अरविंद केजरीवाल की भरपाई आसान नहीं, हरियाणा चुनाव से तय होगी आम आदमी पार्टी की राजनीति
आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा प्रश्न यही है कि जब अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार करने के बाद भी लोकसभा चुनावों में पार्टी को कोई सफलता नहीं दिला सके, तो उनके न रहने के बाद आम आदमी पार्टी उनके नाम को कितना भुना सकेगी।
अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में जेल में बंद हैं और प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अंतिम चार्जशीट अदालत में फाइल कर दी है। इस बीच आम आदमी पार्टी उनकी रिहाई के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। लेकिन इसके साथ ही आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ अरविंद केजरीवाल का मुद्दा लोगों के बीच ले जाने की कोशिश भी कर रही है, जिससे वह इसका राजनीतिक लाभ उठा सके। संभवतया इस समय उसके पास यही सबसे मजबूत मुद्दा भी है, जिसके सहारे वह जनता से समर्थन की उम्मीद कर सकती है। लेकिन क्या वह अपनी रणनीति में सफल हो सकेगी? लोकसभा चुनाव के पूर्व इसी मुद्दे पर आप की यही रणनीति उसके लिए बहुत सुखद परिणाम लाने में नाकाम साबित हुई थी।
मंगलवार 30 जुलाई को आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल के मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और यह दिखाने की कोशिश की कि इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के सभी राजनीतिक दल उसके साथ हैं। प्रदर्शन में शामिल नेताओं ने एक सुर में केजरीवाल की गिरफ्तारी को गलत बताया और केजरीवाल का साथ देने की बात भी कही। इस प्रदर्शन में अखिलेश यादव, शरद पवार, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और वामपंथी दलों के नेता शामिल थे।
इसके पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के ही रामलीला मैदान में भी इसी तरह विपक्षी दलों को साथ लाने का काम किया था। वह रैली इंडिया गठबंधन की तरफ से आयोजित की गई थी, लेकिन इसके बाद भी आम आदमी पार्टी यह संदेश देने में सफल रही थी कि सभी विपक्षी दल उसके साथ खड़े हैं। हालांकि, वह रैली जिस दिल्ली की लोकसभा सीटों को ध्यान में रखकर बुलाई गई थी, आम आदमी पार्टी या कांग्रेस उनमें से एक सीट पर भी सफलता पाने में असफल रही थी।