झुंझुनूं : झुंझुनूं के राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल (बीडीके) में गुरुवार को जिस युवक को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक तैयार कर दी गई थी, उसकी इलाज के दौरान शुक्रवार सुबह हकीकत में मौत हुई है एक दिन पहले डॉक्टरों के मृत घोषित करने पर उसे दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया था, जहां चिता पर लिटाते ही उसकी सांसें चलने लगी थी, उसके बाद करीब 15 घंटे तक उसका इलाज चला। बगड़ के मां सेवा संस्थान में रहने वाले युवक रोहिताश (25) को तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार दोपहर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लाया गया था। जहां दोपहर 1.50 पर एक चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। दूसरे चिकित्सक ने कागजों में उसका पोस्टमार्टम कर संस्थान को सुपुर्द कर दिया। संस्थान के लोग जब उसे श्मशान घाट ले गए तो उसके शरीर में हलचल हुई और उसे शाम 6.24 बजे को वापस बीडीके अस्पताल लाया गया। जहां पर देर रात 2 बजे तक उसका इलाज चलता रहा। इसके बाद उसे जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल की इमरजेंसी ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमार्टम की हुई थी खानापूर्ति
मामला सुर्खियों में आने के बाद देर रात पीएमओ डॉ. संदीप पचार सहित युवक को मृत घोषित करने वाले डॉ. योगेश जाखड़ व पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. नवनीत मील को निलबित कर दिया गया। अब सामने आ रहा है कि डॉ. नवनीत मील ने उसका पोस्टमार्टम किया ही नहीं, बिना चीरफाड़ के ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट बना दी। डॉ. मील ने बिना पोस्टमार्टम के ही अपनी ऑपिनियन तक लिख भी दी। इसमें मौत का कारण फेंफड़े फेल होना, टीबी, सीओपीडी व अन्य कारण बता दिए। फिलहाल यह सामने नहीं आया कि डॉ. मील ने ऐसा क्यों किया। मामले में गठित टीम इसकी जांच कर रही है। प्रथमदृष्टया डॉक्टरों की घोर लापरवाही मानी गई है।
कमेटी का गठन, सात दिन में देगी रिपोर्ट
जीवित युवक को मृत घोषित करने के प्रकरण को लापरवाही मानते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देश पर कार्रवाई की गई है। साथ ही मामले की विस्तृत जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है। प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रकरण को बेहद गंभीरता से लेते हुए संयुक्त निदेशक जयपुर जोन डॉ. नरोत्तम शर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी में कांवटिया अस्पताल में मेडिकल जूरिस्ट डॉ. अजय श्रीवास्तव, डॉ. हिमत सिंह राठौड़ व ड़ॉ. धीरज वर्मा को शामिल किया गया है। कमेटी को 7 दिवस में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
एक परिवार ने किया दावा: हमारे बेटे से मिलती है शक्ल
विमंदित रोहिताश को लेकर पुलिस लाइन झुंझुनूं के पास रहने वाले एक परिवार ने खुद का बेटा होने का दावा किया है। जोधपुरिया परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि रोहिताश की शक्ल उनके बेटे बलबीर से मिलती जुलती है। बलबीर करीब एक साल से लापता था। पुलिस की टीम दावा करने वाले मांगीलाल को लेकर जयपुर रवाना हुई है। मांगीलाल ने एक फोटो भी दिखाई है। अब डीएनए जांच और अन्य प्रक्रिया से यह स्पष्ट होगा कि मृतक युवक रोहिताश, वास्तव में बलबीर है या नहीं। क्योंकि उसका रोहिताश नाम बगड़ की मां सेवा संस्थान ने रखा था।
साढ़े चार घंटे बिना उपचार के रहा, इलाज मिलता तो…
रोहिताश को गुरुवार दोपहर 1.50 बजे मृत घोषित किया। पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद पांच बजे उसे श्मसान घाट ले जाया गया। वहां उसके शरीर में हलचल हुई तो वापस करीब 6. 24 बजे बीडीके लेकर आए। इस दौरान करीब साढ़े चार घंटे तक वह बिना उपचार के रहा। लोगों का कहना है कि अगर साढ़े चार घंटे उसे इधर-उधर घुमाने की बजाय, निरंतर उपचार मिलता तो उसकी हालत में काफी सुधार हो सकता था।
पंचनामा भी बनाया था
सूत्रों का कहना है कि पोस्टमार्टम से पहले पंचनामा होता है। इसमें पांच जनों की सहमति लेकर साइन करवाए जाते हैं। पुलिस तहरीर बनाती है। इसके बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जाती है।
इनका कहना हैं…
रोहिताश की बॉडी के पंचनामा के समय हमारी पुलिस की टीम मौके पर मौजूद थी। पुलिस का काम है कि बॉडी को चिकित्सकों के पास पोस्टमार्टम के लिए ले लिए ले जाना। चिकित्सकों ने मृत घोषित का प्रमाण पत्र जारी किया था। – हेमराज मीणा, एसएचओ बगड़
राजस्थान उच्च न्यायालय ने लिया स्व प्रसंज्ञान : नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा
राजस्थान उच्च न्यायालय ने 22 नवबर 2024 को प्रकाशित समाचारों पर स्व प्रसंज्ञान लिया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष एवं न्यायाधिपति मनोज कुमार गर्ग ने इस मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि यह घटना जीवन के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह प्रकरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकारी अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण एक व्यक्ति का जीवन संकट में पड़ गया। न्यायाधिपति गर्ग ने इस मामले में नोटिस जारी कर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार जयपुर, जिला कलक्टर झुंझुनूं एवं मुय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी झुंझुनूं को दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई के लिए अनिरुद्ध पुरोहित को न्याय मित्र में नियुक्त किया है। किशोर न्याय समिति, राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर के वरिष्ठ सलाहकार राकेश कुमार चौधरी ने बताया कि इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने इस मामले को सार्वजनिक हित से जुड़ा मामला मानते हुए इसे जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने वाली खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।