जयपुर : अशोक गहलोत के कार्यकाल में राजस्थान में 17 नए जिले बनाए गए थे। इन नए 17 जिलों के भविष्य का फैसला आज होना था। सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। बैठक में नए ज़िलों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में ललित के पंवार की रिपोर्ट पर मंथन किया गया। पर इस बैठक में आज ज़िलों को लेकर कोई फ़ैसला नहीं हुआ है। बैठक में यह तय हुआ है कि 15 दिनों बाद दोबारा सब कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी। उस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि नए जिलों का क्या होगा।
जन भावना के अनुरूप लिया जाएगा फ़ैसला – जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी
बैठक के बाद जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा, राजस्थान के 17 नए जिलों पर जन भावना के अनुरूप फ़ैसला किया जाएगा। जल्दबाज़ी में कई ज़िले बनाए गए हैं। जल्दबाज़ी में बने ये नए जिले सीमांकन, प्रशासनिक और क्षेत्रीय मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं। एक ज़िले पर करीब 2000 करोड़ रुपए का भार आता है। जनता के हित में ही निर्णय लिया जाएगा।
आज कमेटी किसी फाइनल निर्णय पर नहीं पहुंची – राजस्व मंत्री हेमंत मीणा
राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा, आज की बैठक में सारे पहलुओं पर विचार किया गया है। आज कमेटी किसी फाइनल निर्णय पर नहीं पहुंची है।
कमेटी अध्यक्ष ललित के पंवार ने 31 अगस्त को सौंपी थी रिपोर्ट
गहलोत सरकार ने जयपुर और जोधपुर जिले के विभाजन सहित 19 जिलों का गठन किया था। जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई थी। नए जिलों का गठन भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रामलुभाया की सिफारिश पर किया गया था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद नए जिलों की समीक्षा के लिए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में कैबिनेट सब कमेटी गठित की गई। जिसकी मदद के लिए एक जुलाई को पूर्व आईएएस ललित के पंवार के नेतृत्व में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई। कमेटी अध्यक्ष ललित के पंवार ने हर नए जिले में जाकर रिव्यू किया और 31 अगस्त को रिपोर्ट सौंपी।
इन जिलों पर होगा फैसला!
कुछ नए जिलों का आकार छोटा है। ऐसे में नजदीकी जिले के अन्य हिस्सों को जोड़कर मर्जर किया जा सकता है। छोटे जिलों में दूदू, खैरथल तिजारा, केकड़ी, सलूम्बर, सांचौर और शाहपुरा का नाम शामिल है। इसके अलावा डीग, गंगापुर सिटी, कोटपूतली-बहरोड़, नीमकाथाना, अनूपगढ़ और फलोदी को लेकर भी निर्णय लिया जा सकता है। वहीं, जयपुर और जोधपुर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को अलग-अलग जिलों में बांटने पर भी विवाद है। जिस पर भी बड़ा फैसला लिया जा सकता है।