नवलगढ : सीमेंट कंपनी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए एक परिवार ने कंपनी के गेट के सामने बुधवार को आत्मदाह का प्रयास किया। परिवार ने पहले तो लकड़ियों की चिता बनाई और उस पर बैठ गए। मौके पर पहुंचे पुलिस- प्रशासन ने परिवार के लोगों को वहां से उठाया और किसान को हिरासत में ले लिया। इस दौरान किसान परिवार ने पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा के नेतृत्व में जमकर नारेबाजी की। मामला झुंझुनूं के नवलगढ़ के गोठड़ा गांव का है।
किसान विद्याधर यादव का कहना है कि गोठड़ा गांव में सीमेंट फैक्ट्री के माइनिंग क्षेत्र में उनकी जमीन और मकान है। सीमेंट कंपनी व प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उनके परिवार को बंधक बनाकर उनके स्थाई आवास को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया। किसान ने सोमवार को कलेक्टर को ज्ञापन देकर इच्छामृत्यु मांगी थी और आत्मदाह की चेतावनी दी थी।
बुधवार को करीब साढ़े 11 बजे सबसे पहले किसान कंपनी के गेट के सामने पहुंचे और नारेबाजी की। किसान परिवार के यहां आने की सूचना पहले से ही प्रशासन के पास थी, इसलिए यहां जाप्ता तैनात किया गया था। दोपहर करीब एक बजकर 20 मिनट पर किसान पुलिस को चकमा देते हुए कंपनी के गेट के सामने पहुंच गया। परिवार के पहुंचने से पहले ही किसानों ने वहां चिता सजा दी थी। फिलहाल किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल कंपनी के अधिकारियों से बात करने के लिए कंपनी के अंदर गया है। अंदर बातचीत चल रही है। फिलहाल मौके पर भारी भीड़ और पुलिस जाप्ता तैनात है।
राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर मांगी थी इच्छा मृत्यु
इससे पहले किसान विद्याधर यादव ने नवलगढ़ एसडीएम और झुंझुनू कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। ज्ञापन में न्याय नहीं होने पर आत्मदाह की चेतावनी दी थी। परिवार ने सीमेंट कंपनी के अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
सीमेंट कंपनी पर परिवार को बंधक बनाने का आरोप
किसान विद्याधर यादव का कहना है कि गोठड़ा गांव में सीमेंट फैक्ट्री के माइनिंग क्षेत्र में उनकी जमीन और मकान है। सीमेंट कंपनी व प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उनके परिवार को बंधक बनाकर उनके स्थाई आवास को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया। सीमेंट कंपनी द्वारा उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया। लगातार विरोध करने पर कंपनी की ओर से उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।
यादव ने बताया -बहुत बार उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर इसकी शिकायत की। प्रशासनिक अधिकारी भी कंपनी की पैरवी कर रहे हैं। ऐसे में लगातार प्रताड़ित होने के कारण पूरे परिवार का जीना मुश्किल हो गया है। लगातार अधिकारियों के चक्कर लगाते लगाते उनका परिवार न्याय प्राप्ति के लिए थक चुका है। अब ऐसे में पूरा परिवार इच्छा मृत्यु चाहता है।
उन्होंने स्वयं सहित मां पतासी देवी, भाई सुखदेव, भाभी बनारसी देवी, पत्नी किरण देवी और बच्चों की इच्छा मृत्यु की मांगी थी। विधाधर यादव ने आरोप लगाया कि उनकी भूमि का उचित मुआवजा नहीं दिया गया और प्रशासन ने जबरन उनकी भूमि को अधिग्रहित कर लिया।
एसडीएम बोले-मुआवजा राशि एसडीएम ऑफिस में जमा, कभी भी ले सकते हैं किसान
एसडीएम जयसिंह ने कहा कि सीमेंट कंपनी विद्याधर व उसके भाई सुखदेव को उनके हिस्से की भूमि का निर्धारित मुआवजा देने के लिए तैयार है, लेकिन किसान खुद नहीं लेना चाह रहा। किसान परिवार कभी भी एसडीएम कार्यालय में आकर मुआवजा राशि का चेक ले सकता है।
एसडीएम का कहना है कि निर्धारित मुआवजा राशि तहसील कार्यालय में जमा करा दी गई है और बार-बार विद्याधर और सुखदेव से समझाइश की गई, लेकिन उन्होंने चेक स्वीकार नहीं किया। तहसीलदार और अन्य अधिकारियों ने उनके घर जाकर भी चेक देने का प्रयास किया, जिसे उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। जबकि समझौता पत्र पर विद्याधर यादव ने स्वयं हस्ताक्षर कर 26 लाख रुपए प्रति बीघा मुआवजा स्वीकार किया था। इसके बावजूद वह मुआवजा लेने से इनकार कर रहे हैं।
कंपनी ने बार-बार डिमांड बदलने का आरोप लगाया
सीमेंट कंपनी ने खनन क्षेत्र में आने वाले विद्याधर और सुखदेव के घर को सुरक्षा कारणों से हटाने की आवश्यकता जताई। सीमेंट कंपनी के यूनिट हैड एचसी गुप्ता ने बताया कि सीमेंट कंपनी समझौते के अनुसार मुआवजा राशि देने के लिए तैयार है, लेकिन किसान मुआवजा राशि लेने को तैयार नहीं है, वे बार- बार डिमांड बदल रहे हैं।
मंगलवार को भी किसान के घर गए थे अधिकारी और कंपनी के प्रतिनिधि
मंगलवार को तहसीलदार, गोठड़ा सीआई और सीमेंट कंपनी के प्रतिनिधि वापस उनके घर गए थे, लेकिन वे घर पर नहीं मिले। परिवार के सदस्यों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने मुआवजा राशि नहीं ली।
मामले में एसडीएम ने मंगलवार को बताया था कि गोठड़ा गांव में खसरा नंबर 1225, 1226, 1243 और 1241 की 3.118 हेक्टेयर भूमि सीमेंट कंपनी के खनन क्षेत्र में आती है। इस भूमि में से 1/3 हिस्सा विद्याधर यादव और उसके भाई सुखदेव यादव का है। इसके लिए राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 89 के तहत अतिरिक्त जिला कलेक्टर झुंझुनूं ने पांच जनवरी 2021 को निर्णय पारित किया, जिसमें भूमि का मुआवजा 22,47,773 रुपए प्रति बीघा तय किया गया था। बाद में 13 अक्टूबर 2023 को किसानों और सीमेंट कंपनी के बीच समझौता हुआ, जिसमें मुआवजा राशि को बढ़ाकर 26 लाख रुपए प्रति बीघा कर दिया गया। इसके अलावा, निर्माण लागत और अन्य मुआवजा मिलाकर कुल राशि 3 करोड़ 05 लाख 10 हजार 909 रुपए तय की गई।