चूरू : एक जुलाई से लागू हो रही भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लेकर आमजन में जागरुकता की दिशा में गुरुवार को जिला परिषद सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिला प्रशासन एवं अभियोजन विभाग की ओर से आयोजित इस गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी ने कहा कि बदलते समय के साथ अपराध के तरीकों एवं तकनीकों में हुए बदलाव के मध्येनजर सरकार ने विधि में परिवर्तन की आवश्यकता समझते हुए नए कानून लागू किए जा रहे हैं। इससे कानून अधिक प्रभावी ढंग से अपना काम कर सकेगा और हम अधिक बेहतर एवं अपराधमुक्त समाज की रचना कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि नए कानूनों को लेकर अधिक से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए तथा लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरुक किया जाए। उन्होंने कहा कि विधिक रूप से जागरुक समाज में अपराध की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
एडीएम उत्तम सिंह शेखावत ने कहा कि वर्तमान समय ही ज्ञान और शिक्षा का है। ऎसे में नए कानूनों को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरुकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी ब्रिटिश समय से ही प्रचलित अनेक कानून प्रभाव में हैं, जिनमें से कई ऎसे हैं, जिनकी प्रासंगिकता ही खत्म हो गई है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए भारत सरकार की ओर से यह बदलाव किए गए हैं। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि हम इनसे एक बेहतर और अपराधमुक्त समाज की रचना कर पाएंगे।
उपनिदेशक (अभियोजन) दिलावर सिंह ने नए कानूनों की प्रमुख बातों को रेखांकित किया और विभिन्न प्रावधानों के बारे में बताया। मास्टर ट्रेनर अभियोजन अधिकारी गोरधन सिंह ने भारतीय दण्ड संहिता के स्थान पर लागू होने वाले नवीन कानून भारतीय न्याय संहिता की प्रमुख धाराओं तथा प्रावधानों में हुए बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता की कुल 511 धाराओं को भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराओं में समायोजित कर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में संगठित अपराध, मॉब लिंचिंग, हिट एण्ड रन, आतंकवादी कार्यकलाप, अलगाववाद जैसे 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है। आईपीसी में परिभाषित दस्तावेज शब्द में डिजिटल एवं इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को मुख्यतः शामिल किया गया है। बीएनएस 2023 में आईपीसी के 19 प्रावधानों को विलोपित कर दिया गया है। 33 प्रकार के अपराधों में कारावास की अवधि तथा 83 प्रकार के अपराधों में जुर्माना राशि को बढाया गया है। सामुदायिक सेवा को एक नई सजा के रूप में सम्मिलित कर 6 प्रकार के अपराधों में इसका प्रावधान किया गया है। बीएनएस में बालक शब्द को नवीन रूप से परिभाषित किया गया है जिसमें 18 वर्ष से कम आयु का प्रत्येक व्यक्ति बालक समझा जाएगा जबकि आईपीसी में 18 वर्ष से कम आयु की लड़की तथा 16 वर्ष से कम आयु का लड़का बालक की श्रेणी में आते थे। बीएनएस 2023 में आयु के मामले में तटस्थता बरती गई है। उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में जिला मजिस्ट्रेट के भी नवीन विधि में विशेषाधिकार दिए हैं, किसी विशेष प्रकरण के संचालन हेतु न्यायालय में सहायक लोक अभियोजन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में जिला मजिस्ट्रेट राज्य सरकार को 14 दिवस पूर्व की सूचना दिए जाने के पश्चात किसी अन्य व्यक्ति को उस मामले का भारसाधक सहायक लोक अभियोजक नियुक्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आमजन को किसी भी प्रकार की एफआईआर के लिए पुलिस थाने में उपस्थित होकर ही दर्ज करवाए जाने की बाध्यता को समाप्त कर ऑनलाईन एफआईआर दर्ज करवाने की व्यवस्था की गई है, हालांकि ऎसे व्यक्ति को तीन दिवस में पुलिस थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने होंगे। न्यायालय में किसी भी गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करवाई जा सकती है। बलात्कार संबंधी प्रकरणों के विचारण हेतु जहां तक संभव हो, ऎसे न्यायालय द्वारा किया जाएगा जिसमें महिला पीठासीन अधिकारी हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियों में अभिवृद्धि करते हुए किसी प्रकरण में 20 हजार रूपए जुमार्ना राशि को बढाते हुए 50 हजार जुर्माना राशि तक दण्डित करने का अधिकार दिया गया है।
संगोष्ठी का संचालन एडीपीआर कुमार अजय ने किया। संगोष्ठी में संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ ओम प्रकाश, एसीईओ जिला परिषद दुर्गा ढाका, बीडीओ महेन्द्र कुमार भार्गव, प्रवक्ता डॉ रविन्द्र बुडानिया, सहायक प्रोग्रामर अभिषेक सरोवा, नायब तहसीलदार अमर सिंह, अधिवक्ता नरेन्द्र पूनिया, विकास तंवर, बाबूलाल सैनी, विकास सैनी, हेमन्त चौहान, वैदेही शर्मा, प्रद्युम्न सिंह, अरूण शर्मा, सुमित ढाका, विजय सिंह, कनिष्ठ लेखाकार औंकार मल मेघवाल, अति. प्रशासनिक अधिकारी राकेश कुमार, वरिष्ठ सहायक रमेश कुमार, कनिष्ठ सहायक नेमीचंद मेघवाल आदि उपस्थित रहे।