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कुल की रस्म से झाड़ू शाह बाबा का उर्स सम्पन्न:लाखों जायरीनों ने मांगी अपनी मन्नतें; हिंदू-मुस्लिमों ने पेश की जयपुर की गंगा जमुनी तहजीब


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कुल की रस्म से झाड़ू शाह बाबा का उर्स सम्पन्न:लाखों जायरीनों ने मांगी अपनी मन्नतें; हिंदू-मुस्लिमों ने पेश की जयपुर की गंगा जमुनी तहजीब

कुल की रस्म से झाड़ू शाह बाबा का उर्स सम्पन्न:लाखों जायरीनों ने मांगी अपनी मन्नतें; हिंदू-मुस्लिमों ने पेश की जयपुर की गंगा जमुनी तहजीब

जयपुर : म्यूजियम रोड स्थित झाड़ू शाह बाबा उर्फ हाफिज अब्दुर्रहीम रह के 58वां सालना उर्स मनाया गया। उर्स कुल की रस्म के साथ मुकम्मल हुआ। तीन दिनों से चल रहे उर्स में पहले दिन मुशायरा हुआ, दूसरे दिन कुरानखवानी और चादर पेश की रात देर तक महाफिले समा चली।

आखरी दिन सुबह लंगर और शाम को रंग गा कर कुल की रस्म अदा की गई। तीनों दिन उर्स में हजारों अकीदत मंदो में शिरकत की। देश भर के मशहूर मारूफ कव्वालों ने अपने बेहतरीन कलाम पेश किए। दरगाह सज्जादा नशीन काजी असरार उल हक ने कहा की हाफिज अब्दुर्रहीम ऊर्फ झाड़ू शाह बाबा के उर्स हर साल जोशो खारोश के साथ मानया जाते है और देश प्रदेश से मुरीद आते है और अपनी मुरादे पाते है। उर्स में हिंदू समाज के महिला पुरुष बड़ी तादाद में चादर चढ़ाते है और मुरादे पाते है।

उर्स की तैयारी काफी दिन पहले से ही शुरू कर दी जाती है जिससे मुरीदो को कोई परेशानी न उठानी ना पड़े। नायब सज्जादा नशीन एहतेशामुल हक ने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाले उर्स में जायरीनों के ठहरने का पूरा इंतजाम किया जाता है और तीनों दिन तक हजारों लोग अपनी मुरादों की चादर पेश करते है। पहले दिन मुशायरा दूसरे दिन क़ुरान ख्वानी होती है और रात कव्वाल अपने शानदार कलाम पेश करते है। आखरी दिन कुल की रस्म रंग के साथ मुकम्मल होती है और केवड़ा छिड़का जाता है।

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