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लगता है भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणामों से सबक नहीं लिया


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लगता है भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणामों से सबक नहीं लिया

लगता है भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणामों से सबक नहीं लिया

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

प्रजातांत्रिक व्यवस्था में किसी भी नेता को अंहकार नहीं पालना चाहिए कि सता उसकी बपौती है। जिस नेता की कभी तूती बोलती थी उसको भी राज नारयण जैसे नेता ने हरा दिया था। लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीतकर भाजपा के नेताओं में अंहकार आ गया था उसी की परिणति थी कि अबकी बार चार सौ पार का नारा लगा रहे थे। लेकिन शायद भाजपा ने लोकसभा के नतीजों से सबक नहीं लिया जो उसके सांसद सार्वजनिक रूप से किसानों का अपमान कर रहे हैं। भाजपा की सांसद कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में कहा कि किसान आंदोलन में महिलाओं से रेप हो रहे थे व किसानों को मारकर लटकाया जा रहा था। यह वही कंगना रनौत है जिन्होंने कहा था कि आजादी 2014 के बाद मिली है। यह उस आजादी से वशीभूत होकर ही ऐसे अमर्यादित बयान देकर किसानों का अपमान कर रही है। हालांकि भाजपा ने उनके बयान से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि यह उनका निजी बयान है इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन भाजपा को यह सोचना होगा कि वह एक संवैधानिक पद पर विराजमान हैं और भाजपा की सांसद हैं। यदि यह बयान उनका निजी बयान है तो तुरंत उन पर कार्यवाही कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का काम भाजपा को करना चाहिए। उसके बाद जो बयान कंगना रनौत देगी वह उनके निजी बयान होंगे। चूकी कंगाना अभी भाजपा की सांसद हैं इसलिए उनका यह बयान निजी नहीं हो सकता।

अभी हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह बयान भाजपा के लिए ताबूत में कील का काम करेगा । देश के खुद्दार किसान उनके इस बयान का जबाब आगामी विधानसभा मे जरूर देंगे तब शायद भाजपा को अहसास होगा कि निजी बयान से क्या हो सकता है । भाजपा को इस बात का भान होना चाहिए कि इस देश की अर्थव्यवस्था में किसानों का बहू मूल्य योगदान है । इस तरह के बयानों से किसानों की भावनाओं को आहत किया है निश्चित रूप से इसका खामियाजा भुगतना होगा । राज्यसभा में एक वाक्या को लेकर सभापति ने कहा था कि एक किसान के बेटे का अपमान करना सभी किसानों का अपमान है । क्या कंगना रनौत के बयान से सभापति सहमत हैं जो किसानों का सरेआम अपमान कर रही है ।

इस अमर्यादित बयान को लेकर चौतरफा घिरी भाजपा ने कंगना रनौत को नसीहत दी है कि मिडिया में सोच समझ कर बयानबाजी करें । इस नसीहत का कंगना पर कितना प्रभाव पड़ता है यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा लेकिन कंगना रनौत जैसो का राजनीति में आना भारतीय राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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