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कांग्रेस का दोहरा चरित्र


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कांग्रेस का दोहरा चरित्र

कांग्रेस का दोहरा चरित्र

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

कांग्रेस सदैव ही तुष्टिकरण की राजनीति के लिए मशहूर है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी देश में जातिगत जनगणना की मांग बार बार कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनडीए के घटक दल भी जातिगत जनगणना के समर्थक हैं । जातिगत जनगणना का एक ही उद्देश्य है कि अब तक जो जातियां पिछड़ी हुई है उन्हें आरक्षण के दायरे में लाकर आरक्षण का लाभ दिलाया जा सके । इसमें किसी को भी शायद एतराज हो कि जो पिछड़ी व कमजोर जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हैं उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए और उनके बारे में राहुल गांधी को सोचना चाहिए । अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति में अनेक जातियां है जो पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का लाभ ले रही है इसके विपरीत बहुत सी जातियां हैं जिनको आरक्षण का पता ही नहीं है ।

राहुल गांधी जातिगत जनगणना को लेकर तो जोर दे रहे हैं लेकिन आरक्षण की पात्र जो जातियां इससे वंचित हैं उनको इसका लाभ दिलवाने को लेकर संवेदनशील नहीं है । सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति में आरक्षण से वंचित लोगो को उनका अधिकार दिलाने को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था । सात न्यायधीशों की पीठ के समक्ष विचार का मुद्दा यही था कि क्या अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग का उप वर्गीकरण किया जा सकता है ताकि आरक्षण का लाभ उनको भी मिल सके जो इससे वंचित हैं । इसको लेकर चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐतिहासिक साक्ष्य दर्शाते हैं कि अनुसूचित जातियां सामाजिक रूप से विषम वर्ग है और राज्य अनुच्छेद 15(4) व 16(4) में मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अनुसूचित जाति का उप वर्गीकरण कर सकता है , लेकिन यह उप वर्गीकरण तर्क संगत सिध्दांत पर आधारित होना चाहिए । इस फैसले को लेकर जो जातियां आरक्षण का लाभ लेकर मलाई खा रही थी उन्होंने इस फैसले के खिलाफ भारत बंद करवा दिया कि उनको उप वर्गीकरण मंजूर नहीं है । कांग्रेस जो जातिगत जनगणना की वकालत कर रही थी कि इसके द्वारा उन वंचितों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा कितना हास्यास्पद था कि कांग्रेस ने भारत बंद का समर्थन ही नहीं किया बल्कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़कों पर आ गई । कांग्रेस भारत बंद का समर्थन कर अपने दोहरे चरित्र का प्रमाण दे दिया कि उसको अपने वोट बैंक की खातिर राजनीति करनी है अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों के हितों से उसका कोई लेना-देना नहीं है । संविधान के निर्माताओं ने सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी लेकिन दुर्भाग्य कि इन्हीं जातियों में भेदभाव देखने को मिला । जो कांग्रेस व राहुल गांधी जातिगत जनगणना की आड़ में केवल वोटो की फसल काटने को आतुर थे उनका चेहरा देश के आवाम के सामने आ गया ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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