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विप्र समाज भाजपा का कोर बैंक लेकिन हासिए पर धकेला गया


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

विप्र समाज भाजपा का कोर बैंक लेकिन हासिए पर धकेला गया

विप्र समाज भाजपा का कोर बैंक लेकिन हासिए पर धकेला गया

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुए । झुंझुनूं लोकसभा चुनावों में वर्तमान विधायक बिजेंद्र ओला ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में थे और विजय हासिल की । बिजेंद्र ओला के सांसद बनने से झुन्झुनू विधानसभा में उप चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओ का बाजार गर्म है ।‌ आजकल चुनाव जातीय समीकरण पर लड़े जाते हैं । झुंझुनूं विधानसभा में यदि जातीय समीकरण को देखें तो जाट समुदाय के करीब बावन हजार, मुस्लिम मतदाता करीब चालीस हजार, एससी-एसटी मतदाता करीब चालीस हजार, विप्र समुदाय के मतदाता करीब सैंतीस हजार, सैनी समाज के करीब तीस हजार, राजपूत समाज के करीब इक्कीस हजार, महाजन समाज के करीब तेरह हजार व अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या करीब पैंतीस हजार है । कुल 268913 मतदाताओं में पुरूष मतदाता 140142 व महिला मतदाता 1287650 है ।

विदित हो भाजपा का कोर बैंक होने के बावजूद विप्र समाज को हासिए पर रखा और एक धारणा के अनुसार कि झुंझुनूं में केवल जाट समुदाय का उम्मीदवार ही विजयी हो सकता है तो उसी समाज को टिकट में वरीयता दी गई । लेकिन ऐसा नहीं उप चुनाव में डाक्टर मूलसिंह शेखावत व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे नरोतम लाल जोशी इस मिथक को तोड़ चुके हैं । झुंझुनूं जिले में सता में भागीदारी को लेकर विप्र समाज खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है । जनसंघ के समय से ही विप्र समाज उसके साथ खड़ा रहा है तत्पश्चात भाजपा के उदय के साथ ही भाजपा का साथ देता आया है । लेकिन राजनीतिक पटल पर विप्र समाज की अनदेखी को लेकर समाज मे रोष होना स्वाभाविक है । इसको लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को आगामी उप चुनाव मे विप्र समाज की दावेदारी को अनदेखा करना भाजपा को मंहगा पड़ सकता है । कांग्रेस की तरफ से वंशवाद के चलते ओला परिवार का सदस्य ही मैदान में होगा । इस वंशानुगत राजनीति के खात्मे को लेकर झुंझुनूं विधानसभा का मतदाता आतुर है लेकिन यह निर्भर करता है भाजपा की टिकट वितरण निति पर ।

निश्चित रूप से यदि भाजपा के प्रदेश व शीर्ष नेतृत्व ने विप्र समाज पर दांव लगाया तो ओला परिवार के वंशानुगत चक्रव्यूह को भेदा जा सकता है और झुंझुनूं विधानसभा में कमल खिल सकता है जिसको लेकर भाजपा तरस गई है । तीन तीन, चार चार हार का स्वाद चख चुके नेताओ पर यदि भाजपा दांव लगाती है तो निश्चित रूप से उसके लिए घाटे का सौदा साबित होगा ।

क्रमशः शेष अगली कड़ी में

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