अलवर : नीमराना (कोटपूतली-बहरोड़) की रैफल्स यूनिवर्सिटी में सोमवार को 20 साल के नितेश की हत्या की वजह एक महीने पहले हुआ मामूली विवाद था। झगड़ा इतना बढ़ा कि पेचकस नाक में घुसा दिया। यह दिमाग की नसों तक पहुंच गया और नितेश महलावत की दर्दनाक मौत हो गई।
नितेश एक दिन पहले ही चचेरी बहनों की शादी में शामिल होने के लिए डिस्चार्ज होकर घर आया था। डेंगू के चलते वह हॉस्पिटल में भर्ती था। सुबह 4 बजे बहनों की डोली विदा हुई थी, शाम को उसी घर से नितेश की अर्थी निकली।
बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। मां-बहन को बेहोशी के इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं। पिता बोले- अभी 20 नवंबर को उसे लड़की वाले देखने आने वाले थे। उससे पहले ही धोखे से नितेश की हत्या कर दी गई।
हत्या क्यों की गई? क्या वो विवाद था? घटना का हर पहलू जानने के लिए हमारी मीडिया टीम नितेश के घर पहुंची, फिर यूनिवर्सिटी कैंपस जाकर समझा कि उस दिन क्या घटनाक्रम हुआ था। पढ़िए- ग्राउंड रिपोर्ट…
बहन की बस एक ही जिद- भाई को ले आइए
‘चाचा मेरे भाई को वापस ले आओ, दो मिनट की कह कर गए थे, अब तक नहीं आए। मेरा एक ही भाई है। मेरे भाई को वापस दे दो।
इतना कहकर नितेश की छोटी बहन कीर्ति महलावत फूट-फूटकर रोने लगती है। घंटों बेहोशी के बाद जब होश में आती है तो फिर से नितेश को लाने की जिद करती है। चाचा गोवर्धन महलावत उसे समझाने की कोशिश करते हैं। उसे संभालते हुए खुद को भी रोक नहीं पा रहे और फूट-फूटकर रोने लगते हैं।
डेंगू के कारण हॉस्पिटल में भर्ती था
नीमराना के जाट बहरोड़ गांव स्थित जिस घर में मातम पसरा है, उसी घर में घटना (18 नवंबर) की सुबह 4 बजे (सोमवार) बहन की शादी की शहनाइयां बज रही थीं। चाचा गोवर्धन चौधरी और चचेरे भाई अशोक ने बताया कि नितेश को डेंगू हुआ था। प्लेटलेट्स कम होने पर वह नीमराना के सोनी देवी हॉस्पिटल में भर्ती था। इधर, 17 नवंबर को घर में दो चचेरी बहनों दिव्या और नेहा की शादी थी।
बहनों की शादी में शामिल होने के लिए नितेश शनिवार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचा था। 18 नवंबर की सुबह करीब 4 बजे बहनों को घर से विदा किया था। किसी ने यह नहीं सोचा था कि जिस घर से बहनों की विदाई हुई, उसी घर से शाम को भाई की अर्थी उठेगी।
मां बोली- नितेश मुझे धोखा दे गया
गोवर्धन (नितेश के चाचा) बताते हैं- नितेश की मौत से पूरा परिवार बदहवास हैं। नितेश की मां बार-बार एक ही बात कहती है कि मेरा नितेश मुझे धोखा दे गया। सदमे से तबीयत बिगड़ने पर उन्हें बार-बार बेहोशी के इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं। जैसे ही बेहोशी टूटती है नितेश का नाम लेकर उसे पुकारने लगती हैं।
जिस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई, उसी में हत्या
परिवार वालों ने बताया कि रैफल्स यूनिवर्सिटी से इसी साल जून में डी-फार्मा का डिप्लोमा पूरा करने के बाद नितेश नीमराना के सोनी देवी हॉस्पिटल में बीते छह महीने से काम कर रहा था। सोमवार को उसी यूनिवर्सिटी में झगड़े के बाद उसकी हत्या कर दी गई।
चचेरे भाई अशोक ने बताया कि हम बहन की शादी की तैयारियों में लगे थे। रविवार 17 नवंबर की शाम बहनों की बारात आनी थी। उससे पहले दोपहर करीब 1.30 बजे नितेश का दोस्त हिमांशु उसे यह कहकर अपने साथ ले गया कि पेट में दर्द की दवाई दिलवा कर लाता हूं। इसके बाद नितेश की अर्थी ही घर आई।
हम लोग शादी में व्यस्त थे। बहनों की विदाई 18 नवंबर सुबह करीब 4 बजे हुई। उसी दोपहर करीब 11.36 बजे हिमांशु ने छोटे भाई यादराम को फोन कर कहा- हॉस्पिटल आ जाओ, नितेश को लग गई है। इतना कहकर उसने फोन काट दिया।
अस्पताल में पहुंचे तो देखा कि नितेश की नाक और मुंह से खून रिस रहा था। उस पर बर्फ तोड़ने वाले नुकीले सुए से हमला किया गया था। नाक के बाएं छेद से हाेता हुआ नुकीला सुआ मस्तिष्क में जा घुसा था। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
पिता बोले- बेटे को धोखे से बुलाकर ले गए दोस्त
नितेश के पिता धर्मपाल महलावत कहते हैं- मेरे बेटे को धोखे से उसके दोस्तों ने यूनिवर्सिटी कैंपस बुलाया था। अब उन्हें इंसाफ तभी मिलेगा जब उनके इकलौते बेटे के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
नितेश को जुलाई में जब पहली सैलरी मिली थी तो मुझे देते हुए कहा कि पापा मेरी पहली सैलरी है इसे आप रखो। मैंने कहा इसे तू ही रख… तो बोला कि अब मैं आपको जल्द ही काम-धंधे की परेशानियों से फ्री कर दूंगा। अब आपको सर्विस स्टेशन पर गाड़ियां नहीं धोने दूंगा।
वह अपने साथ मेरी सारी उम्मीदें भी साथ ले गया। नितेश की दादी दया कौर पोते का नाम लेकर रोने लगती हैं। बार-बार बस एक ही बात कहती हैं कि मेरा पोता नहीं रहा। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है क्या करूं। अब तो बस पुलिस और प्रशासन से यही उम्मीद है कि मेरे बेटे को जल्द से जल्द इंसाफ मिले।
यूनिवर्सिटी में झगड़ा, किसी ने रोका क्यों नहीं
नितेश के परिजनों ने आरोप लगाया कि हिमांशु अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है, जबकि नितेश छह महीने पहले पास आउट हो चुका था। झगड़ा हिमांशु का था, जिसमें समझौता के लिए वह नितेश को अपने साथ ले गया था। दोनों इतने जिगरी दोस्त थे कि नितेश का फोन हिमांशु के फेस लॉक से खुलता था।
परिजनों का कहना है कि यूनिवर्सिटी में आए दिन लड़कों के झगड़े होते रहते हैं। यह झगड़ा भी सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में सुरक्षा इतनी लचर क्यों थी? क्यों किसी ने झगड़ा नहीं रोका?
दोस्त हिमांशु के पिता बोले- नितेश ले गया था साथ
हिमांशु के पिता नरेश यादव ने बताया कि नितेश 17 नवंबर की रात को उनके घर पर ही रुका था। 18 नवंबर की सुबह नाश्ता करके करीब 7.30 बजे नीमराना जाने की बात कहकर निकले थे। हमने 10.30 बजे हिमांशु को कॉल किया तब वह बोला कि मैं आ रहा हूं। 11.30 बजे तक नहीं लौटने पर हमने दोबारा कॉल किया। तब उसने बताया कि नितेश के चोट लगी है। दोपहर 1 बजे फिर से कॉल करने पर हिमांशु ने बताया कि नितेश की मौत हो गई है।
हिमांशु को पुलिस पकड़कर ले गई। हम थाने पहुंचे तो हिमांशु ने बताया कि नितेश का कुछ महीने पहले यूनिवर्सिटी में झगड़ा हुआ था। इसी बात पर 18 नवंबर की सुबह करीब 8 बजे सचिन नाम के लड़के को नितेश ने पीटा था। झगड़े के बाद दोनों वहां से चले गए थे। उसके बाद सचिन ने अपने साथियों को बुला लिया। हिमांशु और नितेश के वापस कॉलेज पहुंचने पर दोबारा झगड़ा हुआ, जिसमें नितेश को गंभीर चोट लग गई।
यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी डायरेक्टर बोले- बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए आया
यूनिवर्सिटी कैंपस में हुए इस घटनाक्रम को लेकर प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। कोई भी इस मामले पर कुछ बोलने को तैयार नहीं। गेट पर खड़े एक गार्ड ने बताया कि 18 नवंबर की सुबह करीब 8.30 बजे दोनों लड़के (नितेश और हिमांशु) कार से आए थे। नितेश कार चला रहा था और हिमांशु साथ बैठा हुआ था। दोनों वापस चले गए और फिर थोड़ी देर बाद लौटकर आए।
मेन गेट से 100 मीटर पहले ही लड़खड़ाकर गिरा
कैंपस के सिक्योरिटी डायरेक्टर श्रद्धानंद बताते हैं- 11.30 बजे तक झगड़े जैसी कोई बात नहीं थी। अचानक नितेश और हिमांशु का किसी दूसरे गुट के युवकों के साथ झगड़ा हुआ। नितेश पार्किंग से गेट की तरफ बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए दौड़ा आ रहा था। उसके हाथ में डंडा था। मुख्य द्वार से 100 मीटर पहले ही वह लड़खड़ाकर नीचे गिर गया। हिमांशु उसे कार में डालकर हॉस्पिटल लेकर गया, जहां उसकी मौत हो गई।
यूनिवर्सिटी कैंपस में आए दिन होते रहते हैं झगड़े
नितेश के परिजनों की मानें तो यूनिवर्सिटी में आए दिन झगड़े होते रहते हैं। यही वजह है कि कैंपस में पांच बाउंसर्स तैनात कर रखे हैं। 52 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी में सुरक्षा के लिए मात्र 14 गाड्र्स हैं। कैंपस में सीसीटीवी भी लगे हैं लेकिन जिस जगह झगड़ा हुआ, उस दिशा में लगे दोनों सीसीटीवी कैमरे कुछ कैप्चर ही नहीं कर पाए, क्योंकि वहां यूनिवर्सिटी की बसें खड़ी थीं। इससे यह भी आशंका जताई जा रही है कि झगड़ा करने के लिए सोच-समझकर उस जगह को चुना गया था।
एक महीने पहले कैंटीन में भिड़े, फिर 18 नवंबर को हुआ झगड़ा
मामले की जांच कर रहे नीमराना थाना इंजार्च महेन्द्र यादव ने बताया- मामले में शाजापुर निवासी अंकित यादव को पकड़ा है, जो यूनिवर्सिटी का ही छात्र है। पूछताछ में सामने आया कि झगड़े की वजह बेहद मामूली थी। करीब एक महीने पहले कैंटीन में रवि चौधरी और विशांत जोशी नाम के दो छात्रों में कंधा भिड़ने की बात पर गाली-गलौज हुई थी।
रवि चौधरी, हिमांशु यादव और नितेश आपस में दोस्त थे। उसी बात की रंजिश में 18 नवंबर को दोनों गुटों में झगड़ा हुआ। दोनों ही पक्ष किसी को मारने के इरादे से नहीं लड़ रहे थे। लेकिन पेचकस के नाक में घुसने से नितेश की मौत हो गई। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नितेश को पेचकस किसने मारा।
फिलहाल पुलिस टीमें दिल्ली और यूपी में अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दे रही हैं। नितेश के साथी हिमांशु का मेडिकल करवाया गया है। उसके भी दाएं कंधे पर नुकीले हथियार से चोट के निशान हैं।