काजड़ा पीएचसी की नर्स बाला बाई ने 30 साल में करा दिए 3 हजार से ज्यादा प्रसव
काजड़ा पीएचसी की नर्स बाला बाई ने 30 साल में करा दिए 3 हजार से ज्यादा प्रसव

झुंझुनूं : खुद के सपने को साकार करने के लिए जिद और जुनून के साथ मजबूत हौसला होना चाहिए। तभी मंजिल हासिल की जा सकती है। इस बात को काजड़ा पीएचसी की नर्स राजबाला ने वास्तव में साबित करके दिखाया है।
बाला बाई बचपन से ही डाक्टर बनने का सपना देखा करती थी। लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से बाला बाई का सपना अधूरा रह गया। तब सेवा के संकल्प को पूरा करने के लिए नर्स बन गईं। नर्स राजबाला ने काजड़ा के सरकारी अस्पताल में कनिष्ठ नर्स के तौर पर सेवा शुरू की। पीएचसी पर बिजली और अन्य संसाधनों की कमी के बावजूद प्रसव कराए।
पिछले 30 साल से बिना साप्ताहिक अवकाश व अन्य अवकाश लिए वे निर्बाध सेवा दे रही हैं। बाला बाई के तौर पर पहचाने जाने वाली राजबाला को लेकर ग्रामीणों में इतना विश्वास है कि आसपास के गांव व शहर की प्रसूताएं भी प्रसव कराने के लिए काजड़ा के सरकारी अस्पताल में आती हैं। बाला बाई सरकारी अस्पताल में अब तक 3 हजार से ज्यादा प्रसव करवा चुकी हैं। आसपास के ग्रामीणों को उन पर इतना गहरा विश्वास है कि वे प्रसूता को बड़े अस्पतालों की बजाय उन्हीं के पास लेकर जाते हैं।
राजबाला ने अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए बेटी मुस्कान को डॉक्टर बनाने का फैसला किया। मां के चिकित्सा सेवा के संकल्प व समर्पण से प्रेरित होकर बेटी ने भी चिकित्सा शिक्षा को अपनाया। लेकिन 2019 में राजबाला के पति सुमेरसिंह का अचानक निधन हो गया। तो उनका सपना फिर टूटने लगा। लेकिन मां राजबाला ने हिम्मत जुटा कर परिवार को संभाला और बेटी को हौंसला दिया। 2021 में मुस्कान ने नीट क्लियर कर लिया। मुस्कान अब भरतपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं। वहीं बेटा दिनेश फार्मा की पढ़ाई कर रहा है। बाला बाई को काजड़ा व सूरजगढ़ ब्लॉक में सर्वाधिक प्रसव कराने पर अनेकों सम्मान मिल चुके हैं।