झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव : विजय के लिए खेलना होगा भाजपा को नोन जाट कार्ड ब्राह्मण,सैनी,राजपूत लगा सकते हैं भाजपा की नैया पार’
झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव : विजय के लिए खेलना होगा भाजपा को नोन जाट कार्ड ब्राह्मण,सैनी,राजपूत लगा सकते हैं भाजपा की नैया पार'

जनमानस शेखावाटी संवाददाता :चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : आखिर भाजपा क्यों लगा रही है एक ही जाती पर बार-बार दांव झुंझुनूं। लगातार कांग्रेस की झोली में जा रही झुंझुनूं विधानसभा सीट का आगामी उपचुनाव में क्या भविष्य रहेगा को लेकर……ले संवाददाता द्वारा झुंझुनूं विधानसभा के आमजन की राय लेकर व पिछले कई विधानसभा चुनाव के आंकड़ों व आकलन से निष्कर्ष तक पहुंचने का प्रयास किया है, कि झुंझुनूं विधानसभा में लगातार भाजपा की हार का व कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का क्या कारण है? विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी, राजस्थान व केंद्र में भाजपा की सरकार फिर भी झुंझुनूं विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत का दावा कमजोर क्यों ? आमजन से हुई वार्ता से निकली बातों को कारण माने तो भाजपा द्वारा झुंझुनूं जिले में सातों विधानसभा सीट पर सही प्रकार से सोशल इंजीनियरिंग कर टिकटों का वितरण ना कर पाना भी भाजपा का जिले में पिछड़ने का एक प्रमुख कारण है। साथ ही एक ही जाति विशेष पर अधिक विश्वास जताकर भाजपा के मूल वोटर को नाराज करना भी एक कारण है।
झुंझुनूं जिले की सात विधानसभा सीट तथा लोकसभा की आठ विधानसभा सीट जिसमें एक रिजर्वेशन पिलानी विधानसभा की है। इसके अलावा खेतड़ी विधानसभा गुर्जर बाहुल्य वाली सीट है। शेष 5 सीटों पर जिले में बड़ी जनसंख्या वाली जातियां जैसे जाट, सैनी, ब्राह्मण, राजपूत आदि में सही अनुपात में टिकटों के वितरण से 36 कोम भाजपा के साथ जुड़कर विजय परचम लहरा सकती है। सन् 2003 के विधानसभा चुनाव में सभी जातियों में भाजपा द्वारा टिकटों के सही वितरण से भाजपा ने सर्वाधिक पांच सीटों पर विजय प्राप्त की थी। जिसमें पिलानी रिजर्व सीट से सुंदरलाल काका, खेतड़ी से दाताराम गुर्जर, उदयपुरवाटी से शुभकरण चौधरी, सूरजगढ़ से संतोष अहलावत के साथ मंडावा विधानसभा से भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी नरेंद्र कुमार ने विजय प्राप्त की थी। उसे समय नवलगढ़ विधानसभा से ब्राह्मण उम्मीदवार विष्णु कांत रुंथला को व झुंझुनूं विधानसभा से राजपूत उम्मीदवार मूल सिंह शेखावत को टिकट दिया गया था। सभी जाति वर्ग को साधने से भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन 2003 में श्रेष्ठ रहा था। उसके बाद 2008 व 2013 में झुंझुनूं विधानसभा पर राजपूत उम्मीदवार को टिकट दी गई थी। इन दोनों ही चुनाव में हर का अंतर बहुत कम रहा था। उसके पश्चात 2018 व 2023 में भाजपा द्वारा सही सोशल इंजीनियरिंग नहीं होने से जिले में भारतीय जनता पार्टी की विजय सीटों की संख्या दो से अधिक नहीं पहुंच पाई। अब बात करते हैं झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र की जिसमें 2008 में भारतीय जनता पार्टी के डॉक्टर मूल सिंह शेखावत जो की एक राजपूत उम्मीदवार है मात्र 9316 वोटो से चुनाव हारे थे जो की एक करीबी हार थी। सन् 2013 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राजीव सिंह शेखावत जो की पिलानी विधानसभा के रहने वाले हैं, झुंझुनूं विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता व आमजन उन्हें नहीं पहचानते थे। उसके बावजूद भी वे कांग्रेस प्रत्याशी से मात्र 18412 वोटो से ही चुनाव हारे थे। यदि राजीव सिंह शेखावत एक कार्यकर्ता के रूप में जनता के बीच में रहे होते तो चुनाव परिणाम विजय के होते। सन् 2018 में पार्टी द्वारा इस सीट को जाट बाहुल्य सीट मानकर राजेंद्र सिंह भांभू को टिकट दे दी गई जो कि कांग्रेस से पंचायत समिति सदस्य व जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके थे तथा उप प्रधान की भी दावेदारी की थी।
विधानसभा में भारी पहचान व पूर्ण धनबल होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी से विधानसभा उम्मीदवार राजेंद्र भांभू 40565 वोटो के अंतर से पराजित हुए यह बड़ी हार जाट उम्मीदवार होने के कारण रही। क्योंकि भाजपा के मूल वॉटर इस टिकट वितरण से भारी नाराज थे। इसके बाद 2023 में निशित कुमार बबलू चौधरी को टिकट दी गई। दोबारा जाट उम्मीदवार होने के चलते 28863 वोटो से भाजपा को हर का सामना करना पड़ा, जबकि निश्चित कुमार इससे पूर्व भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके थे व लगभग 30000 वोट प्राप्त किए थे। विधानसभा के जन-जन में पहचान होने के बावजूद भी बड़े अंतर की हार का सामना भाजपा को करना पड़ा। इन आंकड़ों से यह आकलन किया जा सकता है कि जाट उम्मीदवार के अलावा अन्य जातियों के उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव में हार के अंतर को कम किया है। यदि यह टिकट ब्राह्मण, राजपूत व सैनी समाज को दी जाए तो भाजपा इस गढ़ को फतह कर सकती है। अब जरा जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो झुंझुनूं विधानसभा में जाट समाज के 52000 वोट, मुस्लिम समाज के 49000 वोट, अनुसूचित जाति जनजाति के 42000 वोट, ब्राह्मण समाज के 37000, सैनी समाज के 24000, राजपूत समाज के 21000, कुमावत 14000, बनिए लगभग 12 000, जांगिड़ 8000, सोनी 8000, दर्जी 4500, सेन 4500, गुर्जर 3500 प्रमुख रूप से है। जाट समाज के 52000 वोटो में से लगभग 40000 वोट पोल होते हैं। जिसमें से आधे से अधिक परंपरागत रूप से जाट वोट कांग्रेस से जुड़े होने या ओला परिवार से व्यक्तिगत रूप से जुड़े होने से मात्र 15 से 20000 के लगभग वोट भारतीय जनता पार्टी को मिलते हैं। इन वोटो के सहारे पर भारतीय जनता पार्टी जाट समाज को बार-बार टिकट देती है, जबकि भाजपा की मूल रूप से जुड़ी जातियां ब्राह्मण, राजपूत, बनिया, सैनी, कुमावत, सोनी, जांगिड़, दर्जी, नाई, स्वामी, योगी, खटीक, नायक सहित अन्य जातियां जिनके वोट लगभग 2 लाख से भी अधिक है, को वंचित व नाराज किया जाता रहा है। जो भाजपा को बहुमत में वोट देकर टक्कर में खड़ा करते हैं। बार-बार इन जातियों की उपेक्षा के चलते झुंझुनूं विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाना कठिन हो गया है।
एक अन्य बात पर भी नजर डालें तो जाट उम्मीदवार को राजपूत व सैनी समाज के वोट पूर्णतः नहीं मिलते हैं, तो राजपूत व सैनी उम्मीदवार को जाट समाज के वोट कम मिलते हैं। ब्राह्मण समाज के 37000 वोट होने व ब्राह्मण जाति के साथ सभी 36 कोम के मधुर संबंध होने के कारण झुंझुनूं विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने में सरलता रहेगी। इसका ज्वलंत उदाहरण नवलगढ़ विधानसभा रही है, जहां 80 हजार से अधिक जाट वोट होने के बावजूद भी राजकुमार शर्मा ने लगातार तीन बार भारी बहुमत से विजय हासिल कर विधायक व मंत्री बने हैं। झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में तो जाट समाज के वोट नवलगढ़ से भी आधे हैं व ब्राह्मण समाज के वोट नवलगढ़ से दो गुना हैं। विधानसभा के मतदाताओं व विद्वान विश्लेषको से हुई राजनीतिक चर्चा के अनुसार भाजपा यदि नॉन जाट कार्ड खेलती है तो विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का कमल खिल सकता है। विधानसभा में आमजन के मध्य कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ता झुंझुनूं शहर मंडल अध्यक्ष एवं जिला प्रवक्ता कमलकांत शर्मा, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं पूर्व बगड़ नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं झुंझुनूं से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रहे राजीव सिंह शेखावत, पूर्व जिला उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह कालीपहाड़ी, भाजपा जिला अध्यक्ष बनवारी लाल सैनी, पूर्व जिला अध्यक्ष पवन मावंडिया, एडवोकेट बिरजू सिंह शेखावत, बगड़ नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद सिंह राठौड़ सहित कई ऐसे उम्मीदवार जो नॉन जाट वोटरों की पहली पसंद है। भारतीय जनता पार्टी की विजय गाथा लिखने को तैयार बैठे हैं। 2008 व 2013 के बाद भारतीय जनता पार्टी ने झुंझुनूं विधानसभा से नॉन जाट उम्मीदवारों को दोबारा मौका नहीं देने से भारतीय जनता पार्टी के मूल वॉटर धीरे-धीरे पार्टी से किनारा करने लग गए हैं। भाजपा को यदि अपने मूल वोटर को बनाए रखना है, तो विधानसभा उपचुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के आधार पर एक ही समाज को बार-बार टिकट देने की बजाय ब्राह्मण, सैनी, राजपूत उम्मीदवार पर दाव खेलना पड़ेगा। तभी भारतीय जनता पार्टी झुंझुनूं विधानसभा के गढ़ को फतह कर सकेगी ऐसा विद्वान विश्लेषण को का मानना है।