जयपुर : आतंकियों की तर्ज पर राजस्थान में लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने अपना ‘स्लीपर सेल’ तैयार कर लिया है। स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे आम लोगों की तरह हमारे बीच में रहते हैं। ये पेशेवर अपराधी नहीं हैं, लेकिन आका (लॉरेंस) का इशारा मिलते ही टारगेट किलिंग करने से भी नहीं चूकते। लॉरेंस गैंग ने ब्रेन वॉश कर स्लीपर सेल में कई नाबालिगों को भी शामिल कर रखा है। ये नाबालिग हथियार सप्लाई, टारगेट किलिंग से लेकर हवाला के जरिए पैसा ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं।
इस तथ्य का खुलासा लॉरेंस गैंग के गुर्गों द्वारा अंजाम दी गई विभिन्न वारदात से जुड़ी जांच और अदालत में दाखिल चार्जशीट में हुआ है। पहली बार बाकायदा ‘स्लीपर सेल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया।
हमारे मीडिया कर्मी ने लॉरेंस गैंग द्वारा अंजाम दी गई कुछ बड़ी वारदातों और उन मामलों में पेश अलग-अलग चार्जशीट का एनालिसिस किया, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
पढ़िए इस रिपोर्ट में….
केस 1. सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग
लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने सलमान खान के घर पर फायरिंग करने के लिए स्लीपर सेल का इस्तेमाल किया था। जांच में सामने आया है कि अलग-अलग राज्यों में मौजूद ‘स्लीपर सेल’ के जरिए शूटर सागर पाल और विक्की गुप्ता को बाइक, हथियार और फरारी काटने तक की मदद पहुंचाई गई।
राजस्थान के नागौर जिले से गिरफ्तार किए गए रफीक चौधरी ने इस मामले में शूटर्स को फाइनेंस किया था। वह मुंबई में रेस्टोरेंट चलाता था। उसने सलमान के घर की रेकी कर वीडियो बनाया और अनमोल बिश्नोई को भेजा था। हालांकि पुलिस के अनुसार रफीक को रुपए लॉरेंस से जुड़े स्लीपर सेल ने पहुंचाए थे। इसी तरह शूटरों को ट्रक खलासी अनुज थापन और सुभाष ने हथियार पंजाब में सप्लाई किए थे।
केस 2. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड
5 दिसंबर 2023 को सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के घर पर शूटर्स को एंट्री लॉरेंस बिश्नोई के स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे नवीन सिंह शेखावत ने करवाई थी। वह शाहपुरा का रहने वाला था। कपड़े का व्यापार करता था। पुलिस के मुताबिक, वह लॉरेंस गैंग के रोहित गोदारा और मास्टरमाइंड वीरेंद्र चारण के तीन-चार साल से संपर्क में था।
प्रदेश में टारगेट चिह्नित करने का काम नवीन करता था। बाद में जब नवीन ने वीरेंद्र चारण के ऑडियो रिकॉर्ड कर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था, लॉरेंस गैंग ने गोगामेड़ी के साथ उसकी भी हत्या करवा दी थी। ‘स्लीपर सेल’ ने वारदात अंजाम देने के बाद शूटर्स के रुकने की व्यवस्था मनाली में की थी।
केस 3. जयपुर के जी-क्लब पर फायरिंग
रोहित गोदारा ने जयपुर के होटल व्यापारी अक्षय गुरनानी से 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी। होटल व्यापारी ने रंगदारी मांगे जाने के कॉल को नजरअंदाज कर दिया। रोहित ने जयपुर के जी क्लब पर फायरिंग की साजिश रची थी। फायरिंग केस में पकड़े गए दो बाल अपचारी (नाबालिग अपराधी) भी लॉरेंस के ‘स्लीपर सेल’ का हिस्सा थे। इनमें से एक ने दो वर्ष पूर्व बीकानेर में भाजपा नेता दीपक पारीक को रंगदारी के लिए धमकाया था।
पहली बार चार्जशीट में हुआ ‘स्लीपर सेल’ शब्द का उल्लेख
जयपुर की जवाहर सर्किल थाना पुलिस ने जी-क्लब फायरिंग मामले में जो चार्जशीट तैयार की है। उस पर अभी कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पहली बार अदालत में दाखिल चार्जशीट में ‘स्लीपर सेल’ शब्द का खासतौर पर उल्लेख किया है। यह पहली बार है कि गैंग द्वारा ‘स्लीपर सेल’ बनाने की बात कही गई है। वरना आतंकियों या आतंकी गैंग से ही जुड़े मामले में ही स्लीपर सेल का उल्लेख होता रहा है।
लॉरेंस का स्लीपर सेल किन-किन वारदातों को अंजाम दे रहा है?
लॉरेंस गैंग से जुड़ने वाले किशोर और व्यस्क लोग खतरनाक वारदातों को अंजाम देने से भी नहीं चूक रहे। जी क्लब पर फायरिंग करने वाला एक बाल अपचारी राज्य संप्रेक्षण गृह व बाल सुधार गृह जयपुर से लॉरेंस, रोहित, रितिक के संपर्क में रहा। बाल सुधार गृह में उसने लॉरेंस के लिए पूरी टीम तैयार की।
रोहित गोदारा का इशारा मिलते ही 29 फरवरी 2024 को बाल सुधार गृह से 22 बाल अपचारी फरार हो गए थे। इनमें से तीन नाबालिगों ने हरियाणा के रोहतक में व्यापारी सचिन मुंजाल की उसके परिवार के सामने बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके बाद बिहार पुलिस ने उन्हें नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया।
स्लीपर सेल ने अनमोल बिश्नोई के इशारे पर रितिक बॉक्सर के जयपुर के संपर्क से प्रदीप शुक्ला को .32 बोर की तीन पिस्टल और 6 मैगजीन दिलाई थी। इसके बाद प्रदीप शुक्ला ने जी क्लब पर फायरिंग की थी। हथियार सिंधी कैंप से अनमोल बिश्नोई के स्लीपर सेल जुड़े गुर्गों से प्राप्त किए गए थे। ये हथियार वारदात के दिन ही शूटर्स को दिए गए थे।
राजस्थान से वसूली का पैसा हवाला के जरिए भाई अनमोल तक पहुंचा रहा लॉरेंस
राजू ठेहट मर्डर केस में सचिन भिवानी को गोविंदवाल जेल, पंजाब से प्रोडक्शन वारंट पर सीकर लेकर गए थे। ठेहट के हत्यारों को सचिन भिवानी ने अपनी क्रेटा कार भागने के लिए दी थी। पूछताछ खत्म होने के बाद जयपुर के दो थानों जवाहर सर्किल और कालवाड़ थाना ने सचिन भिवानी से पूछताछ की तो उसने खुलासा किया कि रंगदारी और फिरौती का पैसा लॉरेंस गैंग के पास हवाला के जरिए पहुंचता है।
जयपुर के कालवाड़ थाना क्षेत्र में विकास बुकी नाम के सटोरिए से गैंग ने 20 लाख रुपए फिरौती वसूली थी। इसे हवाला के जरिए पहुंचाया गया था। बताया जा रहा है कि विदेश भाग चुका लॉरेंस का भाई अनमोल इन पैसों को इधर-उधर करता है।
स्लीपर सेल के टारगेट और रेट तय, शूट करने पर अलग से 10 लाख रुपए
जयपुर के जी-क्लब में फायरिंग करने करने वाले एक नाबालिग का कबूलनामा भी चौंकाने वाला है। स्लीपर सेल ने पुलिस को स्टेटमेंट दिया कि जो टारगेट हमें दिया जाता है, अगर हम पकड़े भी गए तो छूटते ही हमने जिन जगहों की रेकी की थी, उन जगहों पर लॉरेंस बिश्नोई, रितिक बॉक्सर के कहते ही फायरिंग करते थे। होता यह था कि पहले अटेम्प्ट में अगर हवाई फायर किया तो अगली बार सीधा टारगेट पर गोली चलाते थे। टारगेट को सीधा शूट किया तो हमें अलग से दस लाख रुपए और मिल जाते हैं।
पुलिस से बचने की पूरी ट्रेनिंग, वीपीएन नेटवर्क का इस्तेमाल
स्लीपर सेल से जुड़े गुर्गे पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए बॉक्स कॉल के जरिए संपर्क में रहते हैं। बॉक्स कॉल करने के लिए मोबाइल से सिग्नल ऐप कॉल करने के बाद स्पीकर ऑन- हैंड्स फ्री कर बात की जाती है। बॉक्स कॉल करने से कॉल इंटरसेप्ट नहीं की जा सकती है, और ना ही कॉल लोकेट हो पाती है।
एक मामले में कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में उल्लेख है कि विदेश में बैठे गैंगस्टर रोहित गोदारा, गोल्डी बराड़, अनमोल बिश्नोई जेल में बैठे लारेंस बिश्नोई के संपर्क में थे। इसके अलावा लॉरेंस, रितिक हो या अन्य गैंगस्टर भारत में प्रतिबंधित विकर मी एप का वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क इस्तेमाल कर रहे थे।
स्लीपर सेल में नाबालिगों को भर्ती कर रही लॉरेंस गैंग
आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन स्लीपर सेल के जरिए ही वारदात को अंजाम देते हैं। आतंकी संगठन स्लीपर सेल में आम लोगों को ब्रेन वॉश कर भर्ती करते हैं। उसके बाद उन्हें आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
उसी तर्ज पर लॉरेंस बिश्नोई व उसके गुर्गे सोशल मीडिया व मोबाइल के जरिए अधिकतर नाबालिगों को स्लीपर सेल के रूप में भर्ती कर रहे हैं। नाबालिगों का ब्रेनवॉश कर उन्हें टारगेट करना आसान होता है। वहीं कानूनी दांव-पेंच के कारण नाबालिगों को सख्त सजा भी नहीं होती है।
हाल यह है कि राजकीय संप्रेक्षण गृह एवं बाल सुधार गृह में लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे ने गैंग बना रखी थी। इसे बाहर से चायवाला और गार्ड सामान पहुंचाते थे। जब फरवरी में 22 बाल अपचारी भागे तो इसमें लॉरेंस का भी एक गुर्गा शामिल था। उसने जी क्लब पर फायरिंग की थी।
लॉरेंस ने क्यों चुना राजस्थान, खुद बताया?
जी क्लब फायरिंग केस में फरवरी 2023 में लॉरेंस को जब प्रोडक्शन वारंट पर जयपुर लाया गया था, तब उसने कबूल किया था कि सिद्धू मूसेवाला जैसे बड़े मर्डर को अंजाम तक पहुंचाने में गैंग का काफी पैसा खर्च हुआ था। इसकी भरपाई करने के लिए उसने अपने खास गुर्गों रोहित गोदारा, रितिक बॉक्सर को राजस्थान से प्रॉपर्टी माफिया, नामी बिजनेसमैन को टारगेट करने का जिम्मा दिया था।