बीकानेर : भारत और अमेरिका की सेना का 72 घंटे का ‘काल्पनिक युद्ध’ गुरुवार से शुरू हो गया है। बीकानेर की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में धमाकों की गूंज सुनाई दे रही है। दोनों देशों के सैनिक मिलकर दुश्मन के ठिकानों को ढूंढकर ध्वस्त कर रहे हैं। ‘काल्पनिक युद्ध’ में दोनों देशों के 600-600 जवान हिस्सा ले रहे हैं। भारत की 9वीं राजपूत रेजिमेंट के जवान पैदल आगे बढ़ेंगे। वहीं अमेरिकी जवान एम 777 हॉवित्जर तोप को तैनात करने से पहले दुश्मन के ठिकानों की एक्यूरेसी (सटीकता) का पता करेंगे। पिछले 12 दिन तक दोनों देशों के जवानों ने जो कुछ भी एक-दूसरे से सीखा है, उसकाे ‘काल्पनिक युद्ध’ में अमल में लाएंगे।
फायरिंग रेंज में बनाए दुश्मन के गोपनीय ठिकाने काल्पनिक युद्ध के लिए 72 घंटे की कार्य योजना बनाई गई है। संयुक्त सेना की अलग-अलग टुकड़ियों को जिम्मेदारी दी गई है। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लंबे-चौड़े क्षेत्र में गोपनीय तरीके से दुश्मन के ठिकाने बनाए गए हैं। जहां पहले इंफेंट्री (पैदल सेना) कूच करेगी। पैदल सेना जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे पीछे चल रही टुकड़ियों को सूचना भी दी जाएगी।
एम 777 हॉवित्जर तोप से दुश्मन पर करेंगे हमला काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन के तहत ये जवान आतंकियों के ठिकानों को ढूंढ रहे हैं। इंफेंट्री SIG SAUER 716 राइफल कंधे पर तानकर आगे बढ़ रही है। राजपूत रेजिमेंट के जवानों की एक आंख राइफल के लेंस पर टिकी है। जैसे ही कोई टारगेट नजर आता है, वैसे ही ट्रिगर दबा दिया जाता है।
अगर कोई बड़ा टारगेट मिलता है या रिपोर्ट मिलती है तो सेना के इंफॉर्मेशन सिस्टम से पीछे चल रही एम 777 हॉवित्जर तोप के साथ मौजूद जवानों को रिपोर्ट किया जाएगा। युद्ध में सेना का एक टेक्निकल सिस्टम भी साथ में चल रहा है, जो युद्ध स्थल की एक-एक सेकेंड की रिपोर्ट आला अधिकारियों को देगा। इस सिस्टम के माध्यम से तोप सेना को बताया जाएगा कि टारगेट कहां है और कितना बड़ा है। इसके बाद एम 777 हॉवित्जर तोप से उस पर हमला किया जाएगा।
हेलिकॉप्टर से युद्ध में एंट्री मैदान में एक टीम हेलिकॉप्टर से उतरेगी। अमेरिका के अलास्का में तैनात 11 एयरबोर्न डिवीजन के जवान इस युद्धाभ्यास का हिस्सा हैं। ये जवान अलास्का में तैनात हैं, जहां पहुंचने के लिए कोई वाहन नहीं है। सिर्फ हेलिकॉप्टर से ही पहुंचा जा सकता है। यह तकनीक भारतीय जवान भी जानते हैं। ऐसे में दोनों मिलकर दुश्मन के ठिकानों से निश्चित दूरी पर हेलिकॉप्टर से उतरेंगे और सीधे युद्ध के मैदान में पहुंच जाएंगे।
हाई मोबेलिटी आर्टिलरी सिस्टम का उपयोग युद्धाभ्यास में अमेरिका और भारत दोनों हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल सीख रहे हैं। काल्पनिक युद्ध में 3 दिन तक इसी आर्टिलरी सिस्टम का सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला है। अमेरिकी हाई मोबेलिटी आर्टिलरी में अपने उस रॉकेट का उपयोग करेगा, जिसे रूस-यूक्रेन युद्ध में काम में लिया जा चुका है। 310 किलोमीटर मारक क्षमता वाले इस रॉकेट लॉन्चर का यहां करीब सौ किलोमीटर तक उपयोग हो सकता है। फिलहाल यह दुश्मन के काल्पनिक ठिकाने पर निर्भर करता है।
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