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मेडल जीतने पर सरकार लूट रही शाबाशी, खिलाड़ी अभ्यास के लिए चुका रहे फीस


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मेडल जीतने पर सरकार लूट रही शाबाशी, खिलाड़ी अभ्यास के लिए चुका रहे फीस

ओलंपिक से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के मेडल जीतने पर सरकार खूब शाबाशी लूटती है, लेकिन खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास नहीं कर रही है।

सीकर : ओलंपिक से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के मेडल जीतने पर सरकार खूब शाबाशी लूटती है, लेकिन खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। हकीकत तो यह है कि खिलाड़ियों को प्रदेश के कई जिलों के स्टेडियम में अभ्यास के लिए फीस देनी पड़ रही है। खिलाड़ियों के विरोध के बाद भी सरकार चुप्पी साधे हैं और कोई नीति नहीं बनाई है। खेल विभाग का तर्क है कि इंडोर के मैदानों के रख-रखाव सहित अन्य खर्च के लिए फीस ली जाती है।

दरअसल, केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश में 45 से अधिक इंडोर स्टेडियम बन चुके हैं, लेकिन इनके रख-रखाव के लिए अलग से राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता है। इस कारण खेल विभाग की ओर से जिला कलक्टरों की मौजूदगी में कमेटी का गठन कर खिलाड़ियों से फीस ली जाती है। गांव-कस्बों के खिलाड़ियों का दर्द है कि हर महीने अभ्यास के लिए फीस कहां से लाएं। प्रदेश में लगभग 20 साल से स्थायी खेल प्रशिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में खिलाड़ियों का अपने स्तर पर ही खेल के गुर सीखने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है।

बाद में तय होगी फीस

झुंझुनूं जिला खेल स्टेडियम में भी दो इंडोर स्टेडियम बने हुए है। यहां एक इंडोर स्टेडियम की फीस तो तय है। दूसरी की फीस आचार संहिता के बाद तय होगी। इसी तरह प्रदेश के कई जिलों में इंडोर स्टेडियमों में अभ्यास की फीस तय है।

अभ्यास के लिए 700 रुपए तय

सांवली रोड स्थित जिला खेल स्टेडियम में दो इंडोर स्टेडियम है। एक इंडोर स्टेडियम में खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए 700 रुपए महीने की फीस तय है। पिछले साल दूसरा इंडोर स्टेडियम बन गया है। अभ्यास के लिए फीस 800 रुपए के बीच तय होने की संभावना है।

मैदानों के रख-रखाव के लिए काफी न्यूनतम राशि खिलाड़ियों से हर महीने ली जाती है। फीस तय करने के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई हुई है। कमेटी की ओर से तय राशि ही खिलाड़ियों से ली जाती है।
– अशोक कुमार, जिला खेल अधिकारी, सीकर
सरकार की ओर से 30 विभागों के भवनों की मरम्मत के लिए बजट जारी होता है। फिर इंडोर स्टेडियमों में यह व्यवस्था क्यों लागू नहीं होती है। मजबूरन खेल विभाग को खिलाड़ियों से फीस लेनी पड़ रही है।
– ओमप्रकाश माचरा, महासचिव, राजस्थान शूटिंग बॉल एसोसिएशन 

चुनाव में खेल क्यों नहीं बनता मुद्दा

विधानसभा से लेकर लोकसभा के चुनाव में खिलाड़ियों की समस्याओं पर सियासी दलों ने फोकस नहीं किया। इसलिए अभ्यास की फीस सहित कई समस्याएं मुद्दा नहीं बनीं।

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