिंह सीमा सड़क संगठन की जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स में तैनात थे. उनके अंतिम संस्कार के मौके पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सहित सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. वहीं, जवान सुल्तान सिंह बाजिया के पिता हरफूल सिंह के मुताबिक अधिकारियों से फोन पर बातचीत में सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों ने उन्हें 60 लाख रुपए के परिलाभ के साथ उनके पुत्र का स्मारक बनाए जाने पर सहमति दी है. जिसके बाद धरना समाप्त किया गया. हालांकि, सुल्तान सिंह को शहीद का दर्जा नहीं मिला है।

रींगस थाने पर धरने के बाद बनी बात
परिजनों ने जताया था विरोध :
हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों हिमस्खलन से जवान के निधन के मामले में सोमवार दिनभर गहमागहमी का माहौल देखने को मिला. परिजनों ने मृतक जवान को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर पार्थिव देह लेने से इनकार कर दिया. इस दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ रींगस थाने पर धरना दिया गया. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में हिमस्खलन से लाखनी निवासी सुल्तान सिंह बाजिया का निधन हुआ था।
लाखनी गांव के जवान सुल्तान सिंह बाजिया के परिवार और बड़ी संख्या में ग्रामीण उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे थे. उन्होंने शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर जयपुर-सीकर राष्ट्रीय राजमार्ग NH-52 पर जाम लगा दिया. इसके बाद रींगस पुलिस थाने पर धरना दिया गया. इस दौरान सांसद अमराराम, विधायक सुभाष मील और पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया सहित ग्रामीण मौजूद रहे।
होली पर लौटने का किया वादा :
सुल्तान सिंह बाजिया जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स में तैनात थे. उनका छोटा भाई भंवर सिंह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है. सुल्तान सिंह के 12 साल का बेटा साहिल 7वीं कक्षा में पढ़ाई करता है, जबकि पत्नी सुमन देवी घरेलू और खेती का कार्य करती हैं. वहीं, पिता हरफूल सिंह बाजिया खेती करते हैं. सुल्तान सिंह छुट्टी पूरी कर 8 दिसंबर को ड्यूटी पर हिमाचल गए थे. उन्होंने कहा था कि वे होली पर आएंगे।
सुल्तान सिंह के भतीजे राजेंद्र ने बताया कि 31 दिसंबर को उनके पुत्र साहिल का जन्मदिन था, तब फोन कर उन्होंने कहा था कि साहिल को जो सामान मांगे, वह जन्मदिन पर उसे दिलवा देना. इसके बाद नववर्ष पर परिजनों से बात हुई थी. 3 जनवरी को उनका फोन नहीं आया, तो परिजनों ने किया. इस पर अधिकारियों ने बताया कि सुल्तान बर्फबारी में जख्मी हो गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में हिमस्खलन के कारण जान गंवाने वाले रींगस (सीकर) के लाखनी गांव के जवान सुल्तान सिंह बाजिया (35) को अंतिम विदाई दी गई। लाखनी में जवान सुल्तान बाजिया को 12 साल के बेटे साहिल ने मुखाग्नि दी। सीकर में पुलिस थाना रींगस से जवान सुल्तान सिंह के पैतृक गांव लाखनी तक 12 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई थी।
सीकर में लोगों ने हाईवे किया जाम
इससे पहले, रींगस (सीकर) के जवान सुल्तान सिंह बाजिया को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग जोर पकड़ने लगी। सोमवार सुबह रींगस थाने के बाहर बड़ी संख्या में लोग धरने पर बैठ गए। इनके साथ BJP विधायक सुभाष मील खंडेला, सांसद अमराराम और पूर्व चिकित्सा मंत्री बंशीधर बाजिया भी मौके पर थे।
दोपहर में लोगों ने जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे-52 जाम कर दिया। रोड के दोनों ओर गाड़ियों की कतारें लग गई थीं। विधायक सुभाष मील ने लाखनी गांव में शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की। सेना की ओर से मुआवजा पैकेज बढ़ाकर 60 लाख रुपए किया गया। वहीं प्रशासन ने आश्रित को नौकरी का आश्वासन दिया। सहमति बनने पर जाम हटाया गया।







