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हसीना को हटाने के लिए 16 महीने पहले प्लानिंग हुई:विपक्षी पार्टी ने अमेरिका की CIA से हाथ मिलाया; हसीना को ‘भारतीय एजेंट’ कहकर बदनाम किया


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हसीना को हटाने के लिए 16 महीने पहले प्लानिंग हुई:विपक्षी पार्टी ने अमेरिका की CIA से हाथ मिलाया; हसीना को ‘भारतीय एजेंट’ कहकर बदनाम किया

हसीना को हटाने के लिए 16 महीने पहले प्लानिंग हुई:विपक्षी पार्टी ने अमेरिका की CIA से हाथ मिलाया; हसीना को 'भारतीय एजेंट' कहकर बदनाम किया

शेख हसीना : 5 अगस्त 2024: वो तारीख, जब बांग्लादेश में शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। रात के करीब 1 बजे थे। भारतीय खुफिया एजेंसी का एक अधिकारी एक गुप्त लोकेशन पर था। फोन में टाइप करने में उसे वक्त लग रहा था।

उसने तमाम खुफिया जानकारी को एक सादे कागज पर लिखकर उसकी फोटो अपने कमांड सेंटर भेजना शुरू कर दिया। वो ये नोट्स लिखने के साथ ही अपने दिमाग में सारी घटनाओं को सिलसिलेवार तरीके से बैठाता जा रहा था। बांग्लादेश के तख्तापलट का पहला सिरा उसे 16 महीने पहले मिलता है…

मई 2023: बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी BNP के नेता अमेरिकी एजेंसी CIA के संपर्क आए
बांग्लादेश के चुनाव से पहले मई 2023 में अमेरिका के असिस्टेंट सेक्रेट्री ऑफ स्टेट डोनाल्ड लू और बांग्लादेश में अमेरिका के राजदूत पीटर हास एक लंच मीटिंग के लिए बांग्लादेशी राजदूत से मिले थे। इस मीटिंग के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी राजदूत को चेताया था कि अगर बांग्लादेश में स्वतंत्र चुनाव नहीं होते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों के अमेरिकन वीजा पर पाबंदी लगाने की तैयारी की जा रही है।

शेख हसीना ने अपने चुनावी अभियान में उन पर पड़ रहे अमेरिकी दबाव के बारे में इशारा किया था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी BNP के नेता अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के संपर्क में थे। लेकिन हसीना चुनाव कराने व जीतने में सफल रहीं। इसके बाद तख्तापलट पर तेजी से काम शुरू हुआ।

शेख हसीना के हेलिकॉप्टर में बैठने से पहले का वीडियो। यह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
शेख हसीना के हेलिकॉप्टर में बैठने से पहले का वीडियो। यह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

अक्टूबर 2023: हसीना को ‘भारतीय एजेंट’ बता उनके खिलाफ कैंपेन शुरू
अक्टूबर 2023 में बांग्लादेश में चुनाव के पहले से ही विपक्षी ​पार्टियों के कार्यकर्ता उन्हें ‘भारतीय एजेंट’ बताते आए हैं। इस कैंपेन को दो रंग दिए जा रहे थे। पहला- भारत ने बांग्लादेश को अपनी एक कॉलोनी या उपनिवेश बनाकर रखा है। शेख हसीना एक भारतीय एजेंट है, जिसने अपना तख्त बचाने के लिए देश को भारत को बेच दिया है।

अप्रैल 2024 में शेख हसीना सरकार ने एक आंतरिक सर्वे करवाया। इसके मुताबिक उनकी लोकप्रियता में चुनाव के बाद 10-15% की गिरावट देखी गई। कैम्पेन का असर दिखाना शुरू कर चुका था। यह बांग्लादेश में होने वाले तख्तापलट के शुरुआती रुझान थे, लेकिन इस योजना की शुरुआत इससे काफी पहले हो चुकी थी।

मार्च 2024: अमेरिकी राजदूत थाईलैंड गए, उसी बीच KNF को हथियारों पहुंचाए गए
6 जनवरी 2024 को बांग्लादेश में नई सरकार बनने के दो महीने बाद 8 मार्च 2024 को बांग्लादेश में अमेरिकी राजदूत पीटर हास बांग्लादेश छोड़कर सिंगापुर के लिए निकल गए। वहां से थाईलैंड होते हुए वे अमेरिका गए और 17 दिन बाद 26 मार्च 2024 को वापस लौटे।

इस दौरान आधिकारिक तौर पर थाईलैंड में कुछ दिन छुट्टियां मनाने के बाद वॉशिंगटन गए। अमेरिका में 117 से 119 पन्नों की एक खुफिया रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बांग्लादेश में चल रहे ‘मानवाधिकार हनन’ और ‘लोकतान्त्रिक अधिकार हनन’ पर ब्योरे दिए गए थे, जिसे अमेरिका के विदेश मंत्रालय और अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश किया जाना था।

खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च में ही आधुनिक हथियारों का एक शिपमेंट थाईलैंड से म्यांमार होते हुए बांग्लादेश के चिटगांव हिल्स की पहाड़ियों में बने KNF विद्रोहियों के पास पहुंचा। अप्रैल में चिटगांव हिल ट्रेक्स में KNF ने आतंकवादी गतिविधियां शुरू कर दीं।

2 अप्रैल 2024 को KNF ने बांग्लादेश के रूम उप-जिला के सोनाली बैंक में लूट-पाट की। इसके अगले दिन KNF विद्रोहियों ने थानची उप-जिला में सोनाली बैंक और कृषि बैंक की ब्रांच को लूटने की कोशिश की और पुलिस से 15 हथियार छीन लिए।

मई 2023 से बांग्लादेश सरकार और KNF के बीच शांति वार्ता चल रही थी। मार्च 2024 में दूसरे दौर की शांति वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद ही KNF ने फिर से बांग्लादेश सरकार के खिलाफ हथियार उठा लिए। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने मिलकर तख्तापलट प्लॉट का दूसरा पार्ट प्लान किया।

जून 2024: हसीना ने तख्तापलट रोकने के लिए अपने भरोसेमंद वजीर को आर्मी चीफ बनाया
हसीना ने संभावित तख्तापलट रोकने के लिए जून 2024 में अपने भरोसेमंद वकार-उ-जमा को आर्मी चीफ के पद पर नियुक्त कर दिया, लेकिन उनका यह कदम नाकाफी साबित हुआ। बांग्लादेश पर नजर रखने वाले एक इंटेलिजेंस सोर्स ने भास्कर को बताया कि प्रदर्शन को रणनीतिक तौर पर उस समय हिंसक किया गया, जब बांग्लादेश आर्मी के पास मोबलाइज होने की गुंजाइश सबसे कम थी।

जुलाई के आखिर में अक्सर आधा बांग्लादेश बाढ़ की चपेट में होता है। सिलहट में बांग्लादेश आर्मी की 17 और मेमनसिंह में 19वीं डिवीजन है। इसके अलावा बारीसाल में आर्मी की 7वीं डिवीजन है। इन तीनों जगह बाढ़ की वजह से आर्मी अपने सैनिकों को चाहकर भी ढाका नहीं बुला सकती थी।

इसके अलावा, राजशाही में आर्मी की 11वीं और रंगपुर में 66वीं डिवीजन है, लेकिन हिंसा की पहली वारदात इन्हीं इलाकों से शुरू हुई। इसके चलते यहां से बहुत सीमित मात्रा में सैनिकों को ढाका बुलवाया जा सका। आर्मी के पास प्रदर्शन के दौरान पूरी तरह से दो ही ऑपरेशन डिविजन बचीं।

एक खुलना में स्थित 55 डिवीजन और एक ढाका के पास मौजूद 9 डिवीजन। इन दो डिवीजन के जरिए प्रदर्शनकारियों को रोकना मुश्किल काम था। इंटेलिजेंस सूत्र बताते हैं, सैनिकों की कम तादाद के अलावा बांग्लादेश आर्मी के सामने एक और चुनौती थी। बांग्लादेश की आर्मी में बड़े पैमाने पर राजनीतिकरण है। खास तौर पर नीचे के रैंक में एक बड़ा तबका जमात-ए-इस्लामी की तरफ झुकाव रखता है।

अगर ऐसे में बांग्लादेश आर्मी प्रदर्शनकारी छात्रों पर गोली चलाने के आदेश देती तो आर्मी में विद्रोह होने का खतरा था। ऐसे में आर्मी ने कुछ ना करने में अपनी भलाई समझी। फिर जुलाई 2024 में पाक की खुफिया एजेंसी ISI ने जमात-ए-इस्लामी के जरिए छात्रों के प्रदर्शन में अपने आदमी घुसाने शुरू कर दिए। इसी के बाद यह प्रदर्शन हिंसक होता चला गया।

 

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