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सलमान को धमकी-फायरिंग, दाऊद के रास्ते पर चल रहा लॉरेंस:गैंग बनाने का तरीका D कंपनी जैसा; जेल में सेफ, इसलिए जमानत नहीं लेता


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सलमान को धमकी-फायरिंग, दाऊद के रास्ते पर चल रहा लॉरेंस:गैंग बनाने का तरीका D कंपनी जैसा; जेल में सेफ, इसलिए जमानत नहीं लेता

सलमान को धमकी-फायरिंग, दाऊद के रास्ते पर चल रहा लॉरेंस:गैंग बनाने का तरीका D कंपनी जैसा; जेल में सेफ, इसलिए जमानत नहीं लेता

लॉरेंस बिश्नोई गैंग : जगह मुंबई के बांद्रा का गैलेक्सी अपार्टमेंट। सुबह के करीब 4 बजकर 51 मिनट। बाइक से दो शूटर आए। पीछे बैठे शख्स ने पिस्टल निकाली और एक घर पर फायरिंग कर दी। ये घर बॉलीवुड स्टार सलमान खान का था। फायरिंग करवाने का शक लॉरेंस बिश्नोई पर था। वो पहले भी कई बार सलमान खान को धमकी दे चुका था।

कुछ देर बाद लॉरेंस के चचेरे भाई अनमोल बिश्नोई ने फेसबुक पोस्ट के जरिए फायरिंग की जिम्मेदारी ले ली। दो दिन बाद 16 अप्रैल को पुलिस ने गुजरात के भुज से दोनों शूटर्स को पकड़ लिया। लॉरेंस बिश्नोई अभी अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है। उसने जेल से ही 13 अप्रैल को दोनों शूटर्स से बात की थी। जेल में लॉरेंस सेफ है और आसानी से गैंग चला रहा है, इसलिए वो जमानत भी नहीं लेता।

आखिर लॉरेंस बिश्नोई जेल में रहते हुए कैसे गैंग चला रहा है, इसे समझने के लिए दैनिक भास्कर ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, यानी NIA की रिपोर्ट पढ़ी। NIA ने ये रिपोर्ट 2023 में तैयार की थी।

रिपोर्ट में लॉरेंस बिश्नोई के छोटे-मोटे क्राइम से लेकर इंटरनेशनल सिंडिकेट बनाने की पूरी कहानी है। साथ ही बताया है कि कैसे लॉरेंस ने भी दाऊद इब्राहिम की तरह अपनी गैंग तैयार की है।

दाऊद इब्राहिम की तरह बढ़ा लॉरेंस बिश्नोई का नेटवर्क
NIA ने अपनी रिपोर्ट में लॉरेंस बिश्नोई की तुलना दाऊद इब्राहिम से की है। पेज नंबर 50 पर इसका जिक्र है। लिखा है कि दाऊद की तरह ही लॉरेंस ने अपना नेटवर्क बढ़ाया है।

D कंपनी का सरगना दाऊद इब्राहिम ड्रग्स कारोबार से लेकर टारगेट किलिंग, वसूली और टेरर सिंडिकेट चलाता है। 1980 के दशक में वो चोरी, लूटपाट जैसे क्राइम करता था। इसके बाद लोकल ऑर्गनाइज्ड क्राइम करने लगा। धीरे-धीरे अपनी गैंग बना ली। इसे नाम दिया गया D-कंपनी। दाऊद छोटा राजन की मदद से नेटवर्क को बढ़ाता रहा।

1990 के दशक तक उसकी गैंग में 500 से ज्यादा मेंबर्स बन गए। साल में करोड़ों रुपए कमाने लगा। 10 से 15 साल में दाऊद इब्राहिम अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया। इसमें टेरर सिंडिकेट से बड़ी मदद मिली। 2003 में अमेरिका ने दाऊद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया था। वो 1993 के मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है। अमेरिका ने उस पर ढाई करोड़ रुपए का इनाम रखा है।

NIA का मानना है कि लॉरेंस बिश्नोई भी नॉर्थ इंडिया में ऑर्गनाइज्ड टेरर सिंडिकेट चला रहा है। उसने भी छोटे-मोटे क्राइम से शुरुआत की थी। इसके बाद गैंग बनाई। जिसके बाद उसका नेटवर्क तेजी से बढ़ा है।

दाऊद इ्ब्राहिम ने छोटा राजन की मदद से गैंग को बढ़ाया। उसी तरह लॉरेंस बिश्नोई ने गोल्डी बराड़, सचिन बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई, विक्रम बराड़, काला जठेड़ी, काला राणा के साथ मिलकर गैंग का नेटवर्क 13 राज्यों तक पहुंचा दिया।

ब्रांडेड कपड़े, विदेश में सेटल होने का ऑफर, गैंग से जोड़े 700 मेंबर
लॉरेंस बिश्नोई गैंग में अभी 700 से ज्यादा मेंबर्स हैं। NIA ने अपनी रिपोर्ट में गैंग के ऑपरेट होने की प्रोसेस बताई है। रिपोर्ट में लिखा है कि गैंग सिर्फ दो लोगों के आदेश पर चलती है। पहला लॉरेंस बिश्नोई और दूसरा गोल्डी बराड़। बड़ा क्राइम करने का फैसला लॉरेंस बिश्नोई का होता है।

गैंग में शामिल होने के लिए लड़कों को ब्रांडेड कपड़े, पैसे और विदेश में सेटल होने का लालच दिया जाता है। नए मेंबर फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए जोड़े जाते हैं।

लॉरेंस के लिए जेल से नेटवर्क चलाना ज्यादा आसान
रिपोर्ट में लिखा है कि लॉरेंस बिश्नोई के लिए जेल से कोई बड़ा क्राइम करवाना ज्यादा आसान है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस है। उस समय गैंग के 6 मेंबर जेल में थे।

लॉरेंस बिश्नोई और जग्गू भगवानपुरिया तिहाड़ जेल में, मनप्रीत उर्फ मन्ना फिरोजपुर जेल में, सरज सिंह उर्फ मंटू भटिंडा की स्पेशल जेल में और मनमोहन सिंह उर्फ मोहना मनसा जेल में था। ये सभी गोल्डी बराड़ के कॉन्टैक्ट में थे। इन्हें जैसे ही सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी कम होने की जानकारी मिली, इन्होंने जेल से ही सिद्धू मूसेवाला को मारने के लिए शूटर्स भेज दिए थे।

जेल में लॉरेंस बिश्नोई को कैसे सपोर्ट मिलता है, ये सवाल हमने सीनियर क्राइम जर्नलिस्ट आलोक वर्मा से पूछा। वे कहते हैं, ‘मैंने कई जेल अधिकारियों से इस पर बात की है। उनसे पता चला कि लॉरेंस सबसे बहुत अच्छे से बात करता है, चाहे वो वॉर्डन हो या फिर जेलर, या फिर जेल डीजीपी।

लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ कॉलेज के दोस्त, साथ में गैंगस्टर बने
NIA की रिपोर्ट में स्टेट पुलिस की जांच का जिक्र है। इसमें बताया गया है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ 2009 में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए थे। दोनों यूनिवर्सिटी के प्ले ग्राउंड में मिलते थे। जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए। दोनों अच्छे प्लेयर थे। साथ में खेलते थे।

2009-10 में लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी। ये मामला चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पुलिस स्टेशन का है। तब पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन पार्टी के अध्यक्ष उदय पर फायरिंग की गई थी। इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई को चंडीगढ़ जेल भेजा गया था।

जेल से बाहर आने के बाद लॉरेंस ने गोल्डी बराड़, विक्रम बराड़, अनमोल बिश्नोई, सचिन बिश्नोई और संपत नेहरा के साथ मिलकर गैंग बनाई। कॉलेज में दबदबा बनाने के लिए ये लोगों को धमकाने लगे। इससे छात्र राजनीति में उनका असर बढ़ने लगा।

यहीं से लॉरेंस बिश्नोई ऑर्गनाइज्ड क्राइम में शामिल हो गया। वो शराब माफिया, ड्रग स्मगलर्स और बिजनेसमैन से फिरौती मांगने लगा। 2012-13 में उस पर केस दर्ज हुए, तो उसने घर छोड़ दिया। फिर ग्रुप के साथ अलग-अलग शहरों में रहने लगा। 2017 में गोल्डी बराड़ कनाडा चला गया। वो स्टडी वीजा पर गया था। इसके बाद भी दोनों कॉन्टैक्ट में रहे।

गैंग में लॉरेंस के बाद उसका सबसे करीबी दोस्त गोल्डी बराड़ है। इसके बाद उसका चचेरा भाई सचिन बिश्नोई है। दो और मेंबर विक्रम बराड़ UAE और दरमनजोत कहलवां USA में रहते हैं। NIA की रिपोर्ट में दावा है कि लॉरेंस बिश्नोई सीधे किसी शूटर से बात नहीं करता है। वो गोल्डी बराड़, सचिन बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई के जरिए अपना मैसेज शूटर्स तक पहुंचाता है।

सलमान खान के घर पर फायरिंग केस में भी ऐसा ही हुआ। उसने दोनों शूटर्स से 13 अप्रैल को बात की थी। ये बातचीत अनमोल बिश्नोई ने सिग्नल एप के जरिए कॉन्फ्रेंस कॉल पर कराई थी।

लॉरेंस बिश्नोई जमानत नहीं लेता, जेल से गैंग ऑपरेट कर रहा, हवाला से फंडिंग
लॉरेंस गैंग में ऐसे शूटर्स भी हैं, जो एक साथ किसी क्राइम में शामिल होते हैं, लेकिन एक-दूसरे को जानते नहीं हैं। ये लोग किसी के जरिए खास जगह मिलते हैं। फिर टारगेट पूरा करते हैं। अगर कोई शूटर पकड़ा भी जाता है, तो वो दूसरे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता पाता। क्राइम के लिए फंडिंग की प्लानिंग लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़, जग्गू भगवानपुरिया और डरमन सिंह उर्फ डरमनजोत कहलवां करते हैं।

शुरुआत में ये गैंग पंजाब में ही एक्टिव थी। इसके बाद गैंगस्टर आनंदपाल की मदद से राजस्थान में एक्टिव हुई। धीरे-धीरे नॉर्थ इंडिया के दूसरे राज्यों में बढ़ती चली गई।

अभी लॉरेंस बिश्नोई जेल में रहते हुए सेफ तरीके से गैंग चला रहा है। यही वजह है कि वो जेल से बाहर नहीं आना चाहता। उसने जमानत के लिए अप्लाई भी नहीं किया है। भारत में फिरोती से मिले पैसे कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया भेजता है। ये पैसा वहां मौजूद फैमिली और गैंग मेंबर्स को मिलता है।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग की कमाई के तरीके- फिरौती, ड्रग्स और हथियार
लॉरेंस बिश्नोई की फंडिंग पर सीनियर जर्नलिस्ट आलोक वर्मा बताते हैं, ‘वसूली इस गैंग का सबसे बड़ा हथियार है। इससे गैंग करोड़ों रुपए कमाती है। ये अब ड्रग्स कारोबार से भी जुड़े हैं। पाकिस्तान से ड्रग्स की सप्लाई पंजाब और दूसरे राज्यों में कराने का सिंडिकेट भी चला रहे हैं।’

‘ये लोग पाकिस्तान से आई ड्रग्स बेचकर पैसा कमाते हैं, वो पैसा पाकिस्तान भेजकर हथियार मंगाते हैं। पाकिस्तान के रास्ते पंजाब में आए विदेशी और आधुनिक हथियारों का ये गैंग इस्तेमाल करती है। ये हम सिद्धू मूसेवाला मर्डर में देख चुके हैं। इसमें विदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।’

लॉरेंस ने जेल में रहते हुए तैयार किया नेटवर्क
NIA की रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई अभी 4 मामलों में दोषी करार दिया गया है। दुश्मन गैंग से इनकी लड़ाई चलती रहती है। गैंग उन पर हावी होती तो, उसके मेंबर्स खुद लॉरेंस से जुड़ जाते। इस तरह नेटवर्क चेन बढ़ता जाता है।

NIA की रिपोर्ट में कहा गया कि लॉरेंस का नेटवर्क जेल के अंदर रहते हुए ज्यादा मजबूत हुआ है। जेल में रहते हुए उसकी दूसरे गैंगस्टर से दोस्ती हुई। फिर इनके गुर्गों ने आपस में मिलकर जेल के बाहर नेटवर्क मजबूत किया। उसी नेटवर्क से फिरौती और टारगेट किलिंग करने लगे।

पंजाब के रास्ते जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश
NIA ने पंजाब में बढ़ते गैंगस्टर पर रिपोर्ट बनाई है। उसमें कहा गया है कि पंजाब का करीब 553 किमी एरिया इंटरनेशनल बॉर्डर से सटा है। ये बॉर्डर पाकिस्तान से जुड़ा है। इससे 456 गांव हैं। ये गांव इंटरनेशनल बॉर्डर से 5 किमी की दूरी पर हैं।

यहां के रास्ते जम्मू कश्मीर में घुसपैठ बढ़ने की आशंका है। पाकिस्तान पंजाब को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान बेस्ड प्रो-खालिस्तान ग्रुप पंजाब में हमले कर चुके हैं। बॉर्डर पार से हैंड ग्रेनेड, टिफिन बम, IED, RDX, RPG, पिस्टल जैसे हथियार आ रहे हैं। इनका इस्तेमाल टारगेट किलिंग में किया गया है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत के बाहर रहने वाले गैंगस्टर की मदद कर रही है। ये गैंगस्टर अब घोषित आतंकी बन चुके हैं। इनमें पहला नाम हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा का है। रिंदा अभी पाकिस्तान में है। लखबीर सिंह उर्फ लांडा और अर्शदीप उर्फ अर्श डल्ला कनाडा में हैं। NIA की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये गैंगस्टर अब पूरी तरह टेरर मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं।

दहशत फैलाने के लिए मूसेवाला का मर्डर या सलमान को टारगेट करने जैसी वारदात
क्राइम जर्नलिस्ट आलोक वर्मा कहते हैं, ‘सलमान खान के घर पर फायरिंग कराने के पीछे लॉरेंस का खास मकसद है। उसे लगता है कि लोग उसे हल्के में ले रहे हैं या फिर उसकी धमकियों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तब ये बड़ी वारदात करता है। सिद्धू मूसेवाला मर्डर इसका बड़ा उदाहरण है। इसी के बाद लॉरेंस सबसे ज्यादा चर्चा में आया था।

पिछले कुछ समय में उसे लगा होगा कि उसका खौफ फिर से कम होने लगा है। तब सलमान खान के घर पर फायरिंग करा दी। इससे ये साफ है कि वो सबसे बड़े सेलिब्रेटी पर भी फायरिंग करा सकता है तो दूसरे लोगों की सुरक्षा कितनी होती है। इससे उसका खौफ बढ़ेगा और गैंग फिरौती की रकम बढ़ा देगी। उसके टारगेट पर बॉलीवुड के अलावा भोजपुरी स्टार भी हो सकते हैं।

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