आखिर यह प्यास कब बुझेगी ?
आखिर यह प्यास कब बुझेगी ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में व्याप्त पानी के घोर संकट से शायद ही कोई अनभिज्ञ न हो । इसके साथ ही पिलानी विधानसभा में तो यह संकट इतना गहराया हुआ है कि पिलानी में मकानों के आगे फोर सेल के बोर्ड देखे जा सकते हैं ।इस संकट से निजात पाने के लिए दो ही उपाय है एक है यमुना नदी का पानी और दूसरा है कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी ।
लोकसभा चुनावों में आचार संहिता हटते ही इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा गंभीर है । मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के आला अधिकारियों की बैठक बुलाकर हरियाणा सरकार से जो यमुना जल समझोता शेखावाटी क्षेत्र को लेकर हुआ है उसकी चार महीने के अंदर डीपीआर बनाने की समय सीमा निर्धारित की है । डीपीआर बनने के बाद सरकार से वितीय और प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरु होगी और इस परियोजना का धरातल पर मूर्तरूप होने का रास्ता साफ होगा । भजनलाल शर्मा की इस मुद्दे को लेकर संवेदनशीलता से स्पष्ट दिखाई देता है कि सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान को लेकर कितनी गंभीर है । अब यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा कि आवाम को पीने का पानी कितने समय बाद नसीब होगा ।
दूसरी व्यवस्था कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी है जो कि पिलानी से मात्र दस बारह किलोमीटर से ही पाईप लाईन लेकर आनी है लेकिन यह तो सरकार का ही विशेषाधिकार है कि कौन सा विकल्प जल्द व कारगर साबित होगा ।
वैकल्पिक व्यवस्था की बात की जाए तो इस समय पिलानी व आसपास के क्षेत्र की प्यास टैंकरों द्वारा मिटाई जा रही है । लेकिन जिस हिसाब से पानी का दोहन हो रहा है इससे स्पष्ट संकेत है कि यह व्यवस्था भी अपने हाथ खड़े करने के कगार पर है । हालात यह है कि टैंकरों की चार चार दिनों की एडवांस बुकिंग चल रही है । सरकारी तन्त्र को लेकर सरकार की तरफ से फ्री जल सेवा स्थानीय विधायक पितराम सिंह काला ने देने की घोषणा की थी, जिसमें हर वार्ड में स्थानीय नगरपालिका ने टंकी रखवा रखी है उनको भरने का आदेश हुआ था । लेकिन यह शिकायतें आम लोगों से सुनने को मिल रही है कि एक सप्ताह होने तक वह टंकी खाली पड़ी है और विधायक महोदय वाह वाही लूट रहे हैं । इसको लेकर राजनीति भी परवान पर है । विधायक के इर्द-गिर्द घूमने वाले दो चार लोग खुद को विधायक समझ बैठे हैं जो इस योजना में अपनी टांग अड़ाकर विधायक का नाम धूमिल कर रहे हैं । इस समस्या को लेकर स्थानीय विधायक टेलीफोन भी उन्हीं के कहने पर करते हैं शायद उनको इस बात का गुमान है कि इन दो चार महानुभावों के बलबूते पर ही चुनाव जीत कर आये है । लेकिन स्थानीय विधायक को समझना होगा कि चुनाव हर जाति धर्म व वर्ग के वोटो की बदोलत जीते जाते हैं । यदि उनको किसी बात का गुरुर है तो पुर्व की उपाधि देने में जनता समय नहीं लगाती है । इसलिए अपने विवेक का प्रयोग करते हुए पानी की उपलब्धता को लेकर गंभीर प्रयास करें न कि इस मुद्दे पर राजनीति करे ।
निश्चित रुप से यदि पीने के पानी के स्थायी समाधान की आशा पिलानी विधानसभा का आवाम करता है तो इसके लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा क्योंकि संगठन में ही शक्ति निहित है । जन शक्ति के सामने सियासत की चूले हिलते समय नहीं लगता है । यदि ऐसा करने का सामर्थ्य नहीं है तो एक दूसरे से पूछते रहे कि आखिर यह प्यास कब बुझेगी ?