नोएडा : देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति देने वाले महान क्रांतिवीरों और शहीदों के जीवन दर्शन पर आधारित धर्मपाल गाँधी द्वारा लिखित पुस्तक ‘आजादी के दीवाने’ वर्तमान अंकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। पुस्तक का विमोचन 30 जून रविवार को मीडिया क्लब नोएडा में प्रकाशक निर्मेश त्यागी, लेखक धर्मपाल गाँधी, संपादक अंजू गाँधी, सुनीता सोनू, राजेंद्र कुमार गाँधी, समाजसेवी इन्द्र सिंह शिल्ला, पूरण सिंह गुर्जर, सचिन अम्बावत, विजय मिश्रा, राजदीप सिंह, उम्मेद सिंह शिल्ला व वरिष्ठ साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। लेखक धर्मपाल गाँधी की पुस्तक ‘हिन्द की क्रांतिकारी बेटियाँ’ पूर्व में प्रकाशित हो चुकी है। राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता व विचारक, स्वतंत्र पत्रकार और लेखक धर्मपाल गाँधी काफी समय से स्वतंत्रता संग्राम पर शोध कर रहे हैं और गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को खोजकर एक नया अध्याय लिखने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम जिस आजादी का आनंद ले रहे हैं, यह आजादी में यूंही नहीं मिल गई। यह आजादी हमें पूर्वजों के त्याग व बलिदान और लाखों क्रांतिवीरों की कुर्बानियों की बदौलत मिली है।
पुस्तक विमोचन के मौके पर लेखक धर्मपाल गाँधी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा- स्वतंत्रता आंदोलन, भारतीय इतिहास का वह युग है, जो पीड़ा, कड़वाहट, दंभ, गर्व, आत्मसम्मान, गौरव तथा सबसे अधिक शहीदों के लहू को समेटे है। देश की आजादी के लिए अनगिनत क्रांतिवीरों ने स्वतंत्रता की बलि वेदी पर अपने प्राण न्यौछावर किये हैं, जिन्हें याद रखना और नमन करना हमारा कर्तव्य है। आजादी की हमने क्या कीमत चुकाई है, यह हर भारतीय को याद रखना चाहिए। देश को आजाद हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है; लेकिन हमने बहुत कम समय में आजादी के दीवानों को भुला दिया। देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को भुलाकर हम राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित नहीं रख सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘आजादी के दीवाने’ में देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले क्रांतिवीरों की शौर्य गाथाओं का वर्णन किया गया है। हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह चंद्रशेखर आजाद आदि को पुस्तक में शामिल किया गया है।
दिल्ली षड्यंत्र केस में फांसी की सजा पाने वाले शहीद भाई बालमुकुंद, मास्टर अमीरचंद, बसंत कुमार बिस्वास, अवध बिहारी को भी पुस्तक में जगह दी गई है। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह, सुखदेव थापर, शिवराम हरि राजगुरु, भगवती चरण वोहरा, जतीन्द्रनाथ दास, दुर्गावती देवी उर्फ दुर्गा भाभी, क्रांतिकारी सुशीला दीदी आदि को पुस्तक में शामिल किया गया है। जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह और सिन्ध के भगत सिंह के नाम से विख्यात क्रांतिकारी शहीद हेमू कालाणी को भी पुस्तक में शामिल किया गया है। शहीद भगत सिंह के आदर्श शहीद सरदार करतार सिंह सराभा और इंग्लैंड में फांसी के फंदे पर झूलने वाले शहीद मदनलाल ढींगरा को भी पुस्तक में शामिल किया गया है।
इंडियन रिपब्लिकन आर्मी के महान क्रांतिकारी मास्टर सूर्य सेन, प्रीतिलता वाद्देदार, कल्पना दत्त, क्रांतिकारी बीना दास, सुहासिनी गांगुली आदि को भी पुस्तक में जगह दी गई है। कलम के सिपाही स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विधार्थी और शहीद खुदीराम बोस को भी पुस्तक में शामिल किया गया है। पुस्तक में क्रांतिकारियों के जीवन संघर्ष का सच्चाई के साथ वर्णन किया गया है। भगत सिंह की फांसी के 94 वर्ष बाद भी देशभर में उनकी फांसी पर बहुत बहस होती है। पुस्तक में भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले गद्दारों का भी खुलासा किया गया है। पुस्तक का आवरण संजय गाँधी और सतीश गाँधी द्वारा तैयार किया गया है। पुस्तक का प्रकाशन निर्मेश त्यागी और संपादन अंजू गाँधी द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का संचालन राजदीप सिंह ने किया। वर्तमान अंकुर प्रकाशन के संपादक और लेखक धर्मपाल गाँधी ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पधारे सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया।