कौन है डॉक्टर के रेप-मर्डर को सुसाइड बताने वाला प्रिंसिपल:डॉ. घोष पर करप्शन के आरोप, रसूख इतना कि दो बार ट्रांसफर रुकवाया
कौन है डॉक्टर के रेप-मर्डर को सुसाइड बताने वाला प्रिंसिपल:डॉ. घोष पर करप्शन के आरोप, रसूख इतना कि दो बार ट्रांसफर रुकवाया
कोलकाता : ‘मैं आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डिप्टी सुपरिनटैंडैंट था। ये पिछले साल की बात है। मुझे समझ आया कि हॉस्पिटल का बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने में घपला हो रहा है। इस्तेमाल हो चुके इंजेक्शन और बोतलें उतने नहीं थे, जितना कचरा दिखाया जा रहा था।’
‘मेरे कहने पर जांच कमेटी बनी। पता चला कि डॉ. संदीप घोष के लोग कचरे में हेरफेर करके पैसे कमा रहे हैं। 2023 में जिस दिन मैंने रिपोर्ट सब्मिट की, उसी दिन एक घंटे के भीतर मेरा ट्रांसफर हो गया।’
अख्तर अली की बातों से डॉ. संदीप घोष की ताकत का पता चल जाता है। डॉ. घोष, कोलकाता के उसी आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल थे, जहां 31 साल की एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट्स पर गहरा घाव था। गला घोंटने से थायराइड कार्टिलेज टूट गया। पेट, होंठ, उंगलियों और बाएं पैर पर चोट के निशान हैं। उनके चेहरे पर इतनी ताकत से मारा गया कि चश्मे का कांच टूटकर आंखों में घुस गया। मामले में पुलिस के एक वालंटियर को अरेस्ट किया गया है।
इसके बावजूद हॉस्पिटल ने ट्रेनी डॉक्टर के परिवार को बताया कि उन्होंने सुसाइड किया है। आरोप है कि सुसाइड की थ्योरी डॉ. घोष ने ही दी थी। मामले की जांच कर रही CBI ने डॉ. घोष को बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वे नहीं गए। आखिर 16 अगस्त को CBI ने उनसे पूछताछ की।
संदीप घोष पहले कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल थे। वे सर्जन और आर्थोपेडिक्स के प्रोफेसर हैं।
हमारे मीडिया कर्मी ने डॉ. घोष को करीब से जानने वाले कुछ लोगों से बात की। इससे पता चला कि घोष न सिर्फ करप्शन के गंभीर आरोपों से घिरे थे, बल्कि उनका इतना रसूख था कि दो बार ट्रांसफर होने के बाद भी कोई उन्हें हटा नहीं पाया।
प्रिंसिपल बनने वालों की लिस्ट में उनका नंबर 16वां था, लेकिन वे रातोंरात पहले नंबर पर आ गए। एक स्टूडेंट ने तो उनसे परेशान होकर सुसाइड करने की कोशिश की।
नीट टॉपर स्टूडेंट, जिसने परेशान होकर सुसाइड की कोशिश की
अंजन सिन्हा पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रहने वाले हैं। उनका बेटा नीट टॉपर था। 2019 में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में MBBS में दाखिला लिया था। अंजन बताते हैं, ‘बेटे की NEET में 299 रैंक थी। फिजिक्स में सबसे ज्यादा नंबर लाने वालों में वो दूसरे नंबर पर था।’
‘हम बीरभूम के बहुत छोटे से गांव में रहते हैं। बेटा एक सपना लेकर कोलकाता गया था। संदीप घोष के प्रिंसिपल बनने से पहले तक सब ठीक था।। उनके आने के बाद कॉलेज का माहौल ही बदल गया।’
‘उन्होंने बहुत से बच्चों को परेशान किया। कोई भी उनके करप्शन और गड़बड़ी के बारे में बोलता, तो उसे टारगेट किया जाता। स्टूडेंट्स का एक ग्रुप घोष के लिए काम करता था। ये ग्रुप कई स्टूडेंट्स पर FIR दर्ज करवा देता था।’
‘संदीप घोष ने मेरे बेटे के किसी इवेंट में हिस्सा लेने, लाइब्रेरी या ऑडिटोरियम में जाने पर रोक लगा दी। मेरे बेटे को जिम, कॉमन रूम और यहां तक कि क्लास में बैठने की परमिशन नहीं दी। बेटे को कई बार फेल कर दिया। कई बार सस्पेंड भी किया है।’
अंजन सिन्हा आगे कहते हैं, ‘2021 में मेडिकल कॉलेज के बच्चों ने संदीप घोष के खिलाफ प्रोटेस्ट किया था। उनकी मांग थी कि लड़कियों के लिए अलग कॉमन रूम बनाया जाए। छात्र परिषद बनाई जाए, हॉस्टल के मैनेजमेंट को बेहतर किया जाए।
‘प्रोटेस्ट के वक्त प्रिंसिपल संदीप घोष ने छात्रों से कोई बात नहीं की। अक्टूबर में छात्र भूख हड़ताल पर बैठे थे। चार महीने बाद स्वास्थ्य भवन से लोग आकर छात्रों से मिले। उन्होंने तभी संदीप घोष को चेतावनी दी थी कि वे स्टूडेंट, इंटर्न और डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन नहीं लेंगे।’
‘मेरे बेटे ने इस प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया था। प्रोटेस्ट खत्म हुआ, तो संदीप घोष का कुछ छात्रों के साथ व्यवहार बदल गया। उसे सपोर्ट करने वाले स्टूडेंट मेरे बेटे को जान से मारने की धमकी देने लगे। उससे मारपीट करने लगे।’
‘अगले सेमेस्टर में संदीप घोष ने मेरे बेटे समेत कई छात्रों को फेल कर दिया। हर सेमेस्टर में वो यही करते रहे। उन्होंने सीनियर और जूनियर छात्रों से कहा कि वे मेरे बेटे से मेलजोल न रखें।’
आपने शिकायत नहीं की? इस सवाल के जवाब में अंजन सिन्हा कहते हैं, ‘कई बार हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम से मिला। डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन कौस्तुभ नायक और पूर्व DME अनिर्बान गांगुली से मिला। मैं कई बार स्वास्थ्य भवन भी गया। किसी ने संदीप घोष पर कोई कार्रवाई नहीं की।’
पूर्व प्रोफेसर बोले- संदीप घोष 16वें नंबर पर था, फिर भी प्रिंसिपल बन गया
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के एक पूर्व प्रोफेसर ने पहचान छिपाने पर संदीप घोष के बारे में बताया। वे बताते हैं, ‘मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति के लिए एक लिस्ट तैयार की गई थी। उस लिस्ट में संदीप 16वें नंबर पर था। कुल चार मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति होनी थी।’
‘रातों-रात संदीप घोष 16वें नंबर से पहले नंबर पर आ गया। उसे आरजी कर हॉस्पिटल मिल गया। इसके पीछे उसका पॉलिटिकल पावर था। संदीप को प्रिंसिपल बनाने के पीछे का मुख्य मकसद पैसों की वसूली करना था। नियुक्ति के बाद ही संदीप ने गलत काम करना शुरू कर दिया।’
‘वो गलत तरीके से बायो मेडिकल कचरे का निपटान कर रहा था। टेंडर से कमीशन लेता था। सब लेन-देन कैश में होता था। वो एकेडमी के फंड का भी गलत इस्तेमाल करता था। ये बात स्वास्थ्य भवन को पता थी। हमने कई बार शिकायतें कीं। फिर भी कुछ नहीं हुआ। पार्किंग में टू-व्हीलर पार्क करने के भी पैसे लिए जाते थे। इसके लिए कोई रसीद नहीं मिलती थी।’
दो बार ट्रांसफर के बाद भी नहीं छोड़ा केबिन
31 मई, 2023 को पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में नए प्रिंसिपल के लिए डॉ. संदीप घोष की जगह डॉ. सनथ घोष को नियुक्त करने का आदेश जारी किया। डॉ. सनथ घोष अस्पताल पहुंचे, तो उनके कमरे के बाहर ताला लगा था। 24 घंटे के भीतर ट्रांसफर का ऑर्डर बदल गया। डॉ. संदीप घोष प्रिंसिपल बने रहे।
11 सितंबर, 2023 को डॉ. घोष का मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया। उनकी जगह डॉ. मानस कुमार बंदोपाध्याय को नियुक्त होना था। कुछ छात्रों ने इस तबादले का विरोध किया। ट्रांसफर के एक महीने के भीतर 9 अक्टूबर, 2023 को डॉ. घोष को आरजी कर हॉस्पिटल में बहाल कर दिया गया।
प्रोफेसर बताते हैं, ‘साल 2023 में स्वास्थ्य भवन ने संदीप घोष के खिलाफ जांच शुरू की थी। इसके बाद संदीप का ट्रांसफर कर दिया गया। इस बार भी हेल्थ सेक्रेटरी को कदम पीछे खींचने पड़े। दूसरी बार स्वास्थ्य भवन ने सख्त एक्शन लिया, लेकिन घोष के समर्थन वाले इंटर्न उसके बचाव में खड़े हो गए।’
हमारे मीडिया कर्मी को संदीप घोष के खिलाफ कई कंप्लेंट लेटर मिले हैं। इस मामले में हमने कॉलेज के पूर्व डिप्टी सुपरिनटैंडैंट अख्तर अली से भी बात की।
वे बताते हैं, ‘हॉस्टल में छात्रों से वसूली होती थी। ये काम घोष के लिए छात्रों का एक ग्रुप करता था। मैंने मेडिकल सुपरिनटैंडैंट को बताया, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। मैंने एंटी-करप्शन ब्यूरो को भी लिखा। वहां से भी कुछ नहीं हुआ। मैं ममता बनर्जी के OSD से मिला और सारी बात बताई। इसके बाद मुझे धमकी वाले कॉल आने लगे।’
रिपोर्ट के अहम पॉइंट
- जांच के दौरान पाया गया कि आरजी कर हॉस्पिटल में लगातार बहुत कम मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहा था, जिससे शक पैदा हुआ।
- शंकर राउत और उनकी टीम बायो मेडिकल कचरा इकट्ठा करने का काम कर रही थी।
- शंकर और उसकी टीम अफजल और अफसर खान के साथ काम कर रही थी, जो संदीप घोष के करीबी हैं।
- यह रिपोर्ट इस तथ्य को भी सामने लाती है कि रिपोर्ट सब्मिट करने के बाद जांच समिति के सदस्यों का ट्रांसफर कर दिया गया था।
अख्तर अली डॉक्टर संदीप घोष पर कई और बड़े आरोप लगाते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए 20 लोग लगे थे। वे चार बाउंसर साथ लेकर चलते थे। संदीप घोष लावारिस शवों को निजी अस्पतालों को दे देता था। शव परीक्षण के लिए आने वाले शवों का इस्तेमाल मरने वालों के माता-पिता की सहमति के बिना प्रैक्टिकल के लिए किया जाता था।
परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को पास कराने के लिए 8 से 10 लाख रुपए लिए जाते थे। यह पैसा जूनियर डॉक्टर वसूलते थे। जो लोग MBBS पास करना चाहते थे, उनके लिए रेट तीन लाख तय किया गया था। घोष के अधीन 10-12 जूनियर डॉक्टर थे, जो शराब सप्लाई भी करते थे।’
TMC के पूर्व राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने भी आरोप लगाया है कि घोष अपनी मंडली के जरिए कॉलेज चलाता था। घोष पर क्वेश्चन पेपर लीक जैसे आरोप भी हैं।
घोष का समर्थन करने वाले स्टूडेंट बोले- जिन्हें दिक्कत थी, वे बदला ले रहे
हमने डॉ. संदीप घोष का समर्थन कर रहे कुछ स्टूडेंट से भी बात की। हाउस स्टाफ कुणाल बताते हैं, ‘संदीप घोष और कुछ स्टूडेंट्स का नाम जबरदस्ती लिया जा रहा है। छात्रों की आपसी लड़ाई को गलत तरह से पेश किया गया है।’
‘संदीप घोष के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन वो इतने बड़े कॉलेज के प्रिंसिपल थे, उनके खिलाफ प्रदर्शन कोई बड़ी बात नहीं। कुछ प्रोफेसर को भी डॉ. घोष से दिक्कतें हैं। अब वे बदला निकाल रहे हैं।’
ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस का अपडेट
कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले में पीड़ित परिवार से 16 अगस्त को CBI ने बातचीत की। परिवार ने अस्पताल के कुछ इंटर्न और डॉक्टर्स पर इस केस में शामिल होने का शक जताया है। CBI ने कहा कि पीड़ित परिवार ने कुछ नाम लिखाए हैं। हम अभी 30 लोगों से पूछताछ करेंगे।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मेडिकल संस्थानों को हेल्थकेयर वर्कर पर हमले के 6 घंटे के अंदर ही FIR दर्ज करानी होगी। मंत्रालय का ये फैसला मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले और इसी कॉलेज में हुई हिंसा को लेकर आया है।