राजस्थान के कई गांवों में फैला भोले बाबा का मायाजाल:भरतपुर में भी हुआ था केस; महिला भक्त सबसे ज्यादा, गले में पहनती हैं फोटो का लॉकेट
राजस्थान के कई गांवों में फैला भोले बाबा का मायाजाल:भरतपुर में भी हुआ था केस; महिला भक्त सबसे ज्यादा, गले में पहनती हैं फोटो का लॉकेट

भरतपुर : उत्तर प्रदेश के हाथरस में 122 लोगों की मौत के बाद भोले बाबा एजेंसियों के रडार पर है। बाबा का नाम पहले भी विवादों से जुड़ता रहा है।उसने भरतपुर में कोरोना काल के दौरान भी भीड़ जुटा ली थी। लोगों की जान जोखिम में डालने को लेकर जून 2020 को उसके खिलाफ मथुरा गेट थाने में FIR दर्ज की गई थी।
भोले बाबा का मायाजाल राजस्थान के भी कई जिलों में फैला है। विशेषकर भरतपुर और डीग जिले के अधिकतर गांवों में बाबा के भक्तों की संख्या काफी ज्यादा है। भगदड़ में मरने वालों में डीग के कुम्हेर इलाके की महिला राजेंद्री (50) भी शामिल हैं।
यह महिला भक्त साल 2011 से ही बाबा के सत्संग कार्यक्रमों में सेवा दे रही थी। बुधवार को जब राजेंद्री का शव उसके गांव साबोरा पहुंचा तो यहां महिलाओं की भीड़ लग गई। सभी उसके दर्शन करने पहुंचीं थीं।
गांव में भोले बाबा को लेकर अलग ही माहौल है। मीडिया रिपोर्टर ने यहां जाना कि आखिर कैसे भोले बाबा के सत्संगों में इतने लोग पहुंचते हैं, कमेटियां क्या काम करती हैं और सेवादार बनने के लिए लोग कितना इंतजार करते हैं….

हर छोटे कस्बे में भोले बाबा के भक्त और कमेटियां
राजेंद्री के पति परसादी जाटव ने बताया कि सेवादार बनने के लिए होड़ लगती है। राजेंद्री ने 13 साल पहले भोले बाबा का सेवादार बनने के इच्छा जाहिर की थी। साल 2011 में ऐंचेरा (नदबई) जाकर कमेटी के लोगों से मिले और वह सेवादार बन गई।
हाथरस के सत्संग में राजेंद्री लोगों को पंडाल में बैठाने की व्यवस्था में जुटी थी। भीड़ में उसे धक्का तो अपने बाकी साथी सेवादारों से अलग हो गई। गिरकर वह धक्का-मुक्की और भगदड़ का शिकार हो गई। उसके चेहरे पर चोट का निशान थे।
बाबा ने यूपी-एमपी और राजस्थान के छोटे-छोटे कस्बों में कमेटियां बना रखी हैं। कुछ साल पहले तक भरतपुर में मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम नाम से सिर्फ एक कमेटी थी। अब लोगों ने कई कमेटियां बना ली हैं। एक कमेटी में लगभग 50 मेंबर होते हैं। स्थानीय लोग इन कमेटियों के मेंबर हैं।
कमेटी के मेंबर सेवादार बनाने के लिए अधिकृत हैं। कोई भी आम व्यक्ति सेवादार बन सकता है। इसके लिए बाबा के सत्संग के दौरान नि:शुल्क सेवा देनी होती है। सेवादार को कमेटी ने एक आईडी कार्ड देती है जिस पर सेवादार का सिर्फ नाम और पता होता है। उसे खुद के पैसों से गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म का इंतजाम करना होता है। सेवा के दौरान पिंक यूनिफॉर्म और आईकार्ड होना जरूरी है।

सत्संग के लिए पैसा जुटाती हैं कमेटियां
इन कमेटियों का मुख्य कार्य सत्संग के लिए पैसा जुटाना है। इसके अलावा ये सेवादार भी तैयार करती हैं। कमेटी के लोग चंदा जुटाकर सत्संग की व्यवस्था करने का प्रयास करते हैं। जब इन्हें लगता है कि बाबा के सत्संग के लिए स्थान, टेंट, बिजली-पानी बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाने की परमिशन समेत सब कुछ जुट सकता है तो ये बाबा के पास जाकर सत्संग की आज्ञा लेते हैं।
बाबा सत्संग की तारीख तय करता है और फिर कमेटियां सेवादारों के सहयोग से सत्संग का आयोजन करती हैं। सत्संग की जानकारी कमेटियां सोशल मीडिया के जरिए भक्तों तक पहुंचाती हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल होने की अपील करती हैं। सारी व्यवस्थाएं हो जाने के बाद बाबा अपनी पत्नी के साथ सत्संग करने आता था और लोगों की परेशानियां दूर करने का मायाजाल रचता था। वह भूत-प्रेत भगाने का भी दावा करता था और लोगों को अपने प्रभाव में लेता था।

4 साल पहले भरतपुर में बाबा के खिलाफ हो चुकी FIR
भरतपुर के प्रदीप हॉस्पिटल के पास 11 जून 2020 की दोपहर 12 बजे बाबा ने लोगों की भीड़ जुटा ली थी। उस समय कोरोना का दौर चल रहा था और सोशल डिस्टेंस की पालना जरूरी थी। मथुरा गेट थाना पुलिस को भीड़ जुटने की सूचना मिली।
कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं किया जा रहा था। यहां करीब 150 लोग जुटे थे। किसी ने फेस मास्क नहीं लगा रखा था। पुलिस ने भीड़ की फोटोग्राफी कराई। समझाकर लोगों को वहां से हटाया। इस घटना को लेकर भोले बाबा के खिलाफ धारा 144 के उलंघन का मामला मथुरा गेट थाने में दर्ज किया गया।

डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा भी सुन चुके प्रवचन
भरतपुर में 5 महीने पहले 6 फरवरी 2024 को बाबा का सत्संग हुआ था। यह जिले के रूपबास कस्बे में नेशनल हाईवे 123 के पास हुआ था। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा भी पहुंचे थे। वे मंच पर भी पहुंचे थे।
सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। सुरक्षा की दृष्टि से पूर्व सीओ किशोरी लाल और रूपवास के पूर्व थाना अधिकारी बनी सिंह जाब्ते के साथ मौजूद थे। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री का धूमधाम से स्वागत किया गया था। बैंड बाजे के साथ उन्हें स्टेज तक लाया गया था।
हाथरस की घटना के बाद बाबा के सत्संग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। दावा है कि यह रूपवास कार्यक्रम का है। कार्यक्रम में आते वक्त बाबा भोले के पीछे सिक्योरिटी गार्ड भागते नजर आ रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु नजर आ रहे हैं।
गले में बाबा की तस्वीर का लॉकेट पहनते हैं भक्त
राजेंद्री की महिला साथी भरतपुर निवासी श्रद्धालु गले में बाबा की तस्वीर का लॉकेट पहनती हैं। उन्होंने कहा कि बाबा का सत्संग सुनने से हर तरह का दुख-दर्द ठीक हो जाता है। बाबा भोले चमत्कारी हैं। वे कोई दवा नहीं देते, उनके प्रवचन सुनकर सब कुछ ठीक हो जाता है।
प्रवचन सुनने लोग दूर-दूर से आते हैं। कई नेता-मंत्री भी सत्संग सुनने आते हैं। भोले बाबा जीवन जीने के तरीकों के बारे में बताते हैं। सत्संग में लोगों पर भगवान भी आते हैं। वे भविष्य बताते हैं। भूत-प्रेत का साया भी दूर किया जाता है। सत्संग की जानकारी सोशल मीडिया से मिलती है।
गुड्डी ने बताया- सत्संग की जानकारी मिलने के बाद हम अपने वाहनों से पैसा जुटाकर जाते हैं। खाने पीने की व्यवस्था कई बार वहीं हो जाती है। व्यवस्था न हो तो खुद खरीदकर खाते हैं। बाबा में आस्था है इसलिए उनकी तस्वीर का लॉकेट गले में भी पहनते हैं।
बाबा के भक्तों में महिलाएं ज्यादा
बाबा के भक्तों में शामिल एक महिला सुक्को ने बताया- भरतपुर से कई गाड़ियों में भक्त बाबा के सत्संग में जाते हैं। मंगलवार के सत्संग में शामिल होने के लिए हम सोमवार को नदबई के ऐंचेरा गांव पहुंचे थे। वहां से बस हाथरस जा रही थी। मैं अपने गांव की 5 महिलाओं के साथ थी।
मंगलवार को प्रवचन खत्म होने के बाद जल्दी निकलने की कोशिश में धक्का-मुक्की और भगदड़ हुई। मैं अब तक करीब 20 सत्संग में शामिल हो चुकी। पहले ऐसी अव्यवस्था कभी नहीं हुई। भोले बाबा कहते हैं कि समय हो तो ही प्रवचन सुनने आओ, वरना घर के काम निपटाओ। बाबा कहते हैं कि सब की सेवा करो, झूठ मत बोलो।