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दादा-पिता सेना में रहे, ब्लू यूनिफॉर्म के सपने देखती थी:तेजस की पायलट मोहना सिंह नाना से सुनती थीं आसमान की कहानियां


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दादा-पिता सेना में रहे, ब्लू यूनिफॉर्म के सपने देखती थी:तेजस की पायलट मोहना सिंह नाना से सुनती थीं आसमान की कहानियां

दादा-पिता सेना में रहे, ब्लू यूनिफॉर्म के सपने देखती थी:तेजस की पायलट मोहना सिंह नाना से सुनती थीं आसमान की कहानियां

भारतीय वायुसेना की स्क्वॉड्रन लीडर मोहना सिंह (32) LCA तेजस उड़ाने वाली पहली महिला फाइटर पायलट हैं। बुधवार 18 सितंबर को वे LCA तेजस को ऑपरेट करने वाली ’18 फ्लाइंग बुलेट्स’ स्क्वाड्रन में शामिल हुईं। LCA तेजस पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे ‘मेड इन इंडिया’ पहल के तहत निर्मित किया गया है। मोहना सिंह जोधपुर में आयोजित ‘तरंग शक्ति 2024’ एयर एक्सरसाइज का हिस्सा थीं।

फाइटर प्लेन उड़ाते हुए स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह।
फाइटर प्लेन उड़ाते हुए स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह।

मोहना सिंह लगभग 8 साल पहले 18 जून 2016 को फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल होने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनी थीं। मोहना को हाल ही पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गुजरात सेक्टर में नलिया हवाई अड्डे पर एलसीए स्क्वाड्रन में तैनात किया गया था।

स्क्वाड्रन लीडर वायु सेना में एक कमीशन रैंक है, जो फ्लाइट लेफ्टिनेंट से ऊपर होता है और विंग कमांडर से ठीक नीचे होता है।

भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना के उप प्रमुखों ने जोधपुर में आयोजित किए गए ‘तरंग शक्ति 2024’ एयर एक्सरसाइज के दौरान स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस में उड़ान भरी थी।

नाना कमर्शियल फ्लाइट के पायलट थे, आसमान की कहानियां सुनाया करते थे

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पापड़ा गांव की जीतरवालों की ढाणी की रहने वाली हैं मोहना को पायलट बनने की प्रेरणा सबसे पहले अपने नाना श्रीकिशन से मिली थी। वे कॉमर्शियल फ्लाइट के पायलट थे। मोहना की प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल में ही हुई थी। वे नाना से आसमान की कहानियां सुनती थीं। नाना के साथ रहते हुए उसने दिल्ली में स्कूली शिक्षा पूरी और नाना को रोजाना एयरफोर्स की ड्रेस में देख वहीं से प्रेरित होकर उसने भी डिफेंस में जाकर अपना करिअर बनाने का निर्णय लिया। 2016 में मोहना ने फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल होकर अपना सपना पूरा किया।

मोहना के बारे में ज्यादा जानने के लिए हम पहुंचे झुंझुनूं शहर के पास खतेहपुरा गांव पहुंचे। जहां उनके माता पिता रहते हैं। मोहना के पिता प्रताप सिंह भी एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं। प्रताप सिंह एयरफोर्स में सेवा देकर 2021 में दिल्ली से वारंट ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। मां मंजू देवी अध्यापिका के पद से रिटायर्ड हैं। दोनों गांव में खेती कर रहे हैं।

मोहना सिंह की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन मोहित सिंह से 2021 में हुई।
मोहना सिंह की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन मोहित सिंह से 2021 में हुई।

दादा लांस नायक थे, शहादत के बाद मिला था वीर चक्र

मोहना के दादा लांस नायक लादूराम ने 1948 की लड़ाई में 11 फरवरी 1948 को शहादत दी थी। शहादत के बाद उन्हें सैन्य सम्मान मिला था। मोहना सिंह की शादी 14 नवम्बर 2021 में दिल्ली के बिजनेसमैन मोहित सिंह से हुई।

पता चला कि पूरा परिवार ही सेना को समर्पित है। बचपन से ही मोहना ने आसमान में उड़ने का सपना देखा।

मोहना के पिता भी एयरफोर्स में रहे, इसलिए हमने उन्हीं से सवाल किया कि बेटी ने राजस्थान को यह गौरव दिलाया। सफर कैसा रहा। उन्होंने कहा- मोहना की प्रेरणा की उसकी मां मंजू देवी रहीं।

मां ने कहा- उसे ब्लू रंग और यूनिफॉर्म बचपन से पसंद थी

मां ने कहा- इसी साल मई में मोहना सिंह गांव आकर गई थी। उसका चयन तेजस उड़ाने के लिए हुआ। दो महीने की ट्रेनिंग हुई। सभी टेस्ट पास करने के बाद मोहना तेजस उड़ाने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनी।

मोहना को बचपन से ही परिवार में सेना और वायुसेना का माहौल मिला। दादा, नाना, पिता सब डिफेंस में रहे। असली प्रेरणा नाना से मिली। मेरी दो बेटियां हैं। मोहना ने देश में नाम रोशन किया है।

घर के बड़ों को यूनिफॉर्म में ही देखा, उसे क्रेज था

मोहना के दादा, नाना, पिता सभी सेनाओं में रहे। वायुसेना के स्कूलों में ही उसकी पढ़ाई हुई। मैं वायुसेना स्कूल में टीचर रही। 10वीं के बाद भी उसने एयरफोर्स से जुड़ी स्टडी की। उसने अपने सभी बड़ों को यूनिफॉर्म में ही देखा। मंजू देवी ने बताया-

QuoteImageउसके नाना फ्लाइंग ब्रांच में थे। मालवाहक जहाज के क्रू मेंबर थे। उन्हें मोहना वर्दी में देखती, फ्लाइंग की कहानियां सुनती तो प्रेरित हो गए। हमारे पास आसमान की ही कहानियां थीं। QuoteImage

मोहना को बचपन से ब्लू यूनिफॉर्म का क्रेज रहा। आज भी नीला रंग उसका फेवरेट है। स्कूल में प्रोग्राम होते तो यूनिफॉर्म में महिला और पुरुष ऑफिसर आते। वे उसे स्मार्ट लगते थे। उनकी पोशाक देखकर ही वह मोटिवेट होती थी। परिवार का असर तो था ही। तो उसका फोकस उसी में हो गया।

तस्वीर में बीच में मोहना की मां मंजू देवी और मोहना के नाना-नानी।
तस्वीर में बीच में मोहना की मां मंजू देवी और मोहना के नाना-नानी।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, एक साल कंपनी में नौकरी की

मोहना ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। छह महीने एक कंपनी में नौकरी भी की। फिर लगातार वायुसेना में एंट्री के लिए एग्जाम देती रही। एसएसबी की तैयारी करती रही।

8 साल पहले 2016 में हमें बहुत खुशी मिली। जब देश की तीन बेटियां मोहना, अवनी और भावना एयरफोर्स में लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए चुनी गईं। सबसे बड़े गुरू इनके ट्रेनिंग से जुड़े मेंटोर्स होते हैं। वही अपने शिष्यों में चयन करते हैं कि कौन किस योग्य है। बारीक से बारीक चीजें सिखाते हैं।

मोहना सिंह 8 साल पहले फाइटर प्लेन उड़ाने वाली 3 महिलाओं में शामिल हो गई थीं।
मोहना सिंह 8 साल पहले फाइटर प्लेन उड़ाने वाली 3 महिलाओं में शामिल हो गई थीं।

एयरफोर्स में सिलेक्शन हुआ तो मां से पूछा- क्या करूं

मोहना का वायुसेना में सिलेक्शन हुआ तो उसने मुझसे पूछा था कि किस विभाग में जाऊं। मैंने कहा- अपने दिल की बात सुनो और तुम्हें तुम्हारे मेंटोर सही गाइड करेंगे। उसने कहा- मां, मैं फाइटर उड़ाने का सोच रही हूं। मैंने कहा- कोई भी फैसला लो, आपको उसके चैलेंज पता होना चाहिए। अगर उन चुनौतियां का सामना कर सकती हो तो जाओ, अपना रास्ता चुन लो। मां ने बताया-

QuoteImageपढ़ाई में मोहना एवरेज ही थी। वह क्लास में फर्स्ट आने वाली बच्ची नहीं थी। उसके मार्क्स 82-85 परसेंट के बीच ही आते थे। हमने कभी पढ़ाई का प्रेशर नहीं बनाया। उसमें एक अच्छी बात थी। वह खुद पढ़ती और साथी क्लासमेट्स को भी पढ़ाती थी।QuoteImage

एग्जाम के दौरान फ्रेंड्स के कॉल आते तो पढ़ाई में मदद करती। अब तक उसकी यही आदत थी। किसी टेस्ट की तैयारी कर रही होती तो कहती- मां, सामने बैठ जाओ, मैं आपको पढ़ाती हूं। यह उसके पढ़ने का तरीका है। इस तरह वह खुद को श्योर करती है।

पिता बोले- मैंने सिर्फ आर्थिक सपोर्ट किया और खुली छूट दी

पिता प्रताप सिंह- मैं इंडियन एयरफोर्स में साढ़े 37 साल सेवा देने के बाद 2021 में दिल्ली से रिटायर हो गया। मोहना का करियर बनाने में उसकी मां, नाना और मेरे पिता की प्रेरणा रही। मैंने सिर्फ आर्थिक सपोर्ट किया और लड़की को खुली छूट दी। कोई रोक-टोक नहीं लगाई। कहा- जो करना चाहती है कर, कोई काम हिचक के साथ मत करना। बस, गलत रास्ते पर मत जाना। बाकी मां ने ही पूरा गाइड किया।

सेना में जाना हमारी परंपरा है। मोहना उस परंपरा की तीसरी पीढ़ी है। मेरे पिता 1948 में शहीद हुए। मेरी मां को वीर चक्र दिया गया। मोहना का इस करियर को चुनना उसी तरह है जैसे बिजनेसमैन के बेटे-बेटी अपने आप ही बिजनेस से जुड़ जाते हैं। हम सेना में थे तो बच्ची के सपने सेना से ही जुड़ गए थे।

 

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