सीकर की ऑनर किलिंग को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट माना:कोर्ट ने कहा- हत्यारा क्रूर-बर्बर हो चुका था, उसे मृत्युदंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं
सीकर की ऑनर किलिंग को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट माना:कोर्ट ने कहा- हत्यारा क्रूर-बर्बर हो चुका था, उसे मृत्युदंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं

सीकर : 5 साल 1 महीने पुराने ऑनर किलिंग मामले में कोर्ट ने 19 साल की युवती के पिता, चाचा-मामा और चचेरे भाइयों समेत 11 को सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस हत्याकांड को DIABOLICAL यानी राक्षसी बताया। कहा- हत्यारे (पिता) के पास पर्याप्त समय था कि वह अपने विवेक से काम लेता। यह घटना कोई आवेश में आकर पल दो पल में घटित घटना नहीं थी। यदि हत्यारा चाहता तो अपने कदम वापस ले सकता था। खुद को बचा सकता था। स्पष्ट है कि हत्यारा क्रूर और बर्बर हो चुका था। उसका अपनी 19 साल की बेटी की मासूमियत और इंसानियत से दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं था।
यह अपराध सामूहिक चेतना को झकझोर देने वाला था। इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट की कैटेगरी में रखते हुए मृत्युदंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।
कोर्ट ने कहा- यह कृत्य राक्षसी प्रवृत्ति का
मामले में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा- आरोपी ने अपने झूठे सम्मान के लिए 19 साल की निर्दोष पुत्री प्रेम और उसके प्रेमी गणपत की नृशंस हत्या का अपराध किया है। इस तरह के अपराध समाज की मानसिकता को झकझोरने और आमजन की सामूहिक चेतना को प्रभावित करने वाले है। आधुनिक प्रगतिशील युग में इस तरह के जघन्य अपराध की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह कृत्य अत्यंत राक्षसी प्रकृति का था। आरोपी की ओर से किया गया कार्य उसकी क्रूरतापूर्ण सोच की चरम सीमा को दर्शाता है।

मेरे भाई को आज न्याय मिला
पीड़ित के वकील एडवोकेट सीनियर राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया- ऑनर किलिंग की घटना 22 अक्टूबर 2019 की रात हुई थी। इसमें 19 साल की प्रेम (युवती) और उसके 37 साल के प्रेमी गणपत को लड़की के पिता, मामा-चाचा और चचेरे भाइयों ने मिलकर मार डाला था। इसके बाद 30 नवंबर 2024 को इसका फैसला आया।
गणपत के भाई बलदेव गोदारा ने कहा- मुझे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था कि मेरे भाई को न्याय जरूर मिलेगा। आज मेरे भाई को न्याय मिल गया।

गणपत को धोखे से बुलाया
सीनियर एडवोकेट राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया- 20 अक्टूबर 2019 की रात लड़की के पिता रामगोपाल निवासी आलोदा, दांतारामगढ़ ने बेटी को गणपत से बात करते हुए पकड़ लिया था। उसे मालूम चल गया था कि उसकी बेटी का प्रेम प्रसंग चल रहा है। अगले ही दिन 21 अक्टूबर की रात उसने अपनी बेटी प्रेम को बुरी तरह पीटा और उसे कहा कि गणपत को बुलाए।
दोनों के शव पहाड़ियों में फेंके थे
राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया- देर रात गणपत निवासी बाल्यावास, करड़ (सीकर) अपनी बाइक लेकर 30 किमी दूर पलसाना पेट्रोल पंप के पास पहुंचा। रामगोपाल की प्लानिंग के अनुसार, उसे (गणपत) उसके (रामगोपाल) परिवार के सदस्यों ने वहां से किडनैप किया और सीधे दांतारामगढ़ स्थित अलोदा ले आए। यहां 10 से ज्यादा लोगों ने प्रेम और गणपत के साथ बुरी तरह मारपीट की थी। इस मारपीट के दौरान दोनों की मौत हो गई। उनके शवों को रामगोपाल अपनी गाड़ी में डालकर जीणमाता-मांडोली की पहाड़ियों में सुनसान इलाके में फेंक दिया। इसके बाद खुद रामगोपाल ने खाटूश्यामजी थाने में अपनी ही बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। संदेह जताया कि कुछ अज्ञात लोग उसकी बेटी का किडनैप कर ले गए हैं।



दोस्त ने बताया तो खुला रहस्य
जब गणपत घर नहीं लौटा तो उसके भाई बलदेव ने उसकी छानबीन शुरू की। इसी दौरान गणपत के दोस्त सुरेश ने बलदेव को बताया कि 21 अक्टूबर की देर रात गणपत का कॉल आया था। उसके पीछे से झगड़ा होने की आवाज आ रही थी। इसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया। सुरेश ने ही उसके भाई को बताया था कि गणपत की बाइक पलसाना पेट्रोल पंप के पास खड़ी है। इसके बाद परिजनों ने अपने स्तर पर तलाश शुरू की और पेट्रोल पंप के फुटेज भी चेक किए। यहां से पता चला कि गणपत के साथ मारपीट हुई थी। कुछ लोग उसे किडनैप करके ले गए थे।
जानकारी पुख्ता होने के बाद बलदेव ने 23 अक्टूबर को रानोली पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया। बलदेव की रिपोर्ट पर रानोली पुलिस ने डेढ़ साल के अंतराल में अलग-अलग जगहों से 14 लोगों को गिरफ्तार किया। 5 साल 1 महीने बाद मामले में फैसला आया।

वकील बोले- सबूत मिटाने की कोशिश भी की थी
वकील हुड्डा बताते हैं कि इसमें 69 गवाह और 270 आर्टिकल पेश किए गए। घटनास्थल के सीसीटीवी कोर्ट की ओर से ट्रायल के दौरान देखे गए, जिनमें दोनों के साथ मारपीट होती नजर आ रही थी। वकील हुड्डा ने बताया- वारदात के अगले दिन हत्यारे सीसीटीवी फुटेज हटाने के लिए पंप पर भी गए। पंप संचालक ने फुटेज डिलीट करने से इनकार कर दिया। इसी के चलते गणपत के भाई बलदेव को पूरी घटना का पता चला और मामले का खुलासा हो सका।
इनको मिली सजा
रामगोपाल उर्फ गोपाल को मौत की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माना से दंडित किया गया है। चाचा महादेव, मामा परसराम चोपड़ा, चचेरे भाई महेंद्र चौधरी उर्फ महेंद्र मील, नंदलाल नंदकार, बीरबल, सोहनलाल, मदनलाल चांदीवाल, संदीप गुर्जर और बाबूलाल उर्फ हरनेक सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। राजेश चौधरी को 3 साल जेल और 20 हजार जुर्माना से दंडित किया। महेंद्र चोपड़ा, महेंद्र गुर्जर और छोटूराम उर्फ छोटू को बरी कर दिया है।
हत्या पर पर्दा डालने के लिए खाटूश्याम जी थाने में गुमशुदगी की झूठी रिपोर्ट दी। लेकिन, मुझे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था। – बलदेव गोदारा भाई
प्रेम और गणपत के साथ केबल की वायर से बुरी तरह मारपीट की गई थी। इसके बाद जान से मारकर फेंक दिया गया। – राजेंद्र हुड्डा वकील