राजस्थान के एयरफोर्स जवान का कर्नाटक में निधन:पार्थिव देह घर पहुंचते ही मां हुई बेसुध, सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
एयर फोर्स के जवान बलवीर सिंह का निधन:शहीद का दर्जा नहीं देने पर भड़के लोग, तीन घंटे प्रदर्शन के बाद तिरंगा यात्रा शुरू

नीमकाथाना : कर्नाटक के बेलगाम में राजस्थान के एयरफोर्स जवान बलवीरसिंह तंवर का निधन हो गया। 4 अगस्त को सेना के वाहन से हुए सड़क हादसे में घायल हुए जवान ने 21 अगस्त को 17 दिनों के इलाज के बाद मिलिट्री हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। गुरुवार को जवान के पार्थिव देह को नीमकाथाना स्थित उनके पैतृक गांव आगरी के सेडूडा लाया गया। जहां तिरंगा यात्रा के बाद सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
जवान बलवीर सिंह तंवर एयरफोर्स में टेक्नीशियन के पद पर तैनात थे। 4 अगस्त को वे बेलगाम यूनिट से हथियार जमा करवाने कारागार की ओर जा रहे थे, तभी सेना के वाहन से उनकी बाइक की टक्कर हो गई और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां 17 दिनों तक चले इलाज के बाद 21 अगस्त को उनका निधन हो गया।

22 अगस्त की सुबह करीब 5 बजे जवान के पार्थिव शरीर को एम्बुलेंस के जरिए नीमकाथाना सदर थाना लाया गया। हालांकि, पार्थिव देह को सैन्य सम्मान के साथ नहीं लाने पर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। तिरंगा यात्रा के लिए बड़ी संख्या में जुटे ग्रामीणों ने नाराजगी जताई और सैन्य सम्मान की मांग को लेकर नीमकाथाना-जयपुर बाइपास को जाम कर दिया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नीमकाथाना सदर और कोतवाली पुलिस ने मौके पर सुरक्षा व्यवस्था तैनात की। अतिरिक्त पुलिस बल भी बुलाया गया। इस दौरान राष्ट्रीय करणी सेना के अध्यक्ष शिव सिंह शेखावत भी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया। चार घंटे की बातचीत के बाद सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार पर सहमति बनी और मामला शांत हुआ।

दोपहर करीब 12 बजे तिरंगा यात्रा, नीमकाथाना थाने से सात किलोमीटर दूर स्थित पैतृक गांव गणेश्वर की सेडूडा ढाणी के लिए शुरू हुई। तीन किलोमीटर लंबी इस तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। रास्ते में स्कूली बच्चों ने जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
जवान के पार्थिव शरीर के घर पहुंचते ही उनकी मां बेहोश हो गईं। बार-बार बेसुध हो रही मां को परिजनों और रिश्तेदारों ने संभाला और डॉक्टरों की एक टीम भी उनकी देखभाल के लिए मौजूद रही। घर पर अंतिम दर्शन के बाद, पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए गणेश्वर मोक्षधाम तक तिरंगा यात्रा के रूप में ले जाया गया। जहां पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद सेना के जवानों ने गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद जवान के चचेरे भाई के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी।

नीमकाथाना सदर थाने से सात किलोमीटर दूर पैतृक गांव गणेश्वर गांव के सेडूडा की ढाणी तक तिरंगा निकाली जानी थी। गुरुवार सुबह 5 बजे सदर थाने एंबुलेंस से जवान का पार्थिव देह सदर थाने लाया गया। तिरंगा यात्रा के लिए लोग जुटने लगे, लेकिन सैनिक सम्मान से पार्थिव को नहीं लाने पर बात बिगड़ गई। 7.30 बजे तक थाने पर बड़ी संख्या में लोग जुट गए।
पुलिस की समझाइश के बाद भी लोग शहीद को सैन्य सम्मान देने की बात पर अड़ रहे। करीब 8 बजे लोगों ने थाने के बाहर नीमकाथाना-जयपुर बाइपास पर जाम लगा दिया। 10 मिनट में ही पुलिस ने जाम खुलवा दिया, लेकिन थोड़ी देर बाद ही लोगों ने वापस बैरिकेट्स लगाकर जाम लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया।
सूचना पर करणी सेना के राष्ट्रीय शिव सिंह शेखावत मौके पर पहुंचे। मांगों का समर्थन करने के साथ समझाइश का प्रयास किया गया। 12 बजे समझाइश के बाद तिरंगा यात्रा पैतृक गांव के लिए शुरू हुई। 3 बजे तिरंगा यात्रा पैतृक गांव सेडूडा की ढाणी पहुंची। अंतिम दर्शनों के बाद 3 बजे अंतिम संस्कार के लिए गणेश्वर मोक्षधाम ले जाया गया। जहां सैन्य सम्मान से शाम पांच बजे अंतिम संस्कार किया गया।


4 अगस्त को बेलगाम में हुआ था हादसा
जानकारी के अनुसार गणेश्वर के सेडूडा गांव के बलवीरसिंह राजपूत 4 अगस्त को बेलगाम यूनिट के शस्त्रागार में हथियार जमा कराने जा रहे थे, जब सेना के ट्रक से हुए हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन सिर में गंभीर चोट और ज्यादा खून बहने के कारण उनकी हालत बिगड़ गई और बुधवार को उनका निधन हो गया।
दो महीने बाद होने वाली थी शादी
बलवीरसिंह की 20 फरवरी को सगाई हुई थी और अक्टूबर में उनकी शादी तय थी। बलवीरसिंह अपने परिवार में चार बहनों के इकलौते भाई थे। उनके पिता सुंदरसिंह मजदूरी करते हैं। चार साल पहले बलवीरसिंह एयरफोर्स में भर्ती हुए थे। उन्होंने तीन बहनों की शादी कर दी थी, जबकि एक बहन अभी अविवाहित है। बलवीरसिंह की शादी और बहन की शादी एक ही दिन अक्टूबर में देव उठनी ग्यारस को तय थी।



