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भारत में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन : नीतियां और कार्यक्रम डॉ. एन.पी.गाँधी, सोशल एक्टिविस्ट


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भारत में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन : नीतियां और कार्यक्रम डॉ. एन.पी.गाँधी, सोशल एक्टिविस्ट

पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन : एक वैश्विक मुद्दा

जलवायु परिवर्तन से निपटना एक वैश्विक चुनौती है और इसका समाधान केवल सरकारों द्वारा ही नहीं, बल्कि नागरिकों, व्यवसायों और समुदायों द्वारा मिलकर किए गए प्रयासों से ही संभव होगा।
डॉ नयन प्रकाश गाँधी (यूथ एक्टिविस्ट,आईआईपीएस मुंबई विश्वविद्यालय एलुमनाई)

पृथ्वी हमारा घर है, और इस घर को बचाने के लिए हमें पर्यावरण का संरक्षण करना ज़रूरी है। आजकल, जलवायु परिवर्तन एक गंभीर खतरा बन गया है, जो हमारे ग्रह और उस पर रहने वाले सभी जीवों को प्रभावित कर रहा है.पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है हमारे आसपास के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखना। इसमें वायु, जल, मिट्टी, वनस्पतियों और जीवों की रक्षा करना शामिल है। हम कई तरह से पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं, पेड़ वायु को शुद्ध करते हैं और जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए।वाहनों, उद्योगों और कृषि से निकलने वाला प्रदूषण पर्यावरण को दूषित करता है। हमें प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय करने चाहिए, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, कम ऊर्जा का उपयोग करना, और कचरे का उचित निपटान करना।जल जीवन के लिए आवश्यक है। हमें पानी बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए, जैसे कि नल बंद करके दांत ब्रश करना, कम पानी से स्नान करना, और वर्षा जल का संग्रह करना। ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है। हमें ऊर्जा बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए, जैसे कि कम बिजली का उपयोग करना, ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करना, और सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।

जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के तापमान और मौसमी पैटर्न में दीर्घकालिक परिवर्तन है। यह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण होता है, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो वायुमंडल में फंस जाते हैं और गर्मी को रोकते हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पहले से ही दुनिया भर में महसूस किए जा रहे हैं, जैसे कि समुद्र का बढ़ता स्तर, अधिक गंभीर मौसम की घटनाएं, और प्रजातियों का विलुप्त होना।जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए हमें तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हमें जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर स्विच करने की आवश्यकता है। हमें ऊर्जा-कुशल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना चाहिए।वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। हमें वनों की कटाई को रोकने और वनीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने की आवश्यकता है, जैसे कि समुद्र तटीय क्षेत्रों में बाढ़ से बचाव के लिए दीवारों का निर्माण करना और सूखे के प्रतिरोधी फसलों को विकसित करना।पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से बचाव हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें आज ही कार्रवाई करने और अपने ग्रह को बचाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई नीतियां और कार्यक्रम लागू कर रही है। इनमें से कुछ प्रमुख नीतियां और कार्यक्रम  निम्नलिखित हैं:
मुख्य नीतियां और कार्यक्रम:
राष्ट्रीय जलवायु नीति, 2023: यह नीति भारत को 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जक बनने का लक्ष्य निर्धारित करती है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, और वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियां शामिल हैं।
राष्ट्रीय वन नीति, 2023: यह नीति 2030 तक भारत के वन क्षेत्र को 33% तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करती है। इसमें वनीकरण, वन प्रबंधन, और जैव विविधता संरक्षण के लिए रणनीतियां शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 2024 तक 100 शहरों में वायु प्रदूषण को 40% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित करता है। इसमें वाहन उत्सर्जन को कम करने, औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2021: यह नियम प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और निपटान को विनियमित करता है। इसमें एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने, प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने, और प्लास्टिक कचरे के उचित निपटान के लिए प्रावधान शामिल हैं।
 
नई पहल:
2024 में, भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां शुरू की हैं।प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए, भारत ने सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए राष्ट्रीय योजना शुरू की है।
कार्यक्रम:
प्रधानमंत्री कुसुम योजना: यह योजना किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में मदद करती है।
गंगा नदी सफाई कार्यक्रम: यह कार्यक्रम गंगा नदी को स्वच्छ बनाने का प्रयास करता है।
राष्ट्रीय वृक्षारोपण अभियान: यह अभियान भारत में वृक्षारोपण को बढ़ावा देता है।
जल जीवन मिशन: के तहत, 2023 तक 10.5 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को नल का पानी उपलब्ध कराया गया है। मिशन का लक्ष्य 2024 तक सभी 18 करोड़ ग्रामीण घरों को नल का पानी उपलब्ध कराना है।
अटल भूजल योजना: यह योजना वर्षा जल संचयन और भूजल रिचार्ज को बढ़ावा देती है।
जलवायु परिवर्तन से निपटना एक सामूहिक प्रयास है.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केवल सरकार ही जिम्मेदार नहीं है। नागरिकों को भी अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देकर अपनी भूमिका निभानी होगी।जलवायु परिवर्तन से निपटना एक वैश्विक चुनौती है और इसका समाधान केवल सरकारों द्वारा ही नहीं, बल्कि नागरिकों, व्यवसायों और समुदायों द्वारा मिलकर किए गए प्रयासों से ही संभव होगा।
लेखक परिचय : डॉ नयन प्रकाश गाँधी चर्चित सामाजिक  विचारक है और लगातार पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन पर जन जागरूकता हेतु सक्रिय है। गाँधी  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के विश्व विख्यात अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) मुंबई विश्वविद्यालय के एलुमनाई रहे है, एवं पूर्व में राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास विभाग एवं योजना भवन में राज्य स्तर पर विभिन्न अंशकालिक प्रोजेक्ट पद पर रह चुके है।
Source and Important Tag 
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