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खून चढ़ाते ही तड़पने लगे मरीज, अब तक 5 मौतें:परिजन बोले- कारण बताने की बजाय रेफर करते रहे; करीब 40 यूनिट संक्रमित ब्लड का इस्तेमाल


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खून चढ़ाते ही तड़पने लगे मरीज, अब तक 5 मौतें:परिजन बोले- कारण बताने की बजाय रेफर करते रहे; करीब 40 यूनिट संक्रमित ब्लड का इस्तेमाल

खून चढ़ाते ही तड़पने लगे मरीज, अब तक 5 मौतें:परिजन बोले- कारण बताने की बजाय रेफर करते रहे; करीब 40 यूनिट संक्रमित ब्लड का इस्तेमाल

नीमकाथाना : संक्रमित ब्लड के कारण जयपुर में दो मौत सहित अब तक कुल 5 लोगों की जान गई है। एक प्राइवेट ब्लड बैंक और हॉस्पिटल्स की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ी है। जिन प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ये संक्रमित ब्लड चढ़ाया गया उन्होंने भी मरीजों की बिगड़ती स्थिति का कारण जानने की कोशिश नहीं की। मरीजों के परिजनों का आरोप है कि ये हॉस्पिटल्स केवल मरीजों को रेफर करने मे लगे रहे। संक्रमित ब्लड जहां से दिया गया वो है नीमकाथाना का सीता ब्लड बैंक।

पिछले 5 दिनों में यहां से सप्लाई किया गया 40 यूनिट संक्रमित ब्लड शहर के अलग-अलग हॉस्पिटल्स में मरीजों को चढ़ाया गया। जिसके बाद 5 की मौत हो गई। मरने वालों में दो गर्भवती (दो गर्भस्थ शिशु) और एक बुजुर्ग महिला शामिल हैं। जांच में सामने आया कि जिन पैकिंग्स में ब्लड रखा गया था, उन बैग से ब्लड संक्रमित हुआ था।

नीमकाथाना के शाहपुरा रोड स्थित बेसमेंड में सीता ब्लड बैंक संचालित हो रहा था। यहीं से सभी मरीजों को 1300-1400 रुपए प्रति यूनिट ब्लड दिया गया।
नीमकाथाना के शाहपुरा रोड स्थित बेसमेंड में सीता ब्लड बैंक संचालित हो रहा था। यहीं से सभी मरीजों को 1300-1400 रुपए प्रति यूनिट ब्लड दिया गया।

हमारे मीडिया कर्मी की पड़ताल में सामने आया कि ब्लड बैंक की घोर लापरवाही के चलते 9 मई से 13 मई के कुल 22 लोगों को संक्रमित ब्लड सप्लाई किया गया था। जिन को भी यह ब्लड चढ़ाया गया उनकी 24 से 72 घंटे में हालत बिगड़ने लगी। अब स्वास्थय विभाग बाकी बचे मरीजों को चिन्हित कर रहा है, जिन्हें वो ब्लड चढ़ाया जा चुका है।

मामला खुलने के बाद चिकित्सा विभाग ने तुरंत ही ब्लड बैंक की जांच की और सीज कर दिया। हमारे मीडिया कर्मी उन पीड़ित परिवारों के घर पहुंचा जिनकी मौत संक्रमित ब्लड चढ़ाने से हुई। ज्यादातर परिवारों का आरोप था कि कारण जानते हुए अस्पताल और ब्लड बैंक संचालकों ने किसी को कोई जानकारी नहीं दी।

मामला दबाने की कोशिश
संक्रमित ब्लड की सप्लाई 9 मई से शुरू हुई थी। लेकिन ब्लड बैंक से लेकर अस्पतालों ने कदम-कदम पर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की। जिन मरीजों की इस ब्लड को चढ़ाने के बाद तबीयत बिगड़ी वे सभी अलग-अलग दिन अस्पतालों में आए थे और अलग-अलग दिन उन्हें ब्लड चढ़ा।

जैसे ही ब्लड चढ़ा मरीजों की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें रेफर कर दिया गया। किसी भी अस्पताल ने परिजनों तक को यह नहीं बताया गया कि मरीज की मौत का असली कारण क्या है? जबकि कई मरीजों के मुताबिक अस्पताल संचालकों को इस बात की पहले से जानकारी थी। इसी का नतीजा रहा कि 5 लोगों की मौत हो गई और अभी 3 मरीजों की हालत गंभीर है।

मैना देवी की मौत के बाद खुला पूरा मामला

गलत ब्लड चढ़ाने से मौत का जो पहला केस सामने आया वह नीमकाथाना के नजदीक बिहारीपुर की रहने वाली मैना देवी (25) पत्नी मनोज का था। जानकारी के अनुसार 11 मई को मैना को नीमकाथाना जिला अस्पताल में वही संक्रमित ब्लड चढ़ाया गया। इसके तुरंत बाद ही उसकी तबीयत खराब बिगड़ गई। आनन-फानन में महिला को जयपुर रेफर कर दिया गया।

जहां रविवार दोपहर एक मृत बच्ची को जन्म देने के बाद उसकी मौत हो गई। मैना देवी को उसकी सास कौशल्या देवी 10 मई को रूटीन चैकअप के लिए नीमकाथाना अस्पताल लेकर गई थी। मैना का इलाज डॉ. हेमंत कटारिया के पास चल रहा था। डॉ. हेमंत ने जांच कर कहा कि सोनाग्राफी के अनुसार डिलीवरी डेट 26 मई थी, लेकिन अब 20 मई से पहले ही डिलीवरी हो जाएगी। डॉक्टर ने कहा कि इसमें ब्लड की कमी है, जल्दी से ब्लड चढ़वा लो।

11 मई को मैना को ब्लड चढ़ाया गया था। इसके बाद उसकी तबीयत खराब हुई और जयपुर रेफर कर दी गई। अगले दिन मैना और उसकी नवजात बच्ची की मौत हो गई।
11 मई को मैना को ब्लड चढ़ाया गया था। इसके बाद उसकी तबीयत खराब हुई और जयपुर रेफर कर दी गई। अगले दिन मैना और उसकी नवजात बच्ची की मौत हो गई।

अगले दिन 11 मई को सवेरे 11 बजे जेठ अनिल जिलोवा मैना को लेकर अस्पताल पहुंचा और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। अनिल ने बताया कि वह उन्होंने सीता ब्लड बैंक में एक यूनिट ब्लड डोनेट किया और उसके बाद 2 यूनिट ब्लड 2750 रुपए में लिया। शाम पांच बजे मैना को वह ब्लड चढ़ाना शुरू किया गया। इसके कुछ ही देर में उसकी तबीयत खराब हो गई और उल्टियां होने लगीं।

हम कुछ समझ ही नहीं पाए, तभी डॉक्टर ने कहा कि इन्हें तुरंत जयपुर ले जाओ। करीब 6 बजे हम जयपुर के लिए निकल गए। रात 9 बजे जयपुर के जनाना अस्पताल पहुंचे। रात 2 बजे डॉक्टर्स ने सोनोग्राफी की। डॉक्टर ने बताया कि गर्भ में बच्चे की मौत हो चुकी है। हम नॉर्मल डिलीवरी करवाएंगे। सुबह 11 बजे मृत बच्ची को बाहर निकाला, उसके कुछ मिनट बाद मैना की भी मौत हो गई।

तो फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?

इस सवाल के जवाब में अनिल ने कहा – हमें कुछ समझ में नहीं आया। हम सोच ही नहीं सकते कि गलत ब्लड भी चढ़ा सकते हैं। हम तो यह मान बैठे कि तबीयत बिगड़ने से ये सब हो गया। हमने जनाना अस्पताल जयपुर में कुछ पूछने की कोशिश की तो वहां मौजूद चिकित्सकों कहा कि जल्दी से शव लेकर चले जाओ वरना हम पुलिस को बुलाएंगे। हम गरीब लोग क्या करते, वहां से आ गए। इसके बाद हम गांव आ गए और अंतिम संस्कार कर दिया। हमें कोई डॉक्युमेंट भी नहीं दिए। उन्होंने कहा कि डॉक्युमेंट 13 दिन बाद मिलेंगे।

मई को राधा को प्रसव पीड़ा हुई। डॉक्टर ने सीता ब्लड बैंक से लाए खून को चढ़ाया। 20 मिनट में ही सीता की हालत बिगड़ने लगी और फिर उसकी मौत हो गई।
मई को राधा को प्रसव पीड़ा हुई। डॉक्टर ने सीता ब्लड बैंक से लाए खून को चढ़ाया। 20 मिनट में ही सीता की हालत बिगड़ने लगी और फिर उसकी मौत हो गई।

मैनादेवी की मौत के बाद पूरे नीमकाथाना क्षेत्र में पिछले दो-तीन दिन में ब्लड चढ़ाने से तबीयत बिगड़ने और मौत होने के मामले सामने आने लगे। ऐसा ही एक मामला मावंडा हाल नीमकाथाना की रहने वाली गर्भवती महिला राधा देवी का आया।

8 मई को प्रसव पीड़ा होने पर पति रवि सैनी और परिजन उसे नीमकाथाना के निजी अस्पताल जीवन रेखा लेकर पहुंचे। जहां 8 मई को उसे ब्लड चढ़ाया गया और 9 मई को उसने एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद दोबारा ब्लड चढ़ाया गया। जिसके बाद राधा देवी की मौत हो गई। यानी मैना देवी से भी पहले राधा देवी इस बड़ी लापरवाही का शिकार हो चुकी थी।

डॉक्टर बता देते तो बच सकती थी जान

राधा के पति रवि ने बताया कि 8 मई को राधा को प्रसव पीड़ा हुई तो हम उसे जीवन रेखा अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर ने कहा कि ब्लड की कमी है, इसलिए पास ही में सीता ब्लड बैंक से ब्लड ले आओ। मैं ब्लड बैंक गया और 1400 रुपए में एक यूनिट ब्लड खरीद कर ले आया।

डॉक्टर ने वह ब्लड चढ़ा दिया। ब्लड चढ़ाने के 20 मिनट बाद ही राधा की तबीयत खराब हो गई। उसका जी घबराने लगा। हमने डॉक्टर को बताया तो वे आए और ब्लड रोक दिया। एक यूनिट में आधा ही ब्लड चढ़ा। डॉक्टर ने कहा कि घबराने वाली कोई बात नहीं है, अब कल चेकअप करेंगे।

नीमकाथाना मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से मैना, मधु और गीता को गलत ब्लड चढ़ाने के मामले में अतिरिक्त ड्रग कंट्रोलर, सीकर को जानकारी दी गई।
नीमकाथाना मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से मैना, मधु और गीता को गलत ब्लड चढ़ाने के मामले में अतिरिक्त ड्रग कंट्रोलर, सीकर को जानकारी दी गई।

ये सब बताते-बताते रवि सैनी भावुक हो गए। वे बाले- हमें किसी ने एहसास तक नहीं होने दिया कि ब्लड में खराब हो सकती है। अगले दिन दोपहर करीब 12 बजे डिलीवरी हुई और राधा ने एक बच्चे को जन्म दिया। डिलीवरी के 1 घंटे बाद डॉक्टरों ने बोला कि एक यूनिट ब्लड और चढ़ेगा। रवि ने बताया कि मैं वापस सीता ब्लड बैंक गया। वहां से एक यूनिट ब्लड खरीदा। शाम को राधा को ब्लड चढ़ाया गया।

इसके बाद राधा की तबीयत तेजी से खराब हो गई। हमने डॉक्टर्स को बुलाया। चेक करने के बावजूद राधा की तबीयत तेजी से बिगड़ती गई। हमने रेफर करने के लिए भी कहा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया और थोड़ी देर में राधा की मौत हो गई। यह मौत कैसे हुई, क्या कारण थे, इन सबको लेकर अस्पताल ने हमें कुछ नहीं बताया। यह तक नहीं कहा कि ब्लड गलत हो सकता है। यदि अस्पताल वाले उसी समय ध्यान देते तो ब्लड बैंक की लापरवाही का यह मामला तभी खुल जाता।

70 साल की मूली देवी की भी गलत ब्लड चढ़ाने से मौत होने की बात कही जा रही है।
70 साल की मूली देवी की भी गलत ब्लड चढ़ाने से मौत होने की बात कही जा रही है।

नीमकाथाना के पास ही सिरोही कस्बे की मूली देवी (70) को भी 9 मई को गंगा सागर अस्पताल में सीता ब्लड बैंक से लाया गया ब्लड चढ़ाया गया था। सोमवार 13 मई को उनकी मौत हो गई। डॉक्टर्स ने बताया कि मूली देवी की दोनों किडनी खराब हुई हैं। मंगलवार को जब हम मूली देवी के घर पहुंचे तो उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी। मूली देवी का इकलौता बेटा मदनलाल घर के बाहर फूट-फूट कर रो रहा था।

खुद को संभालते हुए वे बोले मां काे उम्र से जुड़ी कुछ समस्याएं थीं, इसलिए तबीयत खराब रहती थी। 9 मई को मैं उन्हें दिखाने नीमकाथाना के गंगा सागर अस्पताल लेकर गया। डॉक्टर ने कहा कि ब्लड चढ़ेगा। सीता ब्लड बैंक से ब्लड ले आओ। हम वहां से दो यूनिट ब्लड लेकर आए। यह ब्लड चढ़ाने के कुछ ही देर बाद मां की तबीयत खराब हो गई।

वहां से डॉक्टर्स ने रेफर कर दिया। हम मां को लेकर केआर अस्पताल चौमू पहुंचे। जहां डॉक्टर्स ने दो दिन तक इलाज किया और सोमवार को कहा कि इनकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं। इसके बाद डॉक्टर ने घर ले जाने के लिए कह दिया। रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

मधु देवी, उसके बच्चा और गीता देवी की हालत गंभीर है। उनका अस्पताल में इलाज जारी है।
मधु देवी, उसके बच्चा और गीता देवी की हालत गंभीर है। उनका अस्पताल में इलाज जारी है।

दो महिलाएं लड़ रही जिंदगी के लिए

नीमकाथाना क्षेत्र की ही दो महिलाएं ऐसी भी हैं जो गलत ब्लड चढ़ा देने के बाद से ही जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही हैं। दोनों ही गर्भवती थी। इनमें एक गीता देवी (26) पत्नी कैलाश चंद है जबकि दूसरी मधु देवी (29) पति राकेश कुमार हैं।

मालनगर की रहने वाली गीता देवी को 11 मई को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां डॉक्टर ने ब्लड की जरुरत बताई। इसके बाद दोपहर एक बजे गीता देवी को ब्लड चढ़ाया गया। गीता देवी के पति कैलाशचंद ने बताया कि हम सीता ब्लड बैंक से ब्लड लेकर आए थे। ब्लड चढ़ाने के कुछ ही देर बाद उसकी तबीयत खराब हो गई। जिस पर डॉक्टर ने उसे सीकर रेफर कर दिया। जहां जनाना अस्पताल में महिला ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया। गीता देवी की हालत अभी गंभीर है और वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।

इसी तरह मधु देवी को 10 माई को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां डॉक्टर्स ने ब्लड की कमी बताई और ब्लड लाने को कहा। मधु देवी के पति राकेश ने हमारे मीडिया कर्मी को बताया कि हम सीता ब्लड बैंक से ब्लड लेकर आए थे। 11 मई को सुबह 10 बजे उसे ब्लड लेकर आया। इसके कुछ ही देर बाद उसकी तबीयत खराब हो गई।

तब वहां मौजूद नर्स ने कहा कि ब्लड रिएक्शन कर रहा है। जिस पर डॉक्टर ने उसे जयपुर रेफर कर दिया। जहां जयपुर के दुर्लभजी अस्पताल में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे की स्थित अभी सही है जबकि मधुदेवी आईसीयू में भर्ती है। डॉक्टर्स ने मां और बच्चे को दूर रखने को कहा है।

हमने ब्लड बैंक को सीज कर दिया है। वहां से ब्लड भी लिया है। मामले की पूरी जांच की जा रही है। दो तीन दिन में इसकी रिपोर्ट सामने आएगी। ~~ दियार डॉ. नरोत्तम शर्मा जोन डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग

तीन परिवारों ने दर्ज करवाया मामला

इधर, इस पूरे मामले में तीन मामले दर्ज करवाए गए हैं। इनमें दो प्रसूताओं के और एक बुजुर्ग महिला के परिजनों की ओर से रिपोर्ट दी गई है।

प्रसूता मैना देवी के परिजनों ने रिपोर्ट में बताया कि सीता ब्लड बैंक ने संक्रमित ब्लड दिया, जिससे मैना देवी और गर्भ में उसकी बेटी की मौत हो गई।

वहीं, प्रसूता राधा देवी के पति रवि सैनी ने सीता ब्लड बैंक पर गलत ब्लड देने के आरोप लगाए गए हैं। बुजुर्ग महिला मूली देवी के बेटे मदनलाल ने भी गलत ब्लड देने को लेकर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया है।

सारा ब्लड एक ही बैंक से, अब मामला दबाने की कोशिश

इस पूरे मामले में सामने आया है कि यह सारा ब्लड एक ही बैंक सीता ब्लड बैंक से आया। मामले में चिकित्सा विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. नरोत्तम शर्मा ने सोमवार को यहां जांच जरूर की, लेकिन अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं किया है। इधर, हमारे मीडिया कर्मी ने सीता ब्लड बैंक से बात करने की कोशिश की गई तो वे आनाकानी करते रहे। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने जांच होने तक कुछ भी बताने से इनकार किया है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि बैंक ने ब्लड संग्रहित करने वाला बैग घटिया क्वालिटी का काम में लिया।

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