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देश की ज्वलंत समस्या; युवा वैवाहिक कपल के बढ़ते तलाक


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आर्टिकलराज्य

देश की ज्वलंत समस्या; युवा वैवाहिक कपल के बढ़ते तलाक

देश की ज्वलंत समस्या; युवा वैवाहिक कपल के बढ़ते तलाक

देश की ज्वलंत समस्या; युवा  वैवाहिक कपल के बढ़ते तलाक 

  • तलाक का कारण- नहीं पसंद उन्हें कोई ऑर्डर दे
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस बेंग्लुरु के सर्वे में हुआ खुलासा
  • सर्विस क्लास एकल परिवार में शहरो में अकेले रह रहे  पति पत्नी में आवश्यक शारीरिक जरूरतों एवं वर्क लाइफ बेलेंस की कमी से बढ़रहे झगडे
  • पीहर और ससुराल पक्ष में आवश्यक संवांद की कमी से हो बिगड़ रहे रिश्ते
  • आपसी समझ, बेहतर संवांद है मजबूत  वैवाहिक रिश्तो की धुरी 
डॉ. नयन प्रकाश गाँधी (युवा एनएलपी लाइफ कोच)

आइसोलेशन, अर्बनाइजेशन, रैट रेस और न्यूक्लियर फैमिली की वजह से लोगों के लिए स्ट्रेस से कोप-अप करना मुश्किल हो रहा है। छोटी उम्र में होने वाले स्ट्रोक, हर तरह के हारमोनल डिसऑर्डर, दिल के दौरे और एपीलेप्सी आदि का कारण स्ट्रेस हे। सबसे बड़ी समस्या ये है कि गांव से दूर शहरो में रह रहे पति पत्नियों में अत्यधिक वैचारिक विभिन्नताओं, आपसी सम्मानजनक व्यवहार और सामान्य झगड़ो में दोनों परिवार के सदस्यों की अनुपस्थति से रिश्ते लगातार बिगड़ रहे है।          

विवाह, परस्पर दो विभिन्न वैचारिक व्यक्तियों का पवित्र मिलन, जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह केवल कानूनी बंधन या सामाजिक रीति-रिवाज नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास, समर्पण और हर सुख दुःख के साझापन का अटूट बंधन भी है। वैवाहिक संबंध के सही मायने क्या हैं? आइए, जानते है भारतीय समाज में आधुनिक युवा पीढ़ी के वैचारिक मानसिकता, तनाव, परिवार प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास एवं कई सामाजिक आर्थिक वैकासिक मुद्दों पर कार्यरत,  प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अपनी लेखनी पब्लिक स्पीकिंग डिजिटल कार्यशाला से  हजारो लाखो युवाओ के जीवन को एक नई दिशा देने वाले राजस्थान के एकमात्र युवा मैनेजमेंट विश्लेषक अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षित सर्टिफाइड एनएलपी लाइफ कोच डॉ. नयन प्रकाश गाँधी से आखिरकार क्या है वैवाहिक जीवन के सफलता की कुंजी ?
परस्पर प्रेम स्नेह समर्पण है मजबूत वैवाहिक रिश्तो की प्रथम कुंजी 
सफल वैवाहिक जीवन प्रेम और दोस्ती की नींव पर टिका होता है। पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति गहरा स्नेह, सम्मान और आकर्षण महसूस करते हैं। वे एक-दूसरे के साथ खुशियां और गम साझा करते हैं, एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं और जीवन के हर मोड़ पर साथ देते हैं। यह दोस्ती ही वैवाहिक जीवन को मजबूती और अर्थ प्रदान करती है। परस्पर स्नेह समर्पण में चाहे पति हो या पत्नी दोनों को एक  दूसरे के परिवार के हर सदस्य से मजबूती से व्यवहार निभाना चाहिए। अगर पति अपने ससुराल चाहे वह आर्थिक कमजोर हो या सक्षम हर स्थिति में  हर सदस्य को यथासंभव सहयोग स्नेह सम्बन्ध बनाये रखना चाहिए।
पीहर/ससुराल दोनों के रीति रिवाज सम्बन्धो में आपसी  विश्वास और संवाद
देखा जाता है की पत्नी अपने पीहर की कई गलतियों को दरकिनार कर देती है और खुलकर उनके असमानता पूर्ण अपमानजनक व्यवहार, अपने ससुराल के मुख्य सदस्यों हेतु आवश्यक स्टेंडर्ड रीती रिवाज की पालना जैसे पहली बार आने पर कपडे करना गिफ्ट देना, आवशयक स्वागत आवभगत करना आदि में कंजूसी बरतना एक अध्ययन के अनुसार पति पत्नी के रिश्ते ख़राब  में पहला कारण रहा है। जबकि एक पति के लिए उसके माता पिता भाई भाभी बहने सब कुछ होते है और जब पत्नी के परिवार की साइड से सक्षम होने के बावजूद  हलकट कपडे करना, आत्मिक  रूप से मेहमान नवाजी न करना वैवाहिक रिश्तो की शुरुवात में दोनों के बिच कड़वाहट भर देता है। यही नहीं कई केसेज में यही भी देखा गया है की पत्नी अपने घर के सदस्यों और अपने ससुराल के सदस्यों में आत्मीय जुड़ाव सामाजिक कार्यक्रमों में नहीं दिखा पाती है इससे भी शुरुवाती दौर में विश्वास और ईमानदारी की वजह से रिश्तो में खटास आने लग जाती है .पति-पत्नी के बीच विश्वास और ईमानदारी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, अपनी भावनाओं, विचारों और इच्छाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं। वे जानते हैं कि वे हमेशा एक-दूसरे के लिए मौजूद रहेंगे, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। यह विश्वास ही उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने और मजबूत संबंध बनाने में मदद करता है।
ससुराल के हर आवश्यक कार्य के प्रति हो समर्पण भाव :
 आम तोर पर देखा गया है की शादी होने के बाद भी पत्नी का समर्पण भाव ससुराल के  लिए नहीं हो पाता जितना वह लगातार अपने पीहर के लिए विवाह के बाद भी रखती है। कई सामान्य परिवारों की लड़किया अभी भी शादी के बाद प्रातः उठने के बाद निवास स्थान से मुख्य द्वार तक साफ सफाई करने, दिप पूजन करने, गौ माता के लिए रोटी बचाने, दो तीन सदस्यों के खाना बनाने बर्तन धोने, घर के आवश्यक कार्य करने में समर्पण नहीं अपितु अहसान दर्शा कर दुखी होकर लड़ाई झगडे कर रोजाना कार्य करती है। लाइफ कोच गाँधी मानते है की नारी स्वतंत्रता सशक्तिकरण के वे पक्षधर है परन्तु जिन कार्यो को महिलाओ को करना ही चाहिए उनमे पति पत्नी के बिच बहस होना बेवकूफी है भारतीय संस्कृति की कुछ मर्यादाये है उसे हर नारी को आत्मसात करना होगा और एकल परिवार में जहा आवश्यक हो वहां विशेष परिस्थतियो में पति को साथ देना चाहिए।
बेहतर प्रभावी संवाद और समझ हो विकसित :
प्रभावी संवाद वैवाहिक जीवन में सफलता की कुंजी है। पति-पत्नी को खुलकर, ईमानदारी से और सम्मानपूर्वक एक-दूसरे से बातचीत करनी चाहिए। उन्हें अपनी भावनाओं, विचारों और जरूरतों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए। साथ ही एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनना और समझने का प्रयास करना चाहिए। परस्पर एक दूसरे के परिवारों के प्रति पति को जमाई की अपेक्षा बेटे के रूप में और पत्नी को बहु की अपेक्षा बेटी के रूप में परस्पर व्यवहार रखना चाहिए। पति को अपनी पत्नी के पीहर पक्ष के सभी सदस्यों हेतु अपने घर जैसा बर्ताव स्नेह, आपसी सहयोग आदि करना चाहिए और खुलकर संवाद करना चाहिए ताकि कभी कोई गलती न हो न गलत फहमी। उसी प्रकार एक बहु को जैसा पहले वह अपने पीहर में बेटी के रूप में कार्य करती थी स्नेह रखती थी वैसे एक बहु को अपने ससुराल में बिना रोब जमाये स्वतंत्रता, धन दौलत का सुख सुविधाओं का गलत फायदा न उठाकर एक सुशिक्षित गुणी बहु का परिचय देना चाहिए। हो सकता है ससुराल का परिवार बड़ा हो ननद जेठानी, भुवा आपमें कोई कमी निकाले सहर्ष बड़ा मानकर अपने कार्यो योग्यता से उनका दिल जीते न की परिवार में झगडे ,मानसिक तनाव दे या स्वयं ले, न पति अपने परिवार के सदस्यों का अपनी पत्नी से अपमान चाहेगा न पत्नी चाहेगी की पति उसके पीहर के सदस्यों को अनदेखा करे क्योकि दोनों परिवार की एकजुटता मजबूती पति पत्नी के स्नेह को मजबूत करती है .भूलवश गलती होने पर लड़की हो या लड़का पक्ष माफ़ी मांगना सबसे महत्वपूर्ण है।

परस्पर  भावनाओ एवं पारिवारिक निर्णयों में समानता और सम्मान
वैवाहिक जीवन में समानता और सम्मान का होना बहुत ज़रूरी है। पति-पत्नी को एक-दूसरे के विचारों, भावनाओं और निर्णयों का सम्मान करना चाहिए। उन्हें महत्वपूर्ण मामलों पर मिलकर निर्णय लेने चाहिए और एक-दूसरे की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत विकास का समर्थन करना चाहिए। शैक्षणिक, सामाजिक राजनितिक, व्यवसायिक आदि स्तर पर दोनों समान रूप से आगे बढ़े, परन्तु पति  की स्वीकार्यता को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए, बच्चो के भविष्य हेतु भी एकतरफा नहीं दोनों को मिलकर सही फैसला लेना चाहिए। पत्नी के पास गृहिणी होने के नाते व्यवसायिक स्तर पर कार्यिकी तनाव भी हो सकता है उस स्थिति में पत्नी वर्क फ्रॉम होम और कई नार्मल कार्य कर स्वयं की शिक्षा का उपयोग कर परिवार भी संभाल सकती है और दोनों उच्चस्तरीय सर्विस में है तो वर्क लाइफ बेलेंस एजेंडा तैयार कर एक बेहतरीन लाइफ का शेडूल बना सकते है जो मेट्रो सिटी में रह रहे कपल के लिए आजकल बहुत जरूरी हो गया है, नहीं तो लड़ाई झगड़ो से  तलाक बढ़ने  के लगातार मौके बढ़ने लग गए है। पति-पत्नी को अपनी गलतियों को स्वीकार करने और क्षमा मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। साथ ही, उन्हें एक-दूसरे को क्षमा करने और आगे बढ़ने की इच्छा रखनी चाहिए।
साझा लक्ष्य और सपने और शारीरिक आवश्यकताओं  का सम्मान :
पति-पत्नी को जीवन में कुछ साझा लक्ष्य और सपने होने चाहिए। वे एक साथ मिलकर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं। इससे उनका रिश्ता मजबूत होगा और जीवन में एक नया उत्साह और दिशा मिलेगी। बच्चो की प्राथमिकता ,सेक्सुअल आवश्यकताएं इन सभी में दोनों को मिलकर आगे आना होगा यह रिश्तो की पहली अनिवार्यता हैं, इस सम्बन्ध में किसी भी साइड से दरकिनार करने पर आजकल पति पत्नी के तलाक के मामले बढ़ते जा रहे है। वर्क लाइफ बेलेंस के साथ आवश्यक शारीरिक सम्बन्ध की परस्पर स्वीकार्यता सम्मान जरूरी है .एक मजबूत वैवाहिक सम्बन्धो में पति को पत्नी की हर शारीरिक आवशयकता को पूरी करना चाहिए वही पत्नी को भी पति की आवश्यक शारीरिक आवश्यकता पूरी करनी चाहिए। लगातार एक दूसरे को दरकिनार करने पर मानसिक व्याधिया ,मानसिक तनाव ,क्रूरता उत्पन्न हो सकती है जिससे व्यक्तिगत वैवाहिक सम्बन्ध प्रभावित होते है।
लेखक परिचय : डॉ. नयन प्रकाश गाँधी भारत के प्रथम युवा एनएलपी लाइफ कोच है जो लगातार युवा तनाव, सामाजिक परिवार  प्रबंधन, आत्महत्या रोकथाम, शैक्षणिक करियर  मार्गदर्शन आदि में मुद्दों पर अपनी जीवंत लेखनी के माध्यम से सक्रिय है। गाँधी  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के विश्व विख्यात अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) मुंबई विश्वविद्यालय के एलुमनाई रहे है एवं पूर्व में राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास विभाग एवं योजना भवन में राज्य स्तर पर विभिन्न अंशकालिक प्रोजेक्ट पद पर रह चुके है। निशुल्क मार्गदर्शन हेतु मो. 79761 94795 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
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