पनप रही भ्रष्टाचार की बीमारी:जेके लोन अस्पताल में 6 पदों पर नर्सिंगकर्मी भर्ती करने थे, उसी टेंडर से 192 लगा दिए
बच्चों के अस्पताल में बड़े-बड़े खेल; नियम विरुद्ध लगाते रहे नर्सिंगकर्मी, जिम्मेदारों को दृष्टिदोष

जयपुर : सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार की बीमारी कैसे पनप रही है, इसका उदाहरण जेके लोन अस्पताल में देखने को मिला। यहां पिछले दो साल में 150 से अधिक नर्सिंगकर्मियों को संविदा पर लगा दिया गया, जबकि यहां छह जनों के लिए ही टेंडर निकाला था। वर्ष 2022 में निकाले गए छह जनों के लिए टेंडर को जुलाई माह में ही दो बार और फिर वर्ष 2023 में भी दो बार बढ़ाया गया। इस तरह छह जनों के लिए निकाले गए टेंडर से 192 अतिरिक्त नर्सिंगकर्मियों की भर्ती कर दी गई। मामले में प्रशासन भी आंखें मूंदे रहा और बार-बार नियमों के विरुद्ध भर्ती की जाती रही। अब मामले में अस्पताल प्रशासन ने जांच कराने की बात कही है।
अस्पताल प्रशासन को छह जुलाई वाली भर्ती के लिए ही नया टेंडर निकालना था और उसके जरिए ही भर्ती की जानी थी। इसके बाद भी अन्य दो बार यह भर्ती करने के लिए इसी टेंडर के जरिए भर्ती कर दी गई। मालूम हो कि हाल ही में राजस्थान सरकार पूरे प्रदेश में संविदा पर नर्सिंगकर्मियों की भर्ती कर रही है। बाद में स्थाई रूप से की जाने वाली भर्ती में इन कर्मियों को 30 तक बोनस अंक मिलेंगे। ऐसे में संविदा पर लगने के लिए भी मारामारी है और कई अभ्यर्थियों से तो रुपए तक मांगने का मामला सामने आया है।


ऐसे बढ़ाते गए पद
- जेके लोन में 1 अप्रेल 2022 को छह नर्स ग्रेड द्वितीय का टेंडर निकाला गया। यह टेंडर मैसर्स सिक्योर गार्ड सिक्योरिटी एंड मैनपावर सर्विसेज, चंडीगढ़ को मिला।
- 6 जुलाई 2022 को 150 जनों को इसी टेंडर के मार्फत लगा दिया गया।
- 30 जुलाई 2022 को 20 जनों को लगाया।
- 31 जनवरी 2023 और 29 अप्रेल 2023 को 10-10 पद और बढ़ा दिए।
- 2 जून 2023 को दो जनों के लिए और टेंडर निकाला गया।
एक्ट का उल्लघंन और मेडिकल कॉलेज की अनुमति भी नहीं
किसी भी फर्म को दिए गए टेंडर को अधिकतम 50 प्रतिशत ही बढ़ाया जा सकता है, लेकिन जेके लोन में इस फर्म को कई गुना तक काम बढ़ा कर दे दिया गया। यहां तक कि इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अनुमति ली जानी थी, लेकिन वह भी नहीं ली गई। यहां तक अस्पताल की लेखा शाखा की ओर से जानकारी दी गई कि इसे बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति ली गई, यह जानकारी भी गलत निकली, क्योंकि जब हमने हाईकोर्ट के उस आदेश को निकाला तो सामने आया कि कोर्ट का फैसला केवल 2021 में लैब टेक्नीशियन के पक्ष में हुआ था। जबकि टेंडर के जरिए नर्सिंगकर्मी व अन्य की भर्ती कर दी गई। मामले की शिकायत एसीबी में भी की गई है।
बिना टेंडर निकाले कैसे काम दिया गया, यह पता किया जाएगा
मामला गंभीर है और इस पूरे मामले की फाइल कल निकलवा कर पड़ताल कराई जाएगी। इसमें किसकी क्या भूमिका है और एक जने को ही बिना टेंडर निकाले कैसे काम दिया गया, यह पता किया जाएगा।
-डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्रिंसिपल, एसएमएस मेडिकल कॉलेज।
शुरू में छह जनों के लिए विभिन्न पदों पर टेंडर निकला था, उसी के आधार पर हमें आगे का टेंडर मिला है। लेकिन हमने डीडी जमा कराए हैं।
-सनी यादव, डायरेक्टर, मैसर्स सिक्योर गार्ड सिक्योरिटी एंड मैनपावर सर्विसेज, चंडीगढ़