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जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक ही नगर निगम रहेगा:​​​​​​​यूडीएच मंत्री बोले- एक शहर-एक निकाय लागू होगा; 2025 में एक साथ होंगे चुनाव


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जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक ही नगर निगम रहेगा:​​​​​​​यूडीएच मंत्री बोले- एक शहर-एक निकाय लागू होगा; 2025 में एक साथ होंगे चुनाव

जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक ही नगर निगम रहेगा:​​​​​​​यूडीएच मंत्री बोले- एक शहर-एक निकाय लागू होगा; 2025 में एक साथ होंगे चुनाव

जयपुर : सरकार प्रदेश में वन स्टेट वन इलेक्शन के साथ ही एक शहर, एक निकाय का मॉडल भी लागू करेगी। इसके तहत ​जयपुर, जोधपुर और कोटा में बनाए गए दो-दो नगर निगमों को खत्म करके एक ही रखा जाएगा। पिछली कांग्रेस सरकार ने इन शहरों में एक की जगह दो-दो नगर निगम बनाए थे। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक शहर एक निकाय लागू करने का दावा किया है।

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जयपुर में अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि राजस्थान सरकार एक राज्य, एक चुनाव को लेकर मजबूती से डटी है और इसी दिशा में काम चल रहा है। जिन शहरी निकायों का सीमा विस्तार होना है, उसका काम किया जाएगा। सीमा विस्तार के बाद वार्डों का पुनर्गठन होगा। जब एक स्टेट, एक चुनाव हो रहा है तो एक शहर, एक निकाय भी लागू करेंगे। 2025 में सभी शहरी निकायों के चुनाव एक साथ करवाएंगे।

शहरी सीमाएं, वार्ड बदलने में अभी जनगणना रजिस्ट्रार जनरल की रोक एक शहर,एक निकाय और वार्डों के पुनर्गठन में सबसे बड़ी बाधा जनगणना रजिस्ट्रार जनरल की रोक है। 1 जुलाई से प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के आदेश जारी हो चुके हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय से यह रोक हटने तक सरकार वार्ड से लेकर शहर-जिले तक की सीमा में कोई बदलाव नहीं कर सकती। ऐसे हालात में वार्ड परिसीमन भी नहीं हो सकता, न बाउंड्री बदल सकती है। वार्डों के परिसीमन के बिना निकायों के चुनाव आगे बढ़ाने का कोई कानूनी रास्ता भी नहीं है।

वार्ड परिसीमन का तर्क देकर सरकार चुनाव आगे बढ़ा सकती है, लेकिन बिना रोक हटे यह संभव नहीं है। सीएम भजनलाल शर्मा ने 4 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें जनगणना रजिस्ट्रार जनरल के नई प्रशासनिक यूनिट बनाने, जिले, शहर, गांव, वार्ड की सीमाएं बदलने पर लगी रोक हटाने की मांग की थी। केंद्र की तरफ से इस मामले में फिलहाल कोई छूट नहीं मिली है।

दो निगम होने से सीमांकन का विवाद जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम के दो टुकड़े करने के बाद सीमांकन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद हुए। सफाई, सीवरेज, गार्डन, आवारा पशु और पट्टे जैसे मुद्दों को लेकर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी आपस में ही उलझे रहते हैं। जब किसी जिम्मेदारी की बात आती है तो अधिकारी और कर्मचारी उसे दूसरे निगम का बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं और भुगतना जनता को पड़ता है।

उदाहरण के तौर पर जयपुर नगर निगम में ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर नगर निगम हेरिटेज क्षेत्र में अवैध डेयरी पर कार्रवाई करने पहुंच गई थी, लेकिन जब उन्हें सीमा का पता चला तो बिना कार्रवाई के ही लौटना पड़ा था। जिस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्होंने कहा था कि भले ही डेयरी हेरिटेज क्षेत्र में है, लेकिन वहां के आवारा पशु ग्रेटर को गंदा कर रहे हैं। इसी तरह सफाई और सड़क जैसे मुद्दों को लेकर भी दोनों निगम में रार कायम है। जिसका खामियाजा सीधे तौर पर जनता को उठाना पड़ रहा है।

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