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छह साल की उम्र में पानी देखते ही लगाई छलांग, अब गोता लगाकर जीत रहा ‘गोल्ड’


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छह साल की उम्र में पानी देखते ही लगाई छलांग, अब गोता लगाकर जीत रहा ‘गोल्ड’

एक कहावत है- होनहार बिरवान के होत चीकने पात'...। यानी होनहार के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं।

सीकर : एक कहावत है- होनहार बिरवान के होत चीकने पात’…। यानी होनहार के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं। केशवानंद शिक्षण संस्थान का छात्र लकी अली इसी कहावत की मिसाल है। जिसने महज छह साल की उम्र में स्विमिंग पुल देखते ही उसमें छलांग लगा दी थी। उस समय तो डूबने पर दीवार व नजदीकी लोगों के सहारे से बाहर आ गया, पर स्विमिंग पुल को तैरकर पार करने की उसने ऐसी जिद ठानी कि आज वही लकी पानी में गोते लगाकर ‘गोल्ड’ निकाल रहा है। उसके जज्बे की ही बानगी है कि नेशनल ओपन टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने के साथ एशियन ऐज गु्रप में जगह पाने वाला वह राजस्थान का पहला अंतर्राष्ट्रीय तैराक बन चुका है। जिसकी तारीफ सीएम अशोक गहलोत भी कर चुके हैं।

9 साल की उम्र से जीते मेडल
16 वर्षीय लकी अली ने मेडल पर कब्जा जमाने की शुरुआत 9 साल की उम्र में ही कर दी। 2015 में जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय सब जूनियर रिले में उसने कांस्य पदक हासिल किया था। इसके बाद 2017 के राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में रजत व स्वर्ण पदक के बाद 2018 की प्रतियोगिता में व्यक्तिगत स्पर्धा में 50,100 व 200 मीटर फ्री स्टाइल में तीन स्वर्ण पदक जीते। जिसके चलते उसका चयन नेशनल ओपन प्रतियोगिता के लिए हुआ। राज्य स्तरीय स्कूली प्रतियोगिता में भी उसने तीनों वर्ग में स्वर्ण पदक के साथ 2018 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहला कांस्य पदक व 2019 में फिर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

राजस्थान का पहला स्वर्ण पदक विजेता
लकी अली राष्ट्रीय ओपन प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाला राजस्थान का पहला तैराक है। उसने 2019 में राजकोट में 50 मीटर प्रतियोगिता में यह पदक जीता। इसी साल राज्य स्तरीय स्कूली प्रतियोगिता में भी स्वर्ण के साथ उसने राष्ट्रीय स्कूली प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया। इन्हीं में एक बड़ी उपलब्धि 2019 में एशियन ऐज गु्रप कैंप में चयन भी जुड़ गई। जिसे प्राप्त करने वाला भी वह राजस्थान का पहला तैराक है। इस साल भी राज्य स्तरीय जूनियर ओपन प्रतियोगिता में दो गोल्ड व एक सिल्वर के अलावा वह राष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश के टॉप 15 खिलाडिय़ों में चुना जा चुका है। अपनी उपलब्धियों का श्रेय लकी शाहपुरा निवासी नरेश बूलिया और केशवानंद संस्थान निदेशक रामनिवास ढाका को देता है।

चचेरी बहनों से मिली प्रेरणा

मूलरूप से भीलवाड़ा के शाहपुरा निवासी लकी अली को तैरने की प्रेरणा अपनी बुआ की बेटियों फिरदौस व फिजा खान से मिली। जिन्हें देखकर ही वह पिता फूल मोहम्मद खान के साथ पहली बार स्विमिंग पुल गया था। नेशल मेडलिस्ट दोनों बहनों के आगे बढऩे के साथ ही लकी के हौंसले व इरादे मजबूत होते गए। 2023 के खेलो इंडिया की तैयारी कर रहे लकी नेे देश को ओलंपिक में गोल्ड दिलाने का लक्ष्य तय कर रखा है।

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