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शेखावाटी के भामाशाहों का मोहभंग आखिर क्यों ?


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शेखावाटी के भामाशाहों का मोहभंग आखिर क्यों ?

शेखावाटी के भामाशाहों का मोहभंग आखिर क्यों ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

शेखावाटी सेठ साहूकारों की खान रही है । यहां के भामाशाह सामाजिक सरोकार के लिए समर्पित थे । अस्पताल, स्कूल, कालेज, कुएं, बावड़ी बनवा कर समाज को समर्पित किये थे । हालांकि उनकी कर्म भूमि देश‌ के किसी भी कोने में रही हो लेकिन उनका लगाव मातृभूमि से रहा और समय समय पर समाज हित के कामों को सर्वोपरि रखा । समय बदला सामाजिक सरोकार पर अर्थ युग हावी हो गया । जिन्होंने अपने पुरखों के नाम को जीवंत रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और समाज हित के कार्यों को प्राथमिकता दी। वही विरासत अब मिटने के कगार पर है ।

पिलानी की बात करें तो जो कभी शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात रही है।और वहा‌ॅं शिक्षा प्राप्त करना आम आदमी की पकड़ में थी। क्योंकि यहां के भामाशाहों ने शिक्षा को व्यापार की दृष्टि से नहीं देखा। लेकिन दुर्भाग्य कि लड़कियों की पाडिया स्कूल , गोयनका स्कूल को बंद कर दिया गया। पिलानी की एकमात्र महाविद्यालय एमके साबू पीजी कॉलेज जो बंद होने के कगार पर है। जिसमें नये सत्र में प्रवेश नहीं ले रहे । इस महाविद्यालय में पिलानी व आसपास की लड़कियां पढ़ने आती थी । सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो देती है लेकिन पिलानी की इस कालेज के बंद होने को लेकर गंभीर नहीं है ।

इसी क्रम में चिड़ावा की प्रतिष्ठित स्कूल डालमिया उच्च माध्यमिक विद्यालय स्कूल की बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया। सूत्रों की मानें तो अब यहाॅं एक बङा शाॅपिंग काम्प्लेक्स बनेगा। चिड़ावा ही नहीं बल्कि जिले की शान रही यह स्कूल अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुकी है। इस स्कूल ने अनगिनत प्रतिभा देश व प्रदेश को दी है जो सर्वोच्च पदों पर आसीन देश की सेवा कर रहे हैं ।

अब एक ज्वलंत प्रश्न खड़ा होता है कि अपने पूर्वजों की ऐतिहासिक धरोहर को इतिहास बनाया जा रहा है । आखिर कौन से कारक है जिनकी वजह से इन भामाशाहों का अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव कम होने के साथ ही मोह भंग हो रहा है ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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