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छोटी बहन को बोला-आज नहीं आऊंगा, हत्या की खबर आई:भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, मां बोली- बेटे की तरह मुझे भी मार दो


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छोटी बहन को बोला-आज नहीं आऊंगा, हत्या की खबर आई:भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, मां बोली- बेटे की तरह मुझे भी मार दो

छोटी बहन को बोला-आज नहीं आऊंगा, हत्या की खबर आई:भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, मां बोली- बेटे की तरह मुझे भी मार दो

मैं आज घर नहीं आ पाऊंगा, इंतजार मत करना, गेट बंद कर लेना।’

अपनी बहन से आखिरी बातचीत के बाद टोंक का सीताराम (मृतक) सच में घर नहीं पहुंचा। भीलवाड़ा के जहाजपुर में मामूली कहासुनी के बाद भीड़ ने इतना पीटा कि उसकी जान चली गई।

दिव्यांग सीताराम अपने परिवार का अकेला कमाने वाला था। जयपुर में कभी सब्जी का ठेला लगाकर तो कभी कंप्यूटर जॉब वर्क के साथ गाड़ियों की साफ-सफाई कर परिवार का पेट पाल रहा था।

सीताराम की मौत के बाद जहाजपुर (भीलवाड़ा) इलाके में तनाव के माहौल के बीच हमारी मीडिया टीम इस हादसे की पड़ताल करने पहुंची। इस दौरान सीताराम के परिवार वालों ने अपना दर्द बयां किया…

लाल चेक शर्ट में सीताराम अपने छोटे भाई सोनू के साथ। (फाइल फोटो)
लाल चेक शर्ट में सीताराम अपने छोटे भाई सोनू के साथ। (फाइल फोटो)

सबसे पहले समझते हैं, क्या हुआ था?

  • 4 जुलाई को टोंक के छावणी निवासी सीताराम, सिकंदर, दिलखुश और दीपक एक कार में सवार होकर जहाजपुर स्थित सिकंदर की बहन के घर एक फंक्शन में शामिल होने गए थे।
  • उसी दिन शाम करीब 6 बजे जहाजपुर में भंवर कला गेट के अंदर घुसते समय उनकी कार बेकाबू होकर एक ठेले से टकरा गई।
  • दोनों पक्षों में कहासुनी हुई और 30 साल के सीताराम को कार से निकालकर बुरी तरह पीटा गया। इसमें उसकी मौत हो जाती है। इसके बाद पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई।
यह भीलवाड़ा के जहाजपुर में हुई उस घटना का सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें कार ठेले से टकराती हुई दिखाई दे रही है। सीताराम इसी कार में सवार था।
यह भीलवाड़ा के जहाजपुर में हुई उस घटना का सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें कार ठेले से टकराती हुई दिखाई दे रही है। सीताराम इसी कार में सवार था।

24 घंटे बाद मरने की ही खबर आई सीताराम की छोटी बहन मैना कहती है- 3 जुलाई की रात 9 बजे भाई से बात हुई थी। उसने कहा कि मैं घर आ पाऊंगा या नहीं, कुछ कह नहीं सकता। इसलिए तुम गेट लगा लेना। दो घंटे इंतजार के बाद 11 बजे जब मां सुगना ने फोन पर बात की तो उसे भी यही कहा कि आज जरूरी काम कर रहा हूं, घर नहीं आऊंगा।

इसके बाद डेढ़ बजे के बाद से उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था। 4 जुलाई की रात को हमें खबर मिली की भाई अब इस दुनिया में नहीं है। भाई का मोबाइल भी हमें अब तक नहीं दिया है। प्लॉट के कागजात, उसकी सैलरी समेत सभी जरूरी दस्तावेज उसी मोबाइल में हैं।

सीताराम की मां सुगना ने बताया- वह यह कहकर गया था कि दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं। मुझे नहीं मालूम था कि वो घूमने के लिए अपने दोस्तों के साथ जयपुर से जहाजपुर तक आ जाएगा। सीताराम अपने तीन दोस्तों के साथ था। जहाजपुर के मुख्य बाजार में भंवर कला गेट के अंदर उनकी गाड़ी एक खड़े ठेले से टकरा गई।

इतना कहते-कहते सुगना का गला भर जाता है। कहती हैं- मेरा बेटा तो दिव्यांग था। उसकी कोई गलती भी नहीं थी। भीड़ ने मेरे बेटे को गाड़ी से खींचकर बाहर निकाला और बेरहमी से मारा-पीटा। उसे सड़क पर पटक दिया। इसी मारपीट से उसकी जान चली गई, जबकि हादसे के वक्त सिकंदर गाड़ी चला रहा था। सीताराम तो उसकी बगल वाली सीट पर बैठा था। अन्य दो दोस्त पीछे की सीट पर मौजूद थे।

ठेले से टकराने के बाद भीड़ गुस्सा गई और कार में सवार सभी लोगों को पीटना शुरू कर दिया था।
ठेले से टकराने के बाद भीड़ गुस्सा गई और कार में सवार सभी लोगों को पीटना शुरू कर दिया था।

सुगना बार-बार एक ही बात कहती हैं- मेरे बेटे ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, सामान भी उठाया और नुकसान का हर्जाना देने को भी तैयार था। वह दोनों हाथों से दिव्यांग था। पानी तक ठीक से नहीं पी पाता था। फिर क्यों बेटे को इस तरह बेरहमी से मार डाला? अब उसके बिना मैं कैसे जी पाऊंगी। सीताराम के पिता सोहनलाल की कई वर्ष पहले ही मौत हो चुकी है। लोगों के घरों में झाडू-पोंछा लगाकर दो बेटों और एक बेटी को पाला। उग्र भीड़ ने बुढ़ापे की लाठी तोड़ दी। अब तो ये लोग मेरे बेटे की तरह मुझे भी मार दें तो अच्छा है।

सुबह भी बाइक लगाने को लेकर झगड़ा हुआ था

हादसा जहाजपुर में एक धार्मिक स्थल के पास हुआ था। हम उस हादसे वाली जगह पर यह जानने पहुंचे कि उस दिन क्या हुआ था। लेकिन इस पर कोई भी कुछ बोलने को राजी नहीं हुआ। एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हादसे वाले दिन सुबह भी यहां बाइक खड़ी करने को लेकर एक युवक से विवाद हो चुका था।

शाम को सीताराम की कार अचानक ठेले में आ घुसी। इसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है। हादसे के बाद से ही पूरा जहाजपुर का मुख्य बाजार बंद रहा। दिनभर चहल-पहल से भरा रहने वाला बाजार सूना था।

भीलवाड़ा के जहाजपुर में धरनास्थल के बाहर मौजूद पुलिसकर्मी।
भीलवाड़ा के जहाजपुर में धरनास्थल के बाहर मौजूद पुलिसकर्मी।

परिजनों का आरोप- रातों-रात डेड बॉडी शिफ्ट कर रहे थे

सीताराम की बुआ चंता देवी ने बताया कि 4 जुलाई की रात को मैं सीताराम को आखिरी बार देखने के मकसद से हॉस्पिटल आई थी। पुलिस वालों से कहा कि डेड बॉडी दिखा दो। मैं उसे हाथ भी नहीं लगाऊंगी। बस दूर से ही देख लूंगी। पुलिसवालों ने मुझे अंदर नहीं जाने दिया। थोड़ी देर बाद पूरे हॉस्पिटल की लाइट काटकर डेड बॉडी को दूसरी जगह शिफ्ट करने लगे। मैं गाड़ी के आगे खड़ी हो गई। मैंने कहा कि न मीडिया है, न परिवार का कोई पुरुष। ऐसे में मैं बॉडी नहीं ले जाने दूंगी।

परिजनों के इस आरोप पर जब हमने थाना प्रभारी नरेंद्र पारीक से पूछा तो उन्होंने बताया- हमारी योजना थी कि डेड बॉडी को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जाए। परिजनों के विरोध पर हमने ऐसा नहीं किया। इसका कारण यह था कि जहाजपुर में डेड बॉडी रखने के लिए फ्रीजर नहीं था। वहीं, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की आशंका थी।

बेटे सीताराम की मौत का आक्रोश मां सुगना में आसानी से देखा जा सकता है। उन्होंने प्रशासन पर भी कई गंभीर आरोप लगाए।
बेटे सीताराम की मौत का आक्रोश मां सुगना में आसानी से देखा जा सकता है। उन्होंने प्रशासन पर भी कई गंभीर आरोप लगाए।

हॉस्पिटल में ही विरोध-प्रदर्शन हुआ था

सीताराम की मौत के बाद परिजनों में आक्रोश था। परिवार के लोगों ने हॉस्पिटल में ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। अफसरों ने लगातार समझाया था। परिजनों ने सीताराम की मौत पर एक करोड़ रुपए मुआवजा, सरकारी नौकरी, आरोपियों के घर और धार्मिक स्थल पर बुलडोजर चलाने समेत आरोपियों को मौत की सजा दिलाने की मांग की थी।

सीताराम की मौत के बाद टोंक से परिजन व अन्य लोग जहाजपुर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया था।
सीताराम की मौत के बाद टोंक से परिजन व अन्य लोग जहाजपुर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया था।

प्रशासन की दो बार वार्ता विफल रही थी। देर शाम करीब 22 लाख रुपए और संविदा पर सरकारी नौकरी देने की मांगे मान ली गई। मुख्य आरोपी को उदयपुर से डिटेन किया है, जबकि तीन अन्य को भी पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया है। नामजद अन्य 12 लोगों की भी तलाश की जा रही है।

भाई के साथ रील देख भावुक हुई

मैना और सीताराम का कुछ वक्त पहले का एक वीडियो है। यह भाई-बहन का रील है। अगले महीने 9 अगस्त को रक्षा बंधन है, लेकिन इस बार मैना अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएगी। यह याद करते ही वह भावुक हो जाती है।

अपनी बहन मैना और छोटे भाई सोनू के साथ सीताराम (लाल चेक शर्ट में)।
अपनी बहन मैना और छोटे भाई सोनू के साथ सीताराम (लाल चेक शर्ट में)।

छोटा भाई सोनू भी इस हादसे से अब तक उबर नहीं सका है। अब परिवार की जिम्मेदारी उसी के सिर पर है। मां सुगना का रो-रोकर बुरा हाल है। वह 5 जुलाई को दिनभर पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को कोसती रही। उनका एक ही आरोप है कि अगर पुलिस वाले मुस्तैदी दिखाते तो मेरा बेटा आज जिंदा होता।

आरोपियों की तलाश में 6 टीमें गठित

एडिशनल एसपी राजेश ने बताया कि डिटेन किए गए लोगों के खिलाफ अभी तक की जांच में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं आया है। फरार लोगों की तलाश की जा रही है। इसके लिए हमने 5 से 6 टीमों का गठन किया है। ये टीमें दबिश दे रही हैं।

भीलवाड़ा एसपी धर्मेंद्र यादव ने बताया कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
भीलवाड़ा एसपी धर्मेंद्र यादव ने बताया कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

एसपी धर्मेंद्र यादव ने कहा कि जांच के बाद अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का प्रयास करेंगे। कस्बे में शान्ति बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। हमारी संवेदना पीड़ित परिवार के साथ है।

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